वेस्ट-एशिया में बढ़ते तनाव के चलते शेयर मार्केट पर असर, माहिरों की राय में गिरावट के हैं कई कारण
लुधियाना 7 अक्टूबर। पश्चिम एशिया में बढ़ रहे तनाव के बीच घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का दौर लगातार छठे दिन जारी रहा। सोमवार को शुरुआती कारोबार में बढ़त हासिल करने के बावजूद बाजार के प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए।
जानकारी के मुताबिक सेंसेक्स 638.45 (0.78%) अंकों की गिरावट के साथ 81,050.00 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं दूसरी ओर, निफ्टी 218.85 (0.87%) अंक फिसलकर 24,795.75 पर पहुंच गया। चीन की ओर से पिछले हफ्ते वैश्विक निवेशकों को लुभाने के लिए किए गए ऐलानों के बाद भारतीय बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 37,000 करोड़ रुपये बाहर निकाले हैं।
माहिरों का है यह मानना :
–लुधियाना स्टॉक एंड कैपिटल लिमिटेड के चेयरमैन टीएस थापर शेयर मार्केट में गिरावट की कई वजह मानते हैं। चीन द्वारा विदेशी निवेशकों को लुभाने से 15-20 हजार करोड़ की खरीदारी होने का बड़ा असर है। इधर, देश में हरियाणा-जेएंडके के चुनावी नतीजों के चलते भी निवेशक आशंकित है। इस सबके बीच आम निवेशक हालात नहीं समझ पा रहा। अगर तकनीकी पहलुओं से बाजार में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में और गिरावट देखने को मिलेगी। बायर के आने से हालात सुधरने की उम्मीद है।
–एलएससी सिक्योरिटी के चेयरमैन अश्वनी गुप्ता थोड़ी अलग राय रखते हैं कि पुराने माहौल व आंकड़ों का आंकलन करें तो बाजार में बहुत बड़ी गिरावट नहीं आई। गिरावट की वजह, फॉरेन बायर्स का सेलर बन जाना है। उन जैसे बायर्स को चाइना मार्केट भारतीय बाजार की तुलना में बेहतर लग रही है। लिहाजा फ्लो उधर शिफ्ट हो गया है। गौर करें तो पिछले कुछ सालों से भारतीय बाजार में गिरावट आती रही है। चिंता सिर्फ इस बात की है कि अगर भारतीय बाजार के खरीदार बाहरी मार्केट में शिफ्ट होकर सेलर बन गए तो यहां गिरावट आएगी। अगर उन्होंने सिर्फ खरीदारी भी बंद कर दी तो बाजार को तब भी और झटका लगेगा।
–लुधियाना स्टॉक एंड कैपिटल लिमिटेड के डायरेक्टर चैतन्य थापर भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं। उनके मुताबिक बेसक वेस्ट-एशिया में तनाव शेयर बाजार में गिरावट की एक वजह हो सकती है। तकनीकी पहलू से देखें तो बाजार जिस तेजी से चढ़ता है तो न्यूटन-लॉ की तरह नीचे भी गिरता है। दरअसल बाजार करैक्शन मांग रहा है। जब बाजार चढ़ा तो कुछ ऐसे-वैसे भी दौड़ में शामिल हो गए। ऐसे में स्मार्ट इन्वेस्टर किनारे हो गया। जो औसतन 15-20 फीसदी होते हैं, बाकी निवेशक स्थिर है। अकेले सितंबर में करीब एक लाख करोड़ के नए आईपीओ आए। उनमें निवेश कर स्मार्ट इन्वेस्टर बाहर भी होने लगे हैं। हालांकि यह घबराने वाली स्थिति नहीं है।
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