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निगेटिव लोगों से बच कर रहो और टारगेट पर डटे रहो 

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इनसे मिलिये :— राम श्री केमिकल्स के फाउंडर एंड सीईओ एस के राजपूत

 

इनसे मिलिये यह है राम श्री केमिकल्स के फाउंडर एंड सीईओ एस के राजपूत। इनका ताल्लुक हरदोई जिले के बिलग्राम क्षेत्र से हैं लेकिन आज इन्हें पूरी दुनिया जानती भी है और पहचानती भी है। किसान के बेटे एस के राजपूत ने वह कमाल कर दिखाया है जो कम ही लोग कर पाते हैं। इन्होनें अपनी हिम्मत और टैलेंट के बल पर छोटी सी पूंजी से शुरू की गयी कंपनी के व्यापार को दुनिया के बड़े मुल्कों तक पहुंचा दी है। शुरूआत में स्टेशन पर सोए, एक वक्त का खाना खाया लेकिन जो सपने देखे थे उन्हें पूरा करने में हिम्मत नहीं हारी। इन का कहना भी यही है कि निगेटिव लोगों से दूर रहो और जो सोचो उसे पूरा करके दिखाओं दुनिया तुम्हारे कदमों में होगी। एस के राजपूत से बात की शबी हैदर ने।

प्रश्न — अपने बारे में बताइये?

उत्तर — मैं एक किसान परिवार से हूं। मेरे कंसेप्ट क्लियर था कि मुझे बिजनेस ही करना है। शुरूआत नौकरी से हुई क्योंकि पैसे नहीं थे मेरे पास। संघर्ष किया, एक वक्त का खाना खाया रेलवे स्टेशन पर सोया। 2010 में कंपनी शुरू की थी। 9 जून 2010 को जब मैं लखनउ आया था तो कुछ कपड़े और पैसे थे मेरे पास। आज मेरी कंपनी की वैल्यूएशन 100 करोड़ रूपये के आसपास है। हमारे पास कई स्टार्टअप है। दोनों ही स्टार्टआप सरकार से मान्यता प्राप्त हैं और पेटेंट है।

 

प्रश्न — अपने स्टार्टअप के बारे में बताइये?

उत्तर— मेरे दो स्टार्टअप है। एक हेल्थकेयर सेक्टर के लिए। हेल्थबाक्स ओपीडी के नाम से। यह वहां के लिए जहां डाक्टर का सेंसेस नहीं है। मैने देखा कि बंगाल, बिहार, उड़ीसा आदि राज्यों में डाक्टर की कमी है। वहां के लोग झोलाछाप से काम चलाते हैं। मैने ऐसा स्टार्टअप डिजाइन किया कि लोगों को घर पर ही ओपीडी की सुविधा मिल जाए।

 

प्रश्न — सुन कर अच्छा लगता है कि गांव का युवक शहर आया और 100 करोड़ की

उत्तर — कंपनी तैयार कर ली। आप केमिकल के क्षेत्र में कैसे आये?

 

उत्तर — देखिये चूंकि मेरा ताल्लुक किसान परिवार से था हम खेत में दवाइयां आदि डालते थे। तो यह तो मैने उसी समय सोच लिया था कि बिजनेस करना है और केमिकल के क्षेत्र में ही करना है। मैने नौकरी की शुरूआत एक पेसटीसाइड कंपनी से की। वहां का अनुभव मेरे बिजनेस में काम आया और यहां तक सफर तय हुआ।

 

प्रश्न —

जोश और जुनून के साथ अपने टारगेट पर बने रहना है। जो रोजमरर्रा की जरूरते हैं वह बाद में पूरी कर ली जाएगी। पहले पार्टनरशिप में काम किया वह टूटा। फिर प्रोपराइटरशिप में काम शुरू किया कपंनी बनाई। मुझे सहयोग सभी का मिला। सरकार का और दूसरे सभी अन्य लोगों का। मेरा यही मानना है कि यदि आप के पास जोश और जुनून है तो आप को बहुत सारे लोग मिलेंगे। कुछ आप को सपोर्ट करेंगे तो कुछ आप को निगेटिव बात भी करेंगे। बस आप को निगेटिव लोगों से दूरी बना कर रखनी है। मेहनत से कभी मत डरिये।

 

प्रश्न — पेस्टीसाइड पर बहुत सारे आरोप लग रहे हैं?

