शासन-प्रशासन उदासीन, खुद रहें सतर्क
दिवाली का त्यौहार भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और इस दौरान मिठाइयों और दूध की मांग तेजी से बढ़ जाती है। इसके साथ ही मिलावटी दूध और मिठाइयों का खतरा भी बढ़ जाता है। यह खतरा तब और बड़ी चुनौती लगता है, जब इसकी रोकथाम को शासन-प्रशासन पूरी तरह सजग नजर नहीं आता है। ऐसे में जनता को खुद जागरुक होने की जरुरत है।
मसलन, मिलावटी दूध में आमतौर पर पानी के अलावला साबूदाना, और विभिन्न रसायनों का मिश्रण होता है। मिलावटी के सेवन से डायरिया, गैस, और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके रसायनों के कारण पेट में संक्रमण भी हो सकता है। कई बार दूध-मिठाई और अन्य खाने-पीने की चीजों में मिलावट में उपयोग होने वाले रसायन शरीर में एलर्जी और अस्थमा का कारण बन सकते हैं। ऐसे में थोड़ी सी सतर्कता से हम मिलावटी खाद्य पदार्थों से खुद को बचा सकते हैं। जैसे मिलावटी दूध और मिठाइयों की गंध और रंग में असामान्य होते हैं। खरीदते समय हमेशा उन उत्पादों को चुनें जिनका प्रमाणपत्र हो।
स्थानीय दुकानदारों से खरीदें, जहां आपको भरोसा हो। यह आवश्यक है कि हम स्वस्थ और ताजे उत्पादों का चुनाव करें। मिलावटी उत्पादों से बचकर, हम अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकते हैं और त्योहार का असली आनंद ले सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फेस्टिवल सीजन में मिलावटखोरी इसलिए ज्यादा होती है, क्योंकि इन दिनों मिठाइयों की मांग तेज़ हो जाती है। यही वजह है कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अक्सर इन खाने की चीज़ों में मिलावट की जाती है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने कुछ ऐसे आसान तरीके बताए हैं, जिससे आप घर बैठे आसानी से मिलावट का पता लगा सकते हैं।
दूसरी तरफ, दिवाली पर आतिशबाजी भी जमकर होती है। डिमांड ज्यादा होने की वजह से बाजारों में ब्रांडेड आतिशबाजी वाले उत्पादों के बीच खुले मिलने वाले कुछ बम-पटाखे भी धड़ल्ले से बिकते हैं। जिनको बनाने में अनट्रेंड कारीगर सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखते। बीते दिनों लुधियाना में ऐसी ही खतरनाक आतिशबाजी से बड़ा हादसा हो गया था। छोटा सा पटाखा बम जितनी ताकत के साथ फूटा तो एक बच्चे की आंख खराब होने के अलावा दो अन्य जख्मी हो गए थे। लिहाजा प्रदूषण बढ़ाने वाले और देसी-मार्का आतिशबाजी के उत्पादों को खरीदने से बचा जाए। ताकि खुशियों के इस पावन पर्व पर अनहोनी से बचा जा सके।
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