लुधियाना 02 अक्तूबर : अमृतवाणी सत्संग धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रमुख संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने श्री राम शरणम् , श्री राम पार्क में प्रातः परम पूज्य श्री प्रेम जी महाराज का प्रकट उत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया । सभी उपस्थित साधकों ने महाराज को पुष्पांजलि अर्पण की । संत बेदी जी ने कहा कि पूज्य प्रेम जी महाराज जैसे संत युगों में एक ही आते है ।,
से की सभा में विजय दशमी के नवरात्रों के उपलक्ष में ‘ श्री रामायण ज्ञान यज्ञ ‘ को आरंभ करते हुए सन्त अश्वनी बेदी जी ने कहा कि हमारा भारत देश महान है | जिसमें रघुकुल भूषन भगवान श्रीराम चंद्र जी महाराज ने अवतार लिया | उनके समान मर्यादा रक्षक आज तक दूसरा कोई नही हुआ |
संत अश्वनी बेदी जी ने कहा कि श्रीराम चंद्र जी महाराज धर्म की रक्षा और जगत के कल्याण के लिए ही अवतरण हुए थे | वे साक्षात पूर्ण ब्रह्म परमात्मा थे | लेकिन उन्होंने अपने आपको सबके सामने एक सदाचारी आदर्श मनुष्य ही सिद्ध किया |
संत बेदी जी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की आदर्श लीला और चरित्रों के पाठ करने से , पाठ सुनने और समरण करने से हृदय में पवित्र निर्मल भावनाओं की लहरें पैदा होने लग जाती हैं |
संत अश्वनी बेदी जी ने कहा कि आदि कवि महिर्ष वाल्मीकी के कथन अनुसार रामायणी काल भारत का स्वर्ण काल था | कारण ये कि भारत में लोग माता-पिता के भक्त थे | पतियों – पत्नियों में पूरा प्रेम था , दोनों एक दिल दो जान होकर रहते थे | भाई -बहनों में पूरा प्रेम था | रामायणी युग में लोगो का पारिवारिक जीवन बहुत ही उत्तम था |
संत बेदी जी ने कहा कि रामायण काल में भारत देश की अवस्था का वर्णण करते हुए महिर्ष वाल्मीक जी महाराज का कथन है कि:-
“ मिले दीन अनाथ ना वहाँ , भूख पीड़ित जन कहीं |
कर्ण कुण्डल मुकुट मस्तक , बिना भूषन तन वहीं || “ (वाल्मीकीय रामायणसार)
इसकी व्यरव्या करते हुए संत बेदी जी ने कहा कि रामायण काल में अयोध्या में कोई भी अनाथ नही है | कोई भी मनुष्य भूखा नही मिलता | खान पान सबको प्राप्त है | ऐसा कोई भी मनुष्य नही दीखता जिसका कानों में कुण्डल ना हों ,हाथों में कंकण ना दीखे , अँगुली में अंगूठी ना मिले , सिर पर मुकुट ना हो और गले में माला ना दिखाई दे | लोगों कि आर्थिक अवस्था उत्तम है |
संत अश्वनी बेदी जी ने कहा कि रामायण काल में अयोध्या में कोई भी मनुष्य आतताई , अत्याचारी और देशद्रोही ढूँढने पर भी नहीं मिलता था |
संत बेदी जी ने कहा कि श्री रामायण जी का पाठ करना बड़ा भारी पुण्य कर्म है | जो भी पूरे प्रेम से श्री रामायण जी का पाठ करता है वह पुण्य सुरूप हो जाता है | उसके परिवार में सुख शांति स्थापित हो जाती है |
संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने कहा कि महिर्ष वाल्मीक द्वारा रचित रामायण जी का पाठ आयु तथा सौभाग्य को बढ़ाता है | पुत्रहीन को पुत्र मिलता है और धनहीन को धन मिलता है | श्री रामायण जी का पाठ करने से सदगुणों की वृद्धि होती है |
माँ रेखा बेदी , संयम भल्ला , आशीमा बेदी ने श्री रामायण का पाठ करवाया ।
सभा में राज मित्तल , उमा मित्तल ,सुदर्शन जैन , सुमन जैन , शशि भल्ला , रामेश्वर गुप्ता , राज गुप्ता , किरण खरबंदा , कमलेश नारंग , शिवानी , राशि चड्ढा , दीपाली सहगल , शुचिता दुगल , संजीव धवन , स्वीट धवन , इश्यू दीक्षा धवन , मधु बजाज , प्रेम लता , लता गुप्ता सहितउपस्थित रहे । रमणीक बेदी जी ने प्रसाद वितरित किया ।