लखनऊ 18 Oct : उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की पहल व उनके निर्देशों के क्रम में क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एंव विश्लेषण केन्द्र की लखनऊ में स्थापना के 20 वर्ष पूरे होने पर संस्था द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यशाला 16 एवं 17 नवंबर, 2024 को खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता विषय पर उद्यान भवन परिसर में आयोजित होगी। उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति व इस क्षेत्र में लोगों को विस्तार से जानकारी देकर जन जागरुकता लाई जाय। इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला प्रायोजित की गयी है। इस कार्यशाला में
खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय का परिचय,खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता अभ्यास, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में अवसर, FOSTAC प्रशिक्षण और प्रमाणन
खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियाँ (कैनिंग, कूलिंग, निर्जलीकरण), खाद्य मिलावट (लाइव प्रदर्शन), गुणवत्ता नियंत्रण और आश्वासन, HACCP और GMP सिद्धांत, खाद्य पैकेजिंग और लेबलिंग, विनियमन और मानक, मूल्यांकन और उत्पाद, विकास बैंक वित्त (सरकारी योजना) आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी जायेगी ।इसमें प्रश्न और उत्तर का सत्र भी होगा ।
निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग श्री विजय बहादुर द्विवेदी ने बताया कि यह संस्थान मेगा फूड पार्क विकास परियोजनाओं, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अपने विशेषज्ञों की सहायता से, खाद्य निर्माण में लगे और खाद्य पदार्थों के संपर्क में रहने वाले फूड पार्क श्रमिकों को मानव संसाधन, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा कार्यान्वयन प्रशिक्षण, स्वच्छता और सफाई प्रशिक्षण कार्यक्रम जनमानस को उपलब्ध कराते हैं। एफएसएसएआई अधिनियम के अनुसार खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (एफएसएमएस) योजना अनिवार्य है, आरएफआरएसी इसके लिए यूपी में नामित नोडल एजेंसी है। आर-एफआरएसी को पीएमएफएमई, केवीआईसी, फोस्टैक, पीएमकेवीवाई और एनआईएएम के साथ प्रशिक्षण भागीदार के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया है।
बताया कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केंद्र, (आर फ्रैंक) उद्यान भवन, लखनऊ का गठन प्रदेश में रोजगार सृजन, कृषि एवं औद्योगिक सम्पदा के सदुपयोग, कृषको को उनके उपज का अधिकाधिक मूल्य दिलाने तथा खाद्य सुरक्षा गुणवत्ता परीक्षण, खाद्य निर्माण, अनुसंधान, पैक हाउस, कृषि/खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों आदि की स्थापना कराने में तकनीकी मार्गदर्शन, रोजगार परख प्रशिक्षण कार्यक्रमों का कियान्वयन / संचालन एवं विश्व स्तरीय गुणवत्ता के निर्धारित मानको को ब्यवहार में लाने के उद्देश्य से वर्ष 2004 में किया गया था।
यह संस्थान प्रदेश की उक्त क्षेत्र में कार्य करने एवं मार्गदर्शन करने हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश के क्रम में कार्यरत है। इस संस्थान में अत्याधुनिक विश्वस्तरीय लैब उपकरण स्थापित एवं कियाशील हैं,जिससे उत्पादों की न्यूट्रिशनल वैल्यू, पेस्टीसाइड रेजिड्यू, एमिनों एसिड्स प्रोटीन स्टेराइट्स, एन्टिबायटिक, ट्रासफैट, मेटल्स, माइको बायोलाजीकल पैरामीटर, सेल्फ, पानी की सम्पूर्ण जांच, सी०ओ०डी०, बी०ओ०डी०, मिनरल्स, माईको न्यूट्रिएण्ट्स, जैविक उत्पादों का सम्पूर्ण विश्लेषण, पौष्टिक आहार की जांच आदि के कार्य राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत सरकार के (एफ.एस.एस.ए.आई., एपीडा, ऐगमार्क आदि) मानकों के अनुसार की जाती है।
आर फ्रैंक के निदेशक एस के चौहान ने बताया कि
कार्यशाला और फॉस्टैक के लिए पंजीकरण शुल्क धनराशि रू0-1650 प्रति उद्यमी/व्यक्ति निर्धारित की गयी है।प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने पर प्रतिभागियों को आरएफआरएसी, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दोहरा प्रमाण पत्र और भारत सरकार द्वारा फॉस्टैक प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जायेगा।इस कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले उद्यमियों, छात्रों, महिलाओं आदि को निम्न लाभ प्राप्त हो सकेगें:- खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाना और प्रतिभागियों को उद्यमशीलता कौशल प्रदान करना। प्रतिभागी अपने दैनिक जीवन, शोध कार्य या व्यावसायिक उपक्रमों में व्यावहारिक तरीकों से सीखी गई बातों को लागू करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।
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