 

उत्तर — देखिये आरोप की बात ऐसी ही है थोड़ा पीछे जाये तो आजाद थे तो हम 35 करोड़ थे और आज 140 करोड़ हैं। यदि हम पेस्टीसाइड इस्तेमाल नहीं करेंगें तो कैसे खाना खिला पाएंगे। मै उस समय पैदा नहीं हुआ था किताबों में पढ़ता हूं कि भारत में आकाल पड़ गया था। तब हमे अमेरिका ने खिलाया था। आज हम 140 करोड़ है और सरप्लस उगाते हैं। हां मैं मानता हूं कि पेस्टीसाइड का सही इस्तेमाल होना चाहिए। किसान को जानकारी नहीं है कि कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। हमे किसान को एजूकेट करना होगा।

 

प्रश्न — कैसे एजूकेट करेंगें किसान को?

हमारे पास बहुत सारे सिस्टम है आज हर किसान परिवार के पास एंड्रोयड फोन है। आज बहुत सी कंपनियों ने एप बनवा लिये हैं कि कैसे इसको इस्तेमाल करना है। पहले यह होता था कि स्टाफ गया दुकानदार के पास उसने कहा कि यह दवा डालनी है पांच एमएल एक एकड़ में दुकानदार ने कहा कि यह दवा ले जाआ और पांच एकड़ में डाल देना। दुकानदार को ज्यादा मुनाफा कमाना है और ज्यादा दवाई बेचना है। अक्सर किसान यह सोचता है कि यह दवा बचा कर कहां रखूं लाओ पूरी दवा डाल देता हूं। यह बात किसान को बतानी होगी कि ज्यादा दवा से ज्यादा फसल नहीं होगी बल्कि नुसान होगा।

 

प्रश्न — आप का बिजनेस मॉडल क्या है?

उत्तर — हम तीनों स्तर पर काम कर रहे हैं। हम बीटूबी करते है, हम किसान को माल देते हैं और हम कंपनी को भी सप्लाई करते हैं।

 

प्रश्न — लखनउ से बैठकर विदेशो में माल को कैसे भेजते है?

उत्तर — आजकल एआई का जमाना है। आप जितना ज्यादा डिजिटल होंगे और अपने बिजनेस को एआई लैसे कर देंगे उतना बेहतर है। देखिये मैं लखनउ में बैठता हूं लेकिन हमारे वेयर हाउस बागपत में है, सिलीगुडी में, वेस्ट बंगाल में है। सारे वेयर हाउस मैं यहीं से बैठकर मैनेज कर लेता हूं। हमरा एक्सपोर्ट अफ्रीका में हैं कोरिया और जपान भी करते हैं हम गल्फ कंट्रीज भी करते हैं इसके अलावा पूरे विश्व में कहीं से भी हमे आर्डर आता है तो हम उसे भी पूरा करते हैं। यह सब संभव हुआ है 100 फीसदी डिजिटल होने से। गूगल और तकनीक का अच्छे तरीके से मैनेज करेंगे तो सबकुछ संभव हो।

 

प्रश्न — आप ने एआई का बेहतर इस्तेमाल कर बिजनेस सैटल किया लेकिन बहुत से युवा भटकाव के शिकार हो गये?

उत्तर — हयूमन लाइफ हमेशा से दोधारी तलवार है। आजकल मोबाइल का जमाना है, पहले लोग बुक पढ़ते, उपन्यास पढ़ते थे। मै आप को बताउ कि जब मैं लखनउ आया था तो मैने 10 हजार रूपये नौकरी कर कमाये और उससे लैपटॉप फाइनेंस करवाया। यह आप के उपर डिपेंड है कि आप तकनीक का इस्तेमाल किस रूप में करते हैं। आप तकनी के जरिये पूरी दुनिया से कनेक्ट हो सकते है। आपनी बात कर सकते हैं, अपने लिए रास्ते बना सकते हैं। मैं युवाओं से यही अपील करूंगा कि पहले अपना कैरियर बनाए फिर मनोरंजन की सोचे। यह लैपटॉप, मोबाइल का सही इस्तेमाल करें।

 

प्रश्न — परिवार में कौन—कौन लोग हैं?

उत्तर — हम चार भाई है दो भाई पैतृक काम संभालते हैं एक भाई बैंकर है। मेरे पिता किसान है मेरी शादी जबलपुर की लड़की से हुई है। अभी चार महीने पहले मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ती हुई है। श्रीमति जी गर्वनमेंट कॉलेज में प्रोफेसर थी अभी हमारे साथ बिजनेस में इन्वाल्व है वह कंपनी की डायरेक्टर है। बस चल रहा है ठीक ठाक सबकुछ।

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