लुधियाना 14 नवंबर। सड़क दुर्घटनाओं के दौरान मरने वाले और जख्मी हुए लोगों की याद में हर साल नवंबर के तीसरे रविवार को दुनिया भर में जागरूकता दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष कहा गया है कि प्रकृति और मनुष्य पशु-पक्षियों को युद्ध स्तर पर नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके कारण प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है। वहां केवल कुछ स्वार्थी लोग लोगों को मारने के लिए लगातार वाहनों, हथियारों, बमों, मिसाइलों, रासायनिक परमाणु हथियारों का उपयोग कर रहे हैं। रोड सेफ्टी पंजाब के एडवाइजरी मेंबर प्रतीक वर्मा ने कहा कि बताया गया है कि 80 प्रतिशत लोग, विद्यार्थी, श्रमिक अपने वाहनों से समय पर सही स्थान पर पहुंचने के बजाय निर्धारित समय से पीछे निकल जाते हैं और फिर अपने वाहनों को इतनी तेजी से चलाते हैं मानो यह उनकी आखिरी यात्रा हो। इसीलिए वे लोग बिना उचित प्रशिक्षण अभ्यास के और नियमों, कानूनों, सिद्धांतों और कर्तव्यों का पालन न करते हुए अपने वाहनों को अत्यधिक गति से चलाते हैं। विश्व और भारत में अधिकांश यातायात दुर्घटनाएँ तेज़ गति के कारण होती हैं। नेशनल हाईवे पर वाहनों की स्पीड 80 से 100 तक तय है, लेकिन नेशनल हाईवे पर लोग 150 से 200 प्रति घंटे की स्पीड से वाहन चलाते हैं। हर साल 2 लाख से अधिक लोग यातायात दुर्घटनाओं के कारण मर जाते हैं, 5-6 लाख लोग विकलांग या बेहोश हो जाते हैं और 3-4 लाख ड्राइवर सड़कों पर अपने वाहनों को खराब करने के लिए जेल जाते हैं। प्रतीक वर्मा ने कहा कि लोगों को सड़क पर चलते समय खुद की सुरक्षा के लिए पहले शिक्षित होना जरुरी है।
लोगों को सुरक्षा के लिए खुद को शिक्षित करना जरूरी – प्रतीक वर्मा
Rajdeep Saini
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