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बरनाला उप-चुनाव : आप की प्रतिष्ठा दांव पर, बागी उम्मीदवार के साथ बीजेपी और कांग्रेस से भी चुनौती

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कांग्रेस को सत्ता-विरोध से उम्मीदें, भाजपा की नजर शहरी वोटरों पर

बरनाला 17 नवंबर। पंजाब में चारों विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उप-चुनाव के लिए मतदान होना है। सूबे की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लिए बरनाला सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी है। दरअसल पिछले दो विस चुनावों में आप ने इस सीट पर लगातार कब्जा जमाया था।

बाठ बने आप की मुश्किल !

गौरतलब है कि दोनों बार इस सीट से मौजूदा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर जीते थे। उनका सियासी-रसूख बढ़ने की वजह से उप चुनाव में इस सीट पर मीत हेयर के ही करीबी दोस्त हरिंदर धालीवाल को टिकट दे दी गई। जिसके चलते पार्टी में बगावत हो गई। पार्टी के तत्कालीन जिला प्रधान गुरदीप बाठ बागी होकर आजाद चुनाव लड़ रहे हैं।

शहरी वोटर ज्यादा, भाजपा को आस :

दूसरी तरफ, बीजेपी ने दो बार विधायक रहे केवल सिंह ढिल्लों को अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां गौरतलब है कि ढिल्लो पहले कांग्रेस में थे। वह कांग्रेस की टिकट पर जीतकर दो बार सन 2007 और 2012 में बरनाला से विधायक रहे। उनका भी इस इलाके में खासा सियासी-रसूख है। इसके अलावा यहां शहरी वोटर ज्यादा हैं, जिसे भाजपा का कोर-वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में भाजपा इस सीट पर आप के लिए चुनौती पैदा कर सकती है।

कांग्रेस को नए चेहरे पर भरोसा :

काबिलेजिक्र है कि यहां से कांग्रेस ने कुलदीप सिंह काला ढिल्लो को अपना उम्मीदवार बनाया है। ढिल्लो को कांग्रेस ने नए चेहरे के तौर पर आजमाया है, हालांकि वह इलाके के लिए कोई नए नहीं हैं। कांग्रेस के बरनाला प्रधान के तौर पर वह काम करते रहे हैं। वैसे कांग्रेस को यह भी उम्मीद है कि सत्ताधारी पार्टी आप के खिलाफ जनता का रोष उसके हक में रहेगा और उसका उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है।

शिअद-बादल मैदान से बाहर :

इस सीट से शिअद-अमृतसर ने पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान के नाती गोबिंद सिंह संधू को टिकट दी है। जबकि पंजाब में 1992 के बाद पहली बार शिरोमणि अकाली दल-बादल यह उप-चुनाव नहीं लड़ रहा। इस वजह से उनके वोट बैंक पर सबकी नजर है। सियासी माहिरों के मुताबिक शिअद-बादल का वोट बैंक हार-जीत तय कर सकता है। गौरतलब है कि बरनाला विधानसभा सीट पर कुल वोटर 1 लाख 80 हजार 88 हैं। इनमें पुरुष वोटर 94957 तो महिला वोटर 85127 हैं। शहरी वोटर 88429 तो ग्रामीण वोटर 61 657 हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि शहरी एरिया के वोटर जिस पक्ष में मतदान करेंगे, वह मजबूत होगा। वहीं, यहां से चुनाव लड़ रहे सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार जट्‌ट सिख हैं। ऐसे में सभी को ग्रामीण वोट बंटने का खतरा है।

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