watch-tv

निगम मुलाजिमों के पीएफ फंड-सैलरी में हो चुका करोड़ों का स्कैम, एक ही मास्टरमाइंड, विजिलेंस की कारवाई या आईवॉश

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

विजिलेंस द्वारा निगम एक्सियन को घोटाला करने के आरोप में गिरफ्तार करने का मामला

(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 16 अक्टूबर। लुधियाना नगर निगम जिसे कोरपोरेशन नहीं कर करप्शन भी कहा जाता है। हाल ही में निगम में पीएसपीसीएल को भुगतान करने की जगह 3.16 करोड़ का घोटाला करने का मामला सामने आया है। जिसमें विजिलेंस टीम की और से नगर निगम में तैनात एक्सियन रणबीर सिंह को गिरफ्तार किया है। हालाकि मामले के मास्टरमाइंड कहे जाते डीएफएओ (डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस एंड अकाउंट्स ऑफिसर) पंकज गर्ग और रिटायर्ड एसई राजिंदर सिंह अभी फरार है। एक्सियन रणबीर सिंह को विजिलेंस ने बुधवार को अदालत में पेश किया। जहां से उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। लेकिन विजिलेंस की यह कार्रवाई सवालों के घेरे में हैं। चर्चा है कि विजिलेंस ने यह कार्रवाई असलियत में की है या सिर्फ आईवॉश किया जा रहा है। क्योंकि निगम में पहले भी मुलाजिमों की सैलरी और पीएफ में करोड़ों रुपए का घोटाला करने का स्कैम सामने आ चुका है। इन मामलों में भी डीएफएओ पंकज गर्ग ही मास्टरमाइंड माने जाते है। यूटर्न टाइम अखबार द्वारा तीन महीने पहले ही इसका खुलासा कर दिया गया था। लेकिन विजिलेंस की और से कई करोड़ों के घोटाले छोड़कर छोटे मामले का ही खुलासा किया गया। हालाकि इस बिजली विभाग को पेमेंट अदायगी के घोटाले में एक्सियन रणबीर सिंह पहले ही मान चुके हैं कि वह पेमेंट वापिस कर रहे हैं। जिसके चलते लोगों में चर्चा है कि निगम में हर महीने हो रहे करोड़ों के घोटाले, जो आज तक लोगों के सामने ही नहीं आ सके, उनके खुलासे करने की जगह, जिन मामलों में पेमेंट वापिस की जा रही है, उन मामलों को सामने लाया जा रहा है। अब देखना होगा कि विजिलेंस द्वारा इन मामलों को उजागर किया जाता है या नहीं।

क्या एक मामला उजागर कर बाकी में बचाव की कोशिश तो नहीं
वहीं चर्चा यह भी है कि नगर निगम में हर महीने करोड़ों रुपए के घोटाले हो रहे हैं। लेकिन कही न कही निगम द्वारा इस एक घोटाले को उजागर कर कही बाकी मामलों में बचाव की कोशिश तो नहीं की जा रही। क्योंकि निगम की फाइनेंस ब्रांच द्वारा एक के बाद एक कई घोटाले किए गए हैं। विजिलेंस भी एक मामले में कार्रवाई कर पीठ थपथपाने में लगी है। हालाकि विजिलेंस अनुसार इस मामले में एक्सियन रणबीर सिंह पहले ही जुर्म कबूल कर चुके हैं। इसी कारण उन्हें रहमदिली के चलते जल्द जमानत भी मिल सकती है। ऐसे में बाकी आरोपी पंकज गर्ग व राजिंदर सिंह की भी जमानत का रास्ता साफ हो जाएगा।

मास्टरमाइंड अभी तक फरार
जानकारी के अनुसार डीएफएओ पंकज गर्ग इस 3.16 करोड़ के घोटाले में मास्टरमाइंड है। क्योंकि डीएफएओ पंकज गर्ग की परमीशन के बिना कोई भी भुगतान नहीं हो सकता। जिसके बावजूद विजिलेंस अभी तक उसे पकड़ नहीं सकी है। हालाकि पंकज गर्ग इस मामले के साथ साथ मुलाजिमों के पीएफ व सैलरी के घोटाले में भी मास्टरमाइंड माने जाते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इतने बड़े घोटाले करने के बावजूद भी विजिलेंस उसे अभी तक नहीं पकड़ सकी।

200 मुलाजिमों की सैलरी का हुआ घोटाला
जानकारी के अनुसार कैग को इंटरनल विजिलेंस माना जाता है। कैग की रिपोर्ट पर ही खुलासा हुआ था कि फाइनेंस विभाग द्वारा फर्जी 44 सफाई सेवक बनाकर उनके खातों में कई साल उसमें सैलरी डाली गई। इस तरह कर करोड़ों रुपए का निगम को चुना लगा। इस मामले की जांच के दौरान यह मामला 200 जाली मुलाजिम बनाकर ठगी मारने का सामने आया। इस मामले में भी पंकज गर्ग आरोपी बने। अभी भी निगम में जाली सफाई सेवक दिखाकर सैलरियों का घोटाला जारी है।

जांच कमेटी के आगे डीएफएओ मान चुके गलती
डीएफएओ पंकज गर्ग द्वारा सैलरी मामले में गठित कमेटी के आगे खुद अपनी गलती मानी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि उनसे गलती से सैलरी डालने के वाउंचर पर हस्ताक्षर हो गए थे। लेकिन इस मामले में यह भी खुलासा हुआ था कि वाउंचर पर अधिकारी द्वारा हर महीने हस्ताक्षर किए जाते थे और महीने करोड़ों रुपए सैलरी के जरिए चुना लगाया जा रहा था। लेकिन फिर भी जांच कमेटी द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया। लोगों में यह भी चर्चा है कि पंकज गर्ग पिछले 10 साल से एक ही पद पर तैनात है। जिसके चलते उनके उच्च अधिकारियों के साथ अच्छी सेटिंग हो चुकी है। इसी के चलते कोई उन पर एक्शन भी नहीं लेता।

पीएफ में भी किया करोड़ों का हेरफेर
निगम के स्कैम यहीं तक सीमित नहीं है। बल्कि फाइनेंस विभाग द्वारा मुलाजिमों के पीएफ में भी करोड़ों का हेरफेर किया गया है। ईपीएफओ ऑफिस द्वारा निगम को नोटिस भी जारी किया गया था। जिसमें बताया था कि 2022-2023 के दौरान मुलाजिमों का सात करोड़ पीएफ जमा ही नहीं हुआ। जबकि पीएफ न जमा होने पर सात करोड़ रुपए जुर्माना लगा है। वहीं निगम को जीएसटी क्लेक्शन के 81 करोड़ भी आए थे। लेकिन डीएफएओ पंकज गर्ग द्वारा ने उक्त पेमेंट से अदायगी करने की जगह 78 करोड़ ठेकेदारों व सैलरी में अदा कर दिए। हालाकि चर्चा है कि पीएफ में भी करोड़ों रुपए का हेरफेर हुआ है।

विजिलेंस पकड़ सकेगी बाकी स्कैम
निगम में सैलरी से लेकर पीएफ तक के मामलों में करोड़ों के घोटाले हुए हैं। लेकिन अब देखना होगा कि विजिलेंस इन स्कैम से पर्दाफाश कर पाएगी या नहीं। विजिलेंस ईडी का छोटा रूप माना जाता है। लोगों में चर्चा है कि तीसरी आंख कही जाने वाली विजिलेंस अगर इन मामलों की जांच करेगी तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।

Leave a Comment