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अब प्रदूषित बुड्‌ढे नाले की हकीकत जानने को आने वाली है सेंट्रल टीम

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केंद्र ने पंजाब के अफसरों से जवाब-तलब कर गहन विचार-विमर्श के बाद लिया यह फैसला

लुधियाना 8 अक्टूबर। महानगर से गुजरने वाले बुड्‌ढे बुड्ढे नाले के प्रदूषित होने का मामला केंद्र तक गर्माया हुआ था। इस चुनौतीपूर्ण समस्या को हल करने की मंशा से अब केंद्र सरकार की एक स्पेशल टीम जल्द ही यहां आ सकती है। जो बुड्‌ढे नाले का जायजा लेकर जमीनी हकीकत जानेगी। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में जल संसाधन मंत्रालय की सेक्रेटरी विन्नी महाजन की देखरेख में दो दिन पहले हाई लेवल मीटिंग हुई थी। जिसमें स्पेशल टीम लुधियाना भेजने का फैसला किया गया। दरअसल मीटिंग में बुड्‌ढे नाले की सफाई वाले प्रोजेक्ट पर गंभीर चर्चा हुई। इस दौरान पंजाब से लोकल बॉडीज, साइंस एंड टैक्नोलॉजी और जल संसाधन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, नगर निगम कमिश्नर व पीपीसीबी और पेडा के सीनियर ऑफिसर शामिल रहे थे।

केंद्र ने पंजाब से किया जवाब-तलब :

बताते हैं कि इस मीटिंग में पंजाब के संबंधित विभागों के अफसरों से जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्र सरकार की ओर से दोटूक जवाब-तलब किए। अफसरों से सीधे मालूम किया गया कि आखिर कई सौ करोड़ खर्च करने के बावजूद बुड्‌ढे नाले में प्रदूषण की समस्या का समाधान क्यों नहीं हो रहा है। साथ ही इस समस्या से जुड़े तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। अफसरों से यह भी मालूम किया गया कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही आगे क्या लाइन ऑफ एक्शन होना चाहिए। इस संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्र सरकार की टीम को बुड्ढे नाले के प्रदूषण की समस्या को लेकर जमीनी हकीकत जानने के लिए भेजने की सहमति बनी। इस टीम में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, सीपीसीबी के साथ ही पंजाब सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल रहेंगे। जिनकी ज्वाइंट रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की रणनीति पर अमल किया जाना है।

जानलेवा बीमारियां फैलने से संवेदनशील बन गया यह मुद्दा :

बुड्ढे नाले के प्रदूषण की समस्या का असर मालवा से लेकर राजस्थान तक देखने को मिल रहा है, जहां कैंसर व अन्य जानलेवा बीमारियां फैलने को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ है जिसके तहत एन.जी.ओ. के सदस्यों द्वारा काले पानी का मोर्चा के बैनर तले पहले बुड्‌ढे नाले के सतलुज दरिया में मिलने वाले और फिर सी.ई.टी.पी. के डिस्वार्ज प्वाइंट पर बांध लगाने की चेतावनी दी गई है जिसके मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा इस हालात में सुधार लाने का कंट्रोल अपने हाथों में लेने का फैसला किया गया है।

केस एनजीटी में विचाराधीन :

बुड्ढे नाले के प्रदूषण की समस्या ज्वलंत बन चुकी है। इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी केस चल रहा है। जिसका यह प्रभाव रहा कि बुड्‌ढे नाले में सीधे सीवरेज का पानी गिरने से रोकने को इसके किनारों पर पाइप लाइन बिछाने व पम्पिंग स्टेशन बनाने के साथ ही ट्रीटमेंट प्लांट की अपग्रेडेशन की गई। अब एनजीटी ने सभी डाइंग यूनिटों का सर्वे करने के निर्देश दिए। ताकि पता चल सके कि डाइंग यूनिटें कितना पानी जमीन में से निकाल रही हैं और उनका कितना हिस्सा डिस्चार्ज करती हैं। एनजीटी ने इस पानी में प्रदूषण के स्तर की जांच करने के निर्देश भी दिए थे।

उद्यमियों का दोटूक सुझाव, इंडस्ट्री को साथ लेकर ही कोई भी फैसला करे केंद्र की टीम

केंद्रीय टीम द्वारा बुड्‌ढे नाले का जायजा लेने की जानकारी मिलते ही उद्यमी भी सक्रिय हो गए। विभिन्न औद्योगिक संगठनों से जुड़े नामी उद्यमियों ने केंद्र व राज्य सरकार को दोटूक सुझाव दिया कि इंडस्ट्री को भरोसे में लेकर ही इस बारे में कोई फैसला लिया जाए।

एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट रजनीश आहूजा ने तो इस मामले में पंजाब के साइंस एंड टैक्नोलॉजी महकमे के सेक्रेटरी को पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में जल मंत्रालय की सेक्रेटरी विन्नी महाजन की अध्यक्षता में मीटिंग के दौरान अहम फैसला लिया गया। जिसके मुताबिक दिल्ली से एक टीम आकर बुड्डा नाले के प्रदूषण की जमीनी हकीकत जानेगी। आहूजा ने आग्रह किया कि विशेष टीम के इस प्रस्तावित दौरे के वक्त इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को भी साथ लिया। कोई भी अंतिम निर्णय लेते समय उद्यमियों के सुझावों पर विचार किया जाए।

इसी क्रम में टैक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े नामी उद्यमी अजीत लाकड़ा ने भी सरकार को अहम सुझाव दिए। उन्होंने भी जोर देकर कहा कि केंद्रीय टीम के दौरे के समय इंडस्ट्री को भरोसे में लिया जाए। उन्होंने आशंका जताई कि स्थानीय विभागीय अधिकारियों की भ्रामक प्रतिक्रिया के आधार पर उच्चाधिकारी (केंद्रीय टीम) जल्द ही सभी उद्योग क्षेत्रों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज यानि जेडएलडी लागू कर सकते हैं। इस निर्णय के घातक परिणाम होंगे। दरअसल लगभग 50 फीसदी छोटे उद्योग जेडएलडी की महत्वपूर्ण पूंजी और परिचालन लागत को वहन करने में असमर्थ हैं। ऐसे में वे बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगे। ऐसे में केवल बड़े-समृद्ध व्यवसाय ही बचेंगे। जिससे उत्पाद की कीमतों में वृद्धि होगी और उद्योग मुकाबले से बाहर हो जाएगा। जिसका असर कामगारों के रोजगार पर भी पड़ेगा। लाकड़ा ने आगाह किया कि अब  उद्यमियों के एकजुट होने, एक मंच पर खड़े होने और सरकार को सही सुझाव देने का वक्त है। इसके लिए सरकार से उद्योगों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का आग्रह करने की जरुरत है।

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