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मुद्दे की बात : सन्यास ‘हॉकी की रानी’ का

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देश की शान, संघर्ष की नायाब मिसाल हरियाण्वी-छोरी रानी रामपाल

करीब 16 साल पहले 14 साल की एक लड़की ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक क्वालिफ़ायर के ज़रिए हॉकी की दुनिया में दस्तक दी थी। इसी लड़की ने जब वीरवार को हॉकी को अलविदा कहा तो नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में विदाई समारोह रखा गया। ऐसे बड़े आयोजन के साथ संन्यास लेने वाली भारत की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बन गईं हैं रानी रामपाल।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शाहबाद मारकंडा की रहने वाली देश की महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने वीरवार को जब संन्यास लेने का ऐलान किया तो हॉकी प्रेमियों को बड़ा झटका लगा है। शाहाबाद की बेटी 29 वर्षीय रानी रामपाल ने महिला टीम को ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिलाया था। 2021 में टोक्यो खेलों में चौथे स्थान पर रहीं और यही खिलाड़ी ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी है। रानी रामपाल ने 2008 में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में डेब्यू किया और 254 मैचों में भारत के लिए 205 गोल किए। रानी ने 2020 में भी मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार हासिल किया और उसी वर्ष देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी रानी को सम्मानित किया गया। रानी रामपाल ने द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच बलदेव सिंह से प्रशिक्षण लिया था। उधर, सन्यास लेने के ऐलान के बाद रानी रामपाल ने कहा कि उन्हें यह बड़ा गर्व है कि जो लोग शुरुआत में उनके खेलने का विरोध करते थे, आज अपनी बेटियों को उनके जैसा बनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी के लिए जीवन का सबसे कठिन फैसला वह होता है, जब वो अपने खेल को अलविदा कहे, लेकिन वे उपलब्धि को देखती हैं तो बहुत गर्व भी होता है। महज सात साल की उम्र में पहली बार हॉकी थामने वाली हरियाणा के एक छोटे से शहर शाहाबाद की बेटी ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह देश के लिए 15 साल हॉकी खेलेगी और देश की कप्तान बनेगी।

उन्होंने कहा कि इतना मौका और मुकाम बहुत कम लड़कियों को मिलता है। वे इतने समय तक दिल से ही खेलीं, हॉकी ने बहुत कुछ दिया है और बड़ी पहचान भी दी। इतने साल तक खेलने की खुशी है तो दुख भी है कि अब भारत की जर्सी कभी नहीं पहन सकेंगी। उन्होंने कहा कि माता-पिता ने उनके लिए गरीबी के बीच कड़ा संघर्ष किया तो उन्होंने भी उसी समय ठान लिया था कि जीवन में कुछ तो करना ही होगा। मुझे मेरे कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त बलदेव सिंह ने भरोसा दिलाया कि वह हॉकी में बेहतरीन कर सकती है। एक्स पर पोस्ट करते हुए हॉकी इंडिया ने लिखा कि उत्कृष्टता का एक युग समाप्त हो गया। आज हम एकमात्र और एकमात्र रानी रामपाल को विदाई देते हैं, जो एक दशक से अधिक समय से भारतीय हॉकी को परिभाषित करने वाली एक आइकॉन हैं। भारत को अनगिनत जीत दिलाने से लेकर देश के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणा बनने तक, रानी की विरासत हमेशा चमकती रहेगी। रानी आपके बेजोड़ समर्पण, नेतृत्व और जुनून के लिए धन्यवाद। आपने अगली पीढ़ी के लिए रास्ता तैयार किया है और भारतीय हॉकी पर आपका प्रभाव आने वाले वर्षों तक महसूस किया जाएगा।

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