नगर निगम ने की यूटी प्रशासन से एक करोड़ अनुदान की मांग, कुत्ते के काटने पर देते हैं लाखों रुपये मुआवजा
चंडीगढ़ 13 अक्टूबर। सिटी ब्यूटीफुल में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक कायम है। लगातार कुत्तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी ओर नगर निगम प्रशासन के लिए आवारा कुत्तों की नसबंदी कराना और पीड़ितों को मुआवजा देने एक बड़ी चुनौती बना है। दरअसल आर्थिक-संकट से जूझ रहा निगम प्रशासन महानगर की सड़कों की रिकार्पेटिंग तक नहीं करा पा रहा है।
लिहाजा नगर प्रशासन ने शहर में कुत्तों के काटने के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि के मद्देनजर यूटी प्रशासन से बजट में वृद्धि की मांग की है। निगम ने इस उद्देश्य के लिए पहले 10 लाख रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन हालिया आंकड़ों और मुआवजा दावों को देखते हुए अब निगम ने एक करोड़ रुपए या इससे अधिक का बजटीय प्रावधान की योजना बनाई है।
निगम के स्वास्थ्य विभाग ने कुत्तों की नसबंदी और उनके आंतक से निपटने के लिए प्रशासन से अतिरिक्त वित्तीय सहायता का प्रस्ताव तैयार किया है। निगम प्रशासन के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में कुत्तों के काटने के मामलों में तेजी आई है। जिसके चलते वर्तमान बजट पूरी तरह से नाकाफी साबित हो रहा है।
मुआवजे में दी बड़ी राशि : चंडीगढ़ की आवारा पशु दुर्घटना मुआवजा समिति की अध्यक्षता डिप्टी कमिश्नर करते हैं। समिति पहले ही मुआवजा वितरण शुरू कर चुकी है। हाल ही में दो अलग-अलग मामलों में 5.3 लाख रुपए मुआवजे के रूप में वितरित किए गए। इनमें से एक मामला 2018 का था, जिसमें कुत्ते के काटने से पीड़ित की मृत्यु हो गई थी और उसके परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। दूसरे मामले में 30,000 रुपए का मुआवजा प्रदान किया गया।
पिछले साल नवंबर में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आवारा, जंगली, पालतू और परित्यक्त जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में 10 लाख रुपए तक का मुआवजा निर्धारित किया था। जिसके बाद मुआवजा वितरण की प्रक्रिया तेज हुई है।
पिछली पशुधन जनगणना 2019 के अनुसार चंडीगढ़ में 12,922 आवारा कुत्ते और 11,006 पालतू कुत्ते थे, जो अब और बढ़ने की आशंका है। नगर निगम ने कुत्तों के आंतक को नियंत्रित करने के लिए नए नियम बनाए हैं। जिसमें आक्रामक कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध और कड़े उपायों का समावेश है। हालांकि यूटी प्रशासन ने अभी तक इन नए नियमों को नोटिफाई नहीं किया है।
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