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मुद्दे की बात : सिंथेटिक ड्रग सबसे बड़ा खतरा

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अमेरिका में डॉ.गुप्ता इसके खिलाफ चला रहे मुहिम

पिछले कुछ सालों में भारत सहित पूरे विश्व में सिंथेटिक ड्रग सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरे हैं। इसकी चपेट में विश्व के लाखों लोग आ रहे हैं, खासकर युवा पीढ़ी। इंटरनेट ने ड्रग्स प्राप्त करने और यहां तक कि इस्तेमाल करने के तरीके को बदल दिया है। कुछ बटनों के क्लिक से ये बेहद खतरनाक ड्रग लोगों को आराम से मिल रहे हैं। जबकि ड्रग माफिया अब आर्गेनिक ड्रग के कारोबार से निकलर सिंथेटिक ड्रग की ओर शिफ्ट हो गए हैं। चूंकि सिंथेटिक ड्रग को पैदा करना आसान है और इसके पैदवार के लिए खेती या दूसरे संसाधनों की जरूरत उतनी नहीं पड़ती है, अभी सबसे अधिक इसका प्रसार है। इस ड्रग के प्रसार को रोकने के लिए विश्व के तमाम देशों को साझा लड़ाई लड़नी होगा। भारत भी इसकी चपेट में आ रहा है और इस ख्रतरे से बचने के लिए भारत-अमेरिका को साझा ऑपरेशन व नीति बनाने की जरूरत है।
इसी ज्वलंत मुद्दे पर राष्ट्रीय समाचारपत्र नवभारत टाइम्स में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट में भारतीय मूल के डॉ. राहुल गुप्ता से खास बातचीत की गई। जो अमेरिका में नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी के डायरेक्टर हैं। डॉ. राहुल, व्हाइट हाउस ऑफ़िस ऑफ़ नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी का नेतृत्व करने वाले पहले डॉक्टर हैं। वह बाइडेन प्रशासन के साथ ग्लोबल स्तर पर ड्रग के प्रसार के रोकथाम के लिए बन रहे ग्लोबल नीति और एक्शन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अभी वह भारत दौरे पर हैं। जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिका के बीच ड्रग की रोकथाम के लिए बने एक्शन प्लान और भविष्य की रणनीति पर विचार मंथन किया गया। दरअसल दोनों देशों में हाल में ड्रग की मिली अरबों की खेप बड़ी चिंता के रूप में उभरी है।

डॉ.राहुल गुप्ता ने कहा कि अभी पिछले दिनों दिल्ली में 900 किलो की कोकीन की जो बड़ी खेप बरामद की गई थी, वह दोनों देशों के संयुक्त ऑपरेशन और इनपुट की मदद से सफल हुआ। डॉ राहुल गुप्ता के मुताबिक भारत में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने भी ड्रग की रोकथाम में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वहीं अमेरिका, भारत के नशामुक्ति अभियान में हर स्तर पर मदद देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हाल में भारत में जो ड्रग की बड़ी तादाद पकड़ में आई, उसमें भी दोनों देश आगे की जांच मिलकर रहे हैं। पिछले साल जुलाई में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सिंथेटिक ड्रग खतरों से निपटने के लिए एक ग्लोबल गठबंधन की शुरूआत की थी। तब से इस मामले में कई अहम पहल हुई हैं और डॉ. राहुल गुप्ता का भारत दौरा उसी गठबंधन के परिपेक्ष में था। उन्होंने कहा कि जिस तरह आर्गेनिक ड्रग से सिंथेटिक ड्रग की ओर पूरा कारोबार शिफ्ट हुआ वह बेहद खतरनाक ट्रेंड है। उस पर अभी काबू नहीं पाया गया तो पूरे विश्व को इसका खामियाजा भुगतना पकड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में अमेरिका में बाइडेन प्रशासन ने पूरे विश्व को इस खतरे से निबटने के लिए एक के बाद एक ऐसी कई कोशिशें कीं, जिसका असर अब दिखने लगा है, लेकिन अभी लड़ाई बाकी है। उन्होंने कहा कि इस खतरे से निबटने के लिए 155 देशों का गठनबंधन है और भारत की इसमें भूमिका ग्लोबल लीडर की है। उन्होंने कहा कि पिछली बार भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी जब अमेरिका में थे, तब दोनों देशों के बीच ड्रग की रोकथाम के लिए साझा फ्रेमवर्क बना था। उस पर हाल के दिनों में काफी काम हुआ है। डॉ.गुप्ता का मौजूदा दौरा भी उसी फ्रेमवर्क का हिस्सा है। अमेरिकी प्रशासन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ड्रग पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपाय के कई स्तर हैं। सबसे बड़ी चुनौती इसकी ट्रैफिकिंग को रोकना और फिर इससे जुड़े प्लेयर को दबोचना है। इसके लिए काउंटर नारकोटिक्स पर दोनों देशों का ऑपरेशन जमीन से लेकर समुद्र तक हो रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस ड्रग की चपेट में आए लोगों के पुनर्वास, उन्हें सामाजिक मुख्यधारा में लाना भी बड़ी चुनौती है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि इसके बिना प्रयास सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि चार साल पहले के आंकड़े थे कि अमेरिका में 31 फीसद मौत बढ़ी थीं ड्रग की ओवरडोज के कारण, लेकिन इन चार सालों में इसमें 40 फीसदी कमी जरुर आई है। कुल मिलाकर कहें तो डॉ.गुप्ता के मुताबिक चुनौती अभी बरकरार है।

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