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मुद्दे की बात : विदेश मंत्री का प्रस्तावित पाक दौरा

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क्या इस कदम से दोनों मुल्कों के रिश्ते सुधारेंगे ?

नौ साल में पहली बार भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर पाकिस्तान जाने वाले हैं। वो 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाली एससीओ की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की तरफ से ये जानकारी दी गई। जिसके बाद से ही यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियों में आ गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश मंत्री एस.जयशंकर का यह दौरा काफी अहम होने वाला है। विदेश मंत्रालय की तरफ से साफ कहा गया है कि विदेश मंत्री का यह दौरा एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए है और इसे शांति पहल के रूप में नहीं देखा जा सकता है। नवभारत टाइम्स ने इसी नजरिए से अपने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि विदेश मंत्री को पाकिस्तान भेजने का यह फैसला भारत की एससीओ को लेकर प्रतिबद्धता दिखाता है। एससीओ क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है। भारत एससीओ को बहुत गंभीरता से लेता है।

यहां काबिलेजिक्र कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते फ़रवरी 2019 से ही तनावपूर्ण हैं। हालांकि, भारत हमेशा से कहता आया है कि वह पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारना चाहता है। इसके लिए भारत ने यह भी साफ़ किया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद और हिंसा पर लगाम लगानी होगी। विदेश मंत्री की भागीदारी की घोषणा करते हुए, एमईए के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह यात्रा एससीओ के बारे में है और इससे ज्यादा नहीं पढ़ा जाना चाहिए। यह यात्रा इस बात को भी रेखांकित करती है कि भारत यूरेशियन ब्लॉक को कितना महत्व देता है। वहीं भारत के आखिरी उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने कहा कि अब गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में है, क्योंकि जयशंकर को भेजकर भारत ने एक साहसिक कदम उठाया है, जो इस परेशान रिश्ते को स्थिर करने की अपनी इच्छा का संकेत देता है। पाकिस्तान को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और मेजबान के रूप में एससीओ के मौके पर एक सार्थक द्विपक्षीय बातचीत का प्रस्ताव रखना चाहिए।

यहां बता दें कि एससीओ, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं, एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन है। यह क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए काम करता है। भारत ने 2022 में एससीओ की अध्यक्षता की थी और डिजिटल शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। भारत 2005 से एससीओ का सदस्य रहा है और 2017 में पूर्ण सदस्य बना था। पाकिस्तान भी 2017 में भारत के साथ एससीओ का स्थायी सदस्य बना था।

खैर, विदेश मंत्री के दौरे का मकसद और मंशा बिल्कुल साफ है। फिर भी एससीओ की बैठक जब पाकिस्तान की मेजबानी में हो रही है तो वहां भारतीय विदेश मंत्री का जाना ही अपने आप में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देखना यह होगा कि इसे लेकर पाकिस्तान का रवैया कैसा रहता है।

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