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मुद्दे की बात : क्या ‘बेलगाम’ कंगना पर नहीं कसेगी लगाम

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सांसद कंगना का राष्ट्रपिता पर फिर तंज, भाजपा चुप

बीजेपी सांसद व अभिनेत्री कंगना रनौत वाकई बेलगाम हो चुकी हैं। भाजपा नेतृत्व की सख्त हिदायत के बावजूद वह उल्टे-सीधे बयान देने से बाज नहीं आ रहीं। ऐसे में अब देश की जनता ने तो उनको गंभीरता से लेना छोड़ दिया, लेकिन इस मामले में केंद्र में सत्तासीन भाजपा की ‘लाचारी’ पर सभी हैरान हैं। किसानों पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद बीजेपी ने अपनी सांसद कंगना को काफी ‘ज्ञान’ दिया था। शायद उन पर कोई असर नहीं हुआ। नतीजतन गांधी जयंती पर सांसद कंगना ने सीधे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर तंज कस दिया। जिसे महात्मा गांधी के अपमान से जोड़कर देखा जा रहा है। कंगना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा कि ‘देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं। धन्य हैं, भारत मां के ये लाल‘  इसके नीचे उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री की फोटो लगाई।

कंगना रनोट द्वारा इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाली गई पोस्टराष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ ही भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्री की जयंती भी होती है। कंगना ने लाल बहादुर शास्त्री की जयंती को लेकर ही यह पोस्ट डाली। हालांकि इस पोस्ट के जरिए उन्होंने महात्मा गांधी पर ही तंज कसा है, ऐसा साफ लगता है। लगे हाथों कंगना ने अन्य वीडियो पोस्ट में यूटर्न लेते राष्ट्रपिता को सम्मान देते कहा कि स्वच्छता भी इतनी ही जरूरी है, जितनी आजादी। महात्मा गांधी के इस दृष्टिकोण को आगे ले जा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इस अभियान की थीम है, स्वभाव स्वच्छता और संस्कार स्वच्छता। यही हमारे भारतवर्ष की संपत्ति व धरोहर है। संस्कार और स्वभाव में हमारा देश सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी बुजुर्गों, बच्चों व महिलाओं के लिए संवेदनशील हो।

कुल मिलाकर सांसद कंगना के इस अजीबो-गरीब बयान पर फिर बवाल हो रहा है। भाजपा में ही नेता फिर से इस मुद्दे पर दोफाड़ दिख रहे हैं। जब केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से चंडीगढ में मीडिया ने सवाल किया तो वह हैरान हो गए। फिर उन्होंने हाथ जोड़ते हुए पल्ला झाड़ने वाले अंदाज में बोले कि बापू ने कहा था बुरा सुनते हो तो अपने कान बंद कर लो। हालांकि भाजपा के सीनियर नेता हरजीत ग्रेवाल ने फिर तीखे तेवर दिखाते कहा कि कंगना ने गांधी जी को लेकर जो बयान दिया, बहुत शर्मसार करने वाला है।उन्होंने महात्मा गांधी को तो पसंद नहीं किया, लेकिन उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री को पसंद किया। कोई उन्हें बताए कि लाल बहादुर शास्त्री ही सबसे बड़े गांधी के पैरोकार थे। अगर आप शिष्य का सत्कार कर रहे और उसके मार्गदर्शक का अपमान कर रहे हो तो यह कहां की बुद्धिमानी है। कंगना का विचार नाथरामू गोडसे का विचार है। मैं समझता हूं कि मंडी के लोगों से गलती हो गई गई। भगवान उसे सदबुद्वि दें।

पंजाब में कांग्रेस के सीनिय नेता राजकुमार वेरका ने सीधे इलजाम लगाया कि सांसद कंगना देशविरोधी बातें कर रही हैं। हम बार-बार मांग कर रहे हैं कि इसके खिलाफ देशद्रोह का केस होना चाहिए। बीजेपी ना तो इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रही है, ना ही कोई अन्य कार्रवाई कर रही है।  हैरानी इस बात की है कि गांधी जंयती पर की यह टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी के चरणों में पुष्पमाला अर्पित कर रहे थे तो दूसरी तरफ सांसद कंगना महात्मा गांधी को गाली निकाल रही थी। इस बारे में बीजेपी अपनी नीति स्पष्ट करे। साथ ही कंगना पर कार्रवाई करें।

खैर, ऐसा कोई पहली बार नहीं है, जब कंगना ने महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दिया है। इससे पहले ही कई मौकों पर वह राष्ट्रपिता पर तंज कस चुकी हैं। साल 2021 में 17 नवंबर  भी कंगना बापू पर एक विवादित बयान देकर सुर्खियों में आईं थीं। उस समय कंगना ने दावा किया था कि आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाषचंद्र बोस और शहीद भगत सिंह को महात्‍मा गांधी से समर्थन नहीं मिला। इसके साथ ही कंगना ने महात्मा गांधी द्वारा दिए गए ‘अहिंसा के मंत्र’ का भी मजाक बनाते हुए कहा था कि एक और गाल आगे करने से आपको भीख मिलती है, आजादी नहीं। इतना ही नहीं, कंगना ने लिखा था कि अपने हीरोज को बुद्धिमानी के साथ चुनिए।

शायद कंगना को नहीं पता कि गांधी जी को महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू के नाम से लोग जानते हैं। 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को देश का पिता यानि राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’। उन्होंने गांधी जी को यह उपाधि इसलिए दी, क्योंकि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और उन्होंने देश को एकजुट किया था। तब से उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है। समाज का एक बड़ा बुद्धिजीवी वर्ग तो यह मानता है कि कंगना सरीखे लोगों को बेवजह अहमियत देना समाज हित में नहीं है। ऐसे लोगों के बयान ही नजरंदाज कर देने चाहिएं। हां, यह जरुर है कि ऐसा कोई व्यक्ति जब संवैधानिक पद पर बैठा हो तो सरकार को जरुर उस पर अंकुश लगाना चाहिए।

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