अफसरों द्वारा रिश्वत लेकर एफआईआर में छोड़ी जाती कमियां, फिर तस्कर केस से हो जाते हैं बरी
लुधियाना 4 नवंबर। लुधियाना एसटीएफ के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह को नशा तस्करों को अवैध हिरासत में रखने और सीनियर अधिकारियों को सूचित न करने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। चर्चा है कि आरोपी अफसर द्वारा नशा तस्करों का केस में बचाव किया जाना था। जिसके चलते वह लगातार मामले को दबाने में जुटा था। लेकिन पहले ही पकड़ा गया। पुलिस द्वारा सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह, उसके साथी दो प्राइवेट व्यक्ति नरिंदर सिंह और अवतार सिंह पर मामला दर्ज किया है। डीएसपी हरपाल सिंह ग्रेवाल ने बताया कि सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ने 17 सितंबर 2024 को चरणजीत सिंह और रणवीर सिंह निवासी गांव घग्गा जिला पटियाला की तलाशी ली। तलाशी के दौरान चरणजीत सिंह चन्नी के कब्जे से 690 ग्राम अफीम बरामद हुई थी। लेकिन इस संबंध में 18 सितंबर को मामला दर्ज किया गया। यानि कि सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ने अपने दो प्राइवेट साथियों के साथ मिलकर तस्करों को अवैध हिरासत में रखा। डीएसपी सतविंदर सिंह विर्क ने जब आरोपियों से पूछताछ की तो दोनों आरोपियों ने उन्हें बताया कि सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ने 17 सितंबर की शाम करीब 6 बजे उन्हें गांव पातड़ा से काबू किया है। जबकि एफआईआर में उनकी गिरफ्तारी सराभा नगर स्थित बिग कार बाजार के पास की दिखाई गई।
जांच के दौरान पकड़ा गया इंचार्ज
डीएसपी सतविंदर सिंह विर्क ने आरोपी गुरमीत सिंह से पूछताछ की तो वह कोई सही जवाब नहीं दे सका। जबकि उसने दोनों आरोपियों के बारे सीनियर अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया। जांच में पाया गया कि सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ने अपने अधिकारियों की गलत इस्तेमाल करके आरोपियों को गैर हिरासत में रखा है। आरोपियों के साथ नरिंदर सिंह और अवतार सिंह भी शामिल थे।
अफसरों की इसी मिलीभगत के चलते बचते हैं तस्कर
जानकारी के अनुसार अफसरों द्वारा तस्करों को गिरफ्तार तो कर लिया जाता है, लेकिन बाद में उनके साथ रिश्वत लेकर सेटिंग कर ली जाती है। जिसके चलते एफआईआर में कभी गिरफ्तारी की लोकेशन कोई और तो कभी कोई कमी छोड़ दी जाती है। जिसके चलते जब मामला अदालत में पहुंचता है तो तस्कर असली लोकेशन दिखाकर यां एफआईआर में अफसरों द्वारा की गई कमियों का फायदा उठाते हैं। जिसके चलते तस्करों पर आरोप साबित नहीं हो पाते और वह बच जाते हैं।