बोग्स बिलिंग खेल : कमी सिस्टम की, मालामाल ठग, फंसेगें कारोबारी
लुधियाना 11 अक्टूबर। लुधियाना जिले में बोग्स बिलिंग का धंधा लगातार फल फूल रहा है। हालात यह हैं कि किराए के कमरों में ऑफिस बनाकर वहीं से ही केंद्र सरकार को कई हजार करोड़ रुपए का चुना लगा दिया जा रहा है। हालाकि जीएसटी विभाग द्वारा इन मामलों में ठग तो पकड़ लिए जाते हैं, लेकिन फिर इस ठगी की भरपाई बेगुनाह कारोबारियों से करवाई जा रही है। केंद्र सरकार व जीएसटी विभाग के सिस्टम में कई छेंद होने का नतीजा कारोबारियों को भुगतना पड़ रहा है। ताजा मामला मंडी गोबिंदगढ़ का सामने आया है। जहां पर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम द्वारा बोग्स बिलिंग करने वाले दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया गया है। जिनकी और से जाली डमी फर्में बनाकर कुछ महीनों में ही 717 करोड़ रुपए की बोग्स बिलिंग करके केंद्र सरकार के साथ ठगी कर ली गई। इस मामले में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) की और से दोनों सगे भाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों की पहचान मंडी गोबिंदगढ़ की गुरमुख सिंह कॉलोनी के रहने वाले मनीष और उसके भाई अमित के रुप में हुई है।
कई ठिकानों पर रेड, 4 दर्जन एटीएम बरामद
डीजीजीआई की टीम द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनसे पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान आरोपियों से कई खुलासे हुए हैं। जबकि टीम द्वारा आरोपियों की निशानदेही पर उनके ऑफिशियल व रेजिडेंशियल स्थानों पर रेड की गई। जहां पर चार दर्जन तो एटीएम कार्ड ही बरामद हुए हैं। इसके अलावा 11 मोबाइल फोन, 7 पेन ड्राइव, 2 लैपटॉप, कई बैंक खातों से जुड़ी 56 चेक बुक, 27 पहचान दस्तावेज, 7 टिकट व कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
फर्जी चालान व आईटीसी के जरिए 100 करोड़ टैक्स चुराया
अधिकारी के अनुसार आरोपियों द्वारा पहले लोगों के दस्तावेजों के आधार पर जाली फर्में खोली जाती थी। जिसके
लॉट किए जाते हैं और फिर ठगियां हो जाती है। मगर विभाग को पता ही नहीं चल पाता।
बदनाम हो रही इंडस्ट्री
वहीं कारोबारी केके गर्ग ने कहा कि बोग्स बिलिंग होने से इंडस्ट्री बदनाम हो रही है। सरकार द्वारा स्क्रैप पर 2 प्रतिशत टीडीएस लगाने की स्कीम लाई गई है, जो कि 10 अक्टूबर को लागू होगी। अब देखना होगा कि यह स्कीम कितनी कामयाब होती है। लेकिन हर
बाद उन फर्मों के नाम पर जीएसटी नंबर अप्लाई किया जाता था। फिर उन फर्मों के फर्जी चालान काटे गए और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) किए गए। इस तरह करके आरोपियों द्वारा 100 करोड़ रुपए का टैक्स चोरी किया गया।
एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी के खातों में जाती थी रकम
अधिकारियों के अनुसार दोनों आरोपियों ने फर्जी फर्मों का एक संगठन बना रखा था। आरोपियों की और से धोखाधड़ी से प्राप्त आईटीसी को मध्यस्थ कंपनियों तक पहुंचाते थे। धोखाधड़ी की गई धनराशि को सात एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी) खातों में भेज दिया जाता ता। उन खातों से आरोपियों द्वारा अब तक एक ही बैंक ब्रांच से 717 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकलवाई गई थी।
जीएसटी विभाग की लापरवाही ठगों के लिए शह
जानकारी के अनुसार यह पहला जीएसटी ठगी का मामला नहीं है। करीब डेढ़ महीना पहले भी लुधियाना में मिल्लरगंज इलाके में तीन दोस्तों ने मिलकर बोग्स बिलिंग करके करीब 200 करोड़ की ठगी की थी। जीएसटी विभाग की लापरवाही और सिस्टम ही इन ठगों को शह दे रहा है। हालाकि पहले जीएसटी विभाग द्वारा किसी भी फर्म को जीएसटी नंबर देने के लिए तीन तरह प्रक्रिया शुरु की थी। तीन स्टैप पार करने के बाद जीएसटी नंबर मिलना था। लेकिन न तो वह प्रक्रिया शुरु हुई और न ही ठगी रुक सकी। वहीं चर्चा यह भी है कि कई विभागीय अधिकारी भी इन ठगियों में शामिल होते हैं, इसी के चलते इतने बड़े सत्र पर पहले फर्जी फर्मों को जीएसटी नंबर अ
बार केंद्र सरकार व जीएसटी विभाग ठगियां रोकने को नई स्कीम लेकर आता है, लेकिन ठग उन स्कीमों का भी हल निकाल लेते हैं।
ठगों की सिर्फ अरेस्ट, नुकसान कारोबारी का होगा
कारोबारी संदीप जैन ने कहा कि जीएसटी विभाग के सिस्टम में ही कई दिक्कतें हैं, सरकार इसे चैक नहीं करती। जिसका फायदा ठग उठा रहे हैं। संदीप जैन ने कहा कि ठगों को तो ढूंढकर पुलिस अरेस्ट कर लेती है। उनसे रिकवरी कुछ नहीं हो पाती। जबकि रिकवरी
सारी कारोबारियों से की जाती है। जिन कारोबारियों ने असली बिल काटे, उन्हें क्या पता कि किसी ने बोग्स बिल भी लगा दिए हैं। जब ऐसा ठगी का मामला सामने आता है, तो कारोबारी द्वारा लिया इनपुट टैक्स क्रेडिट वापिस ले लिया जाता है।
बोग्स बिलिंग बन चुकी रुटीन
वहीं कारोबारी नारायण सिंगला ने कहा कि बोग्स बिलिंग रुटीन ही बन चुकी है। रोजाना ही बोग्स बिलिंग के मामले सामने आ रहे हैं। आरोपी तो अपना पैसा कमाकर साइड़ पर हो जाते हैं। ले देकर तो कारोबारी ही फंसता है। केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देने की जरुरत है। ऐसे हालातों में व्यापारी को व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा। यह मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इन पर नकेल डालने को मजबुत सिस्टम की जरुरत है।