मुकेश घई
मंडी गोबिंदगढ़ 18 नवम्बर। यहां मोहल्ला शास्त्री नगर, बटन लाल रोड के साथ लगती चौड़ी गली में प्रभु प्रेमियों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा को विश्राम दिया गया। अंतिम दिन की कथा की शुरूआत से पहले विद्वान पंडितों ने पूजा अर्चना कराई।
इसके बाद कथा व्यास श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य ब्रजेश महाराज का स्वागत किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा की शुरूआत में महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर परिवार का पालन पोषण करते। गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार-बार आग्रह करती है कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं। उनसे जाकर मिलो, शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है।
महाराज ने आगे बताया कि द्वारपाल की यह बात सुनकर कृष्ण नंगे पैर दौड़कर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते है। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से आसुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंहासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं। हालांकि सुदामा फूंस की कुटिया में रहकर ही भगवान का सिमरन करते हैं।
महाराज ने अगले प्रसंग में बताया कि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं। इसके साथ ही कथा को विराम दिया गया। फिर आचार्य बृजेश महाराज का व्यासपीठ से आशीर्वचन एवं विदाई गीत गाया गया।
इस मौके पर कथा के आयोजकों में आशीष बांसल, मोनिका बांसल, गौरव जैन, निधि जैन, अमन जैन, जिनेश बांसल, पल्वी बांसल, विनय बांसल, अंबिका बांसल, विशाल गोयल, पूजा गोयल, राकेश महाजन, आशू महाजन, अमित गोयल, श्रुति गोयल, मुकेश शर्मा, अदिति शर्मा, श्रीमति पूजा धवन, स्वपनिल मित्तल, वानी मित्तल, अशोक बांसल, श्रीमती मधू बांसल, अजय अग्रवाल, लवीना अग्रवाल, संतोष गुप्ता, श्रीमती कृष्णा गोयल, परविंदर जिंदल, सुशील बांसल, मोनू जिंदल, सोनू जिंदल, मोहित जिंदल, मखन लाल गुप्ता आदि उपस्थित रहे। अंतिम दिन की कथा को विश्राम देने से पहले हवन पूजन, कन्या भोज और आरती अरदास कर शहर वासियों की सुख समृद्धि के लिए अरदास की गई। फिर प्रभु प्रेमियों को प्रसाद वितरित कर विशाल लंगर लगाया गया।
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