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प्रदूषित शहरों में रहने वाले बच्चे इंटेलिजेंट नहीं हो पाते : अर्चिता महाजन

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याददाश्त-एकाग्रता में कमी, ब्रेन डैमेज समेत कई समस्याएं हो सकती हैं

अभिषेक मोदी

बटाला 18 नवंबर। अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन, चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट व ट्रेंड योगा टीचर हैं। जो नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार से सम्मानित हैं।

उन्होंने बताया कि यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स में हवाला है कि छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने से वायु प्रदूषण का बुरा असर उन पर अधिक पड़ सकता है। इसी तरह बच्चों के दिमाग पर भी वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। स्टडीज़ और रिपोर्ट्स के अनुसार, वायु प्रदूषण के बुरे प्रभावों के प्रति बच्चों के अधिक संवेदनशील होने की एक वजह उनकी तेज गति से सांस लेने की प्रवृति भी है। बच्चे वयस्कों की तुलना में ज़्यादा तेज गति से सांस लेते हैं। जिसके चलते प्रदूषित हवा और प्रदूषण फैलाने वाले कण बच्चों के शरीर में जल्दी और अधिक मात्रा में प्रवेश कर सकते हैं। इससे शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

प्रदूषण का दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव प्रमुख हैं। वायु प्रदूषण ब्रेन डैमेज का एक कारण हो सकता है। प्रदूषण बच्चों में न्यूरो-डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकता है। यह बच्चों की कॉग्निटिव फंक्शन को कम कर सकता है। इसी तरह प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है। इससे नींद की समस्या होने से दिमाग की क्षमता प्रभावित हो सकती है। प्रदूषण से एकाग्रता व याददाश्त की कमी हो सकती है।

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