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राधा स्वामी सत्संग भवन ब्यास किनारे जमीन हडपने पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

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चंडीगढ/यूटर्न/9 नवंबर: पंजाब के अमृतसर में राधा स्वामी सत्संग भवन ब्यास पर अवैध निर्माण व अवैध खनन का आरोप लगाते हुए दाखिल याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, डेरे व अन्य को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने डेरा राधा स्वामी सत्संग भवन ब्यास में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी अमृतसर के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा ने याचिका दाखिल करते हुए भूमि पर अवैध कब्जे व खनन का मुद्दा हाईकोर्ट के समक्ष रखा है। याची संस्था ने तर्क दिया है कि डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने विभिन्न तरीकों से अपने कब्जे वाले क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश की है। याची ने उदाहरण देते हुए बताया कि ब्यास नदी ने धुस्सी बांध बनने के बाद अस्वाभाविक रूप से दो किलोमीटर तक अपना रास्ता बदल लिया, जिसके कारण लगभग 2500 एकड़ खेती योग्य भूमि नष्ट हो गई है। ब्यास नदी के मार्ग में उक्त परिवर्तन अवैध खनन गतिविधियों के साथ-साथ डेरा की ओर से की गई गतिविधियों के कारण हुआ है, क्योंकि नदी के तल से रेत निकाली जा रही है और डेरा अवैध रूप से अपनी सीमाओं का विस्तार कर रहा है। 2005 में जालंधर के डीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। उस कमेटी ने सरकार को भेजे संवाद में डेरे की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। डेरे की गतिविधियों के बारे में याचिकाकर्ता ने अपील की है कि इस मामले की जांच एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज को सौंपी जाए। इसके साथ ही नए सिरे से राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने और गिरदावरी का निर्देश जारी करने की अपील की है। नदी का बहाव बदलने के कारण स्थानीय लोगों को हुए नुकसान की समीक्षा कर मुआवजा जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि नदी का बहाव बदलने के कारण अब आबादी बाढ़ के खतरे में है। ऐसे में बाढ़ को रोकने के लिए योजना को अमलीजामा पहनाने का भी निर्देश दिया जाए।
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