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लुधियाना में नगर निगम के एक्सियन को विजिलेंस ने तीन करोड़ से ज्यादा के घोटाला मामले में कर लिया गिरफ्तार

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एक्सियन के साथ ही डीसीएफए और रिटायर एसई भी इस घोटाले में आरोपी बनाए हैं विजिलेंस ब्यूरो ने

लुधियाना 15 अक्टूबर। यहां घपले-घोटालों के लिए बदनाम नगर निगम की ओएंडएम ब्रांच में तैनात एक्सियन रणबीर सिंह को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया। विजिलेंस ब्यूरो ने तीन करोड़ रुपये के इस घोटाले के मामले में एक्सियन के साथ ही रिटायर हो चुके एसई राजिंदर सिंह और डीसीएफए पंकज गर्ग को नामजद किया गया है।

विजिलेंस प्रवक्ता के मुताबिक नामजद आरोपियों पर 3 करोड़ 16 लाख 58 हजार 421 रुपये की धनराशि के दुरुपयोग का इलजाम है। गिरफ्तार हो चुके एक्सियन रणबीर सिंह एक्सईएन को कल कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों पर यह मामला निगम के ही जोन-सी में तैनात इलेक्ट्रिक पंप ड्राइवर जसपिंदर सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया। जिसके मुताबिक आरोपी रणबीर सिंह ने पीएसपीसीएल को भुगतान करने के लिए निगम के खातों से मई, 2021 से सितंबर, 2022 तक बतौर एडवांस तीन करोड़ से ज्यादा रुपये निकाले थे। इस धन का आरोपी अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत से दुरुपयोग किया।

जांच के दौरान विजिलेंस को एक्सईएन द्वारा निकाली धनराशि का पीएसपीसीएल को भुगतान करने संबंधी कोई दस्तावेजी-सबूत नहीं मिला। इन मामलों को मंजूरी दे दी थी। गहन जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी एसई और डीसीएफए ने भी दस्तावेजों में हेरफेर कर एक्सियन की मदद की थी। जब विजिलेंस को शिकायत मिली तो आरोपी एक्सियन रणबीर सिंह ने घपले वाली राशि वापस निगम खाते में डालनी शुरु की थी। नामजद बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। इस घपले में और भी अधिकारियों की भूमिका होने की आशंका के चलते विजिलेंस आगे जांच जारी रखेगी।

घोटालों का मास्टर माइंड है डीसीएफए पंकज !

तीन करोड़ से ज्यादा का घोटाला पीएसपीसीएल को पैमेंट करने के मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने नगर निगम के डीसीएफए पंकज गर्ग को भी नामजद किया है। यहां गौरतलब है कि 30 जुलाई को ‘यूटर्न टाइम’ ने निगम में सैकड़ों कर्मचारियों के वेतन आदि के नाम पर 5 करोड़ के घोटाले को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसमें खुलासा किया गया था कि डीसीएफए ही इस घोटाले का मास्टर माइंड है। इसी साल जनवरी में इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसमें सेनेटरी इंस्पेक्टर समेत सात आरोपी नामजद हुए थे। वैसे डीसीएफए को भी शोकाज-नोटिस जारी किया गया था। इस मामले में 44 सफाई सेवकों के जाली खाते खोलकर उनमें पैसा ट्रांसफर किया गया था। कैग रिपोर्ट में यह खुलासा होने के बाद भी इस चर्चित अफसर पर बड़े सवालिया निशान लगे थे। करीब दस साल से इसी शहर में जमे इस पावरफुल अफसर का ट्रांसफर ना होना भी हैरानी का विषय है। चर्चाओं के मुताबिक इस अफसर का लाइफ-स्टाइल किसी बहुत सीनियर अफसर जैसा है। वहीं इसके रसूख का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वरिष्ठ अधिकारी तक इसके खिलाफ कार्रवाई की जुर्रत नहीं कर पाते हैं। अब विभाग में चर्चा जोरों पर है कि अगर विजिलेंस ने निगम के बाकी घोटाले में भी गहनता से छानबीन की तो इस चर्चित अफसर की अहम भूमिका सामने आ सकती है।

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