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श्रद्धालुओं का कहना आयोजक भगवान का नाम लेने से ज्यादा खुद की ब्रांडिंग करने में जुटे

लुधियाना 29 सितंबर। लुधियाना में दो रियल एस्टेट कारोबारियों का आपसी विवाद का असर अब धार्मिक आयोजनों में देखने को मिलने लगा है। दोनों आयोजक रियल एस्टेट कारोबारियों की आपस में पड़ी खटास का नतीजा जल्द शहर में होने वाली तिरुपति बालाजी रथयात्रा में देखने को मिल सकता है। चर्चा है कि इस विवाद के कारण जहां पहले शहर में तिरुपति बालाजी जी की एक रथयात्रा निकलती थी, वहीं इस साल दो रथयात्रा निकलने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालाकि इस विवाद के कारण कही न कही श्रद्धालुओं में असंजमजस की स्थिति बनी हुई है। श्रद्धालुओं का कहना है कि उनकी और से दोनों पक्षों के साथ बातचीत की जा रही है। उन्हें आपसी विवाद धार्मिक कार्यों से अलग रखने के लिए कहा गया है। जिसके चलते श्रद्धालुओं का कहना है कि उनकी कोशिश है कि शहर में एक ही रथयात्रा निकाली जाए। लेकिन वहीं कई श्रद्धालुओं का यह भी आरोप है कि आयोजक रथयात्रा निकालकर भगवान का नाम लेने के जगह खुद की ब्रांडिंग ज्यादा करते हैं।

रियल एस्टेट का बिजनेस करते है दोनों आयोजक
जानकारी के अनुसार शहर के दोनों कारोबारी रियल एस्टेट का कारोबार करते है। जबकि उनकी और से हर साल श्री तिरुपति बालाजी रथयात्रा निकाली जाती है। लेकिन कुछ समय पहले कारोबार के चक्कर में दोनों कारोबारियों में विवाद हो गया। धीरे धीरे यह विवाद बढ़ता गया, जिस कारण अब दोनों अलग अलग रथयात्रा निकालने के प्रयास में