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देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एमरजेंसी का माहौल, नहीं किया मंथन तो छूट न जाए डोर

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सरकारी अनदेखी के मद्देनजर चाइनीज फेब्रिक के समक्ष दम तोड़ती लुधियाना गारमेंट इंडस्ट्री

लुधियाना 14 अक्टूबर। एक समय था जब विंटर होजरी में लुधियाना का नाम शुमार था। पूरे देश में लुधियाना को कपड़ा सप्लाई होता था। लेकिन चाइना से इंपोर्ट हो रहे कपड़े व रेडीमेड गारमेंट्स ने लुधियाना होजरी की ऐसी कमर तोड़ी है कि शायद आने वाले कुछ सालों में शायद ही इंडस्ट्री बच सके। लोगों का यह भी कहना है कि पहले तो सिर्फ चाइना प्रोडक्ट से नुकसान होने की बात कही जाती थी। लेकिन जल्द होजरी इंडस्ट्री का दम घुटते हुए साफ देखा जा सकेगा। चाइना व ताइवान से इंपोर्ट हो रहा कपड़ा सिर्फ लुधियाना ही नहीं बल्कि पूरे भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को प्रभावित कर रहा है। इन सब के पीछे अकेले चाइना ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार भी जिम्मेदार है। क्योंकि चाइना से पहले धड़ल्ले से यार्न आया। फिर कपड़ा और अब रेडीमेड गारमेंट आ रहे हैं। लेकिन सरकार इस पर रोक लगाने में असफल साबित हो रही है। जानकारी के अनुसार विंटर सीजन में ही व्यापारियों को ज्यादा फायदा होता है। जबकि इससे लुधियाना की इकोनॉमी बढ़ती थी। लुधियाना की क्रिएटिविटी को ही उसकी यूएसपी माना जाता था। लेकिन विदेश से आने वाले कपड़े ने क्रिएटिविटी ही खत्म कर दी। जिस कारण इस बार सर्दी का सीजन पिछले 10 दिन से एकदम बैठ चुका है। जिससे व्यापारी काफी डरे हुए हैं।

विंटर फेशन होजरी के नाम से मशहूर था लुधियाना
जानकारी के अनुसार लुधियाना विंटर फेशर होजरी के चलते मशहूर था। जिसके चलते दुनियाभर में विंटर फेशन में इसका डंका बजता था। लेकिन वही होजरियां अब पूरे देश में लगने लगी है। लुधियाना की यूएसपी जिससे पूरी होजरी इंडस्ट्री जुड़ी थी, वह पूरी तरह से खत्म कर दी गई।

मेक इन इंडिया, सिर्फ रह गया नारा
होजरी इंडस्ट्री खत्म होने की कगार पर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेक इन इंडिया का नारा लगाया जाता है। लेकिन वह भी अब सिर्फ नारा ही रहता जा रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार न तो भारत में आधुनिक मशीनरी लेकर आ सकी और न ही सिस्टम डवेलप कर सकी। जिस कारण चाइना लुधियाना में तैयार होने वाले कपड़े व गारमेंट से वैरायटी व क्वालिटी 10 गुना ज्यादा बढ़िया दे रहा है। जिस कारण चाइना लगातार आगे बढ़ रहा है। लेकिन भारत में आज तक चाइना के मुकाबले न तो मशीनरी बनी और न ही कपड़ा बन सका।

भारत से कई गुना आगे है चाइना
जानकारी के अनुसार भारत की और से अगर 10 क्रिएटिविटी की जाती है तो चाइना 50 क्रिएटिविटी कर रहा है। जबकि चाइना के पास इतना माल स्टॉक मे जमा हो चुका है कि अब वह भारत के व्यापारियों को उधार में माल चका रहा है। जबकि भारत में मिलने वाले कपड़े से 15 से 20 रुपए कम कीमत और अच्छी क्वालिटी का चाइना माल तैयार करके भेज रहा है। जिसके चलते धीरे धीरे होजरी चाइना पर निर्भर होती जा रही है।

केंद्र के लुभावने वादे नहीं आए काम
वहीं केंद्र सरकार द्वारा हर होजरी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने और चाइना से आने वाले कपड़े, यार्टन व गारमेंट को रोकने के वादे दिए जाते हैं। लेकिन वह लुभावने वादे भी किसी काम नहीं आए। न तो केंद्र सरकार होजरी इंडस्ट्री को आगे बढ़ा सकी और न ही विदेशी माल आने से रोक सकी। लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री पियूश गोयल द्वारा लुधियाना के होजरी कारोबारियों से मीटिंग की गई थी। जिसमें चाइना से आने वाले यार्न व कपड़े पर रोक लगाने का वादा किया था। लेकिन जीतने के बाद सरकार ने बाहर से आने वाले माल पर ड्यूटी बढ़ा दी, लेकिन उस पर रोक नहीं लगा सके। जिसके चलते आज भी चाइना व ताइवान से माल आ रहा है।

दूसरी स्टेटों को सीधा भेजा रहा रहा माल
वहीं पहले देश की बाकी स्टेटों की और से लुधियाना के होजरी व्यापारियों से माल खरीदा जाता था। लेकिन चाइना द्वारा इस प्रथा को खत्म ही कर डाला। अब चाइना द्वारा यूपी, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, पानीपत समेत कई स्टेटों में सीधा कपड़ा भेज दिया जा रहा है। जिसके चलते अब दूसरी स्टेटों के व्यापारियों ने लुधियाना से माल खरीदना ही बंद कर दिया है। हालाकि अब तो रेडीमेड गारमेंट्स भी सीधे ही तैयार करके भेजे जा रहे हैं। घर बैठे होजरी कस्टर को जो कपड़ा 100 रुपए मिल रहा था, वहीं चाइना 90 रुपए में दे रहा है।

इंडस्ट्री बर्बाादी के यह चार प्रमुख कारण
वैरायटी – लुधियाना में अगर चार वैरायटी तैयार होती है, तो चाइना में 100 तैयार की जा रही है।

क्वालिटी – लुधियाना में अगर कपड़ा क्वालिटी 100 है तो चाइना द्वारा 200 तैयार की जा रही है।

मिनिमम क्वांटिटी – लुधियाना में कपड़े के पूरे थान खरीदने पड़ते थे। लेकिन चाइना द्वारा 2 किलो कपड़ा भी दे दिया जाता है।

कीमत – यहां तैयार होने वाले कपड़े की कीमत 100 है, तो उन्होंने 90-95 में देनी शुरु कर दी।

सरकार को संभलने की जरुरत
वहीं कारोबारी अशोक सामा ने कहा कि यह तो अभी शुरुआत है। अभी संभलने की जरुरत है। केंद्र सरकार द्वाारा अगर इस पर रोक न लगाई तो भारी नुकसान सहना प़ सकता है। ऐसे हालात रहे तो अगले कुछ साल में होजरी का मेक इन इंडिया का नारा सिमटते हुए देखेगें।

कई दूसरी स्टेट ले रही चाइना का कपड़ा
कारोबारी मुकेश गौतम ने कहा कि लुधियाना का कपड़ा बिक नहीं रहा। जबकि चाइना से आ रहा माल सीधे यूपी, दिल्ली, पानीपत व अन्य शहरों में जा रहा है। वहीं से तैयार होता है। अभी विंटर सीजन में खास फर्क नहीं है। उम्मीद है कि अगले दो दिन तक फर्क पड़ जाएगा।

भारत की करंसी जा रही बाहर
कारोबारी दर्शन डावर ने कहा कि इस साल सीजन में बिक्री की रफ्तार कम है। दीवाली तक कारोबार चलने की उम्मीद है। मेरी तरफ से पिछले 20 साल से मीटिंगें तक मुद्दा उठाया जा रहा है। लेकिन इस पर कोई गौर नहीं कर रहा। भारत की करंसी देश से बाहर जा रही है।

लुधियाना के हाथ नहीं रहे मजबुत
कारोबारी संदीप बहल ने कहा कि लुधियाना में तैयार होने वाले  फेब्रिक को अगर इस्तेमाल किया जाएगा, तो उससे हमारे हाथ मजबुत रहेगें। लेकिन चाइना से आया कपड़ा दूसरी स्टेटों में तैयार होगा तो उसका लुधियाना होजरी को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। इस साल सर्दी देरी से पड़ने के कारण कारोबार अभी ठंडा है।

रेडीमेंड पर रोक लगाने में सरकार असफल
कारोबारी सुदर्शन जैन का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा चाइना से आ रहे कपड़े पर ड्यूटी बढ़ा दी है, लेकिन रेडीमेंड गारमेंट पर रोक नहीं लग सकी। सरकार इस पर रोक लगाने में असफल साबित हुई है। चाइना से आ रहा सस्ता कपड़ा लुधियाना की इंडस्ट्री को पूरी तरह खराब कर देगा।

इंडियन गावर्नमेंट कर रही खानापूर्ति
कारोबारी किंटी ठुकराल का कहना है कि जहां चाइना अपनी होजरी इंडस्ट्री को लेकर पूरी सहायता कर रहा है, वहीं इंडियन गावर्नमेंट सिर्फ खानापूर्ति व बड़े बड़े दावे करने में लगी है। भारत सरकार को होजरी इंडस्ट्री पर फोक्स के लिए एमरजेंसी की तरह ट्रीट करना चाहिए।

जब सरकार जागेगी, तब तक हो जाएगी देर
कारोबारी संजू धीर का कहना है कि चाइना अपना गारमेंट इंडिया में इतना डंप कर रहा है कि सरकार समझ नहीं पा रही। जब तक सरकार जागेगी तो इतनी देर हो जाएगी कि संभलना मुश्किल हो जाएगा। देश में बेरोजगारी जैसे परिणनाम देखने को मिल सकते हैं। पंजाब सरकार को भी इस पर फोक्स करना चाहिए। इसका सीधा असर पंजाब की जनता पर पड़ेगा।

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