सोशल-इंजीनियरिंग फार्मूले के तहत डिप्टी स्पीकर भी बना बाकी जातियां खुश कर सकता है भाजपा नेतृत्व
चंडीगढ़ 18 अक्टूबर। हरियाणा सैनी सरकार की कैबिनेट में सोशल-इंजीनियरिंग पर पूरा फोकस रहा। फिर भी कुछ जातिगत-कसर रह गई। लिहाजा अब इसी फार्मूले के तहत विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर बनाए जा सकते हैं। इसी नजरिए से मंत्री बनने से रह गए विधायक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों को हासिल करने के लिए लॉबिंग में जुट गए हैं। वही उनके सियासी-आका भी अपने चहेतों के लिए सक्रिय हो गए हैं।
जानकारों का मानना है कि भाजपा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद पर उन जातियों को एडज्सट करेगी, जिनका मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व बहुत कम या बिल्कुल नहीं है। यहां गौरतलब है कि सैनी मंत्रिमंडल में रोड जाति का प्रतिनिधि नहीं है। रोड जाति से इस बार दो विधायक चुनकर आए हैं। इनमें घरौंदा से हरविंदर कल्याण और दूसरे सतपाल जांबा हैं। कल्याण तीसरी बार विधायक बने हैं और वह पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी हैं। ऐसे में भाजपा उनके नाम पर दांव खेल सकती है।
हालांकि, इसी पद के लिए मूल चंद शर्मा का भी नाम चल रहा है। मंत्री नहीं बन पाने की भरपाई वह इस पद से करना चाहते हैं। वहीं, तीसरे दावेदार घनश्याम सर्राफ हैं, जो चौथी बार विधायक चुने गए हैं। उधर, डिप्टी सीएम पद के लिए भी कई विधायकों का नाम चल रहा है। बताते हैं कि भाजपा इस पद के लिए किसी पंजाबी विधायक को नियुक्त कर सकती है। पंजाबी समुदाय के 11 उम्मीदवार उतारे थे, इनमें से आठ उम्मीदवार जीतकर आए हैं। आठ पंजाबी विधायकों में से भाजपा ने सिर्फ अनिल विज को मंत्री को बनाया। बाकी सात विधायक आस लगाए हुए हैं। ऐसे में भाजपा एक पंजाबी एमएलए को डिप्टी स्पीकर बना सकती है। इसके लिए दो नाम चल रहे हैं। इनमें जींद के विधायक डा. कृष्ण लाल मिड्ढा और दूसरे यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा हैं। मिड्डा की खट्टर से नजदीकियां हैं।
सैनी-खट्टर की रजामंदी से मिलेंगे पद !
जानकारों का मानना है कि बेशक भाजपा केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन कराने में पूरी दखलंदाजी रखेगा। सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल भी रखा जाएगा। इसके बावजूद सीएम नायब सिंह सैनी के साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की रजामंदी से यह फैसला होगा। दरअसल खट्टर के सीएम पद छोड़ने पर उनके विश्वासपात्र सैनी को यह पद मिला था। ऐसे में साफ संकेत मिलते हैं कि खट्टर व सैनी की जोड़ी ने विस चुनाव में भी तालमेल से ही जीत हासिल कराई है। लिहाजा उनकी नाराजगी पार्टी नेतृत्व भी मोल नहीं लेना चाहेगा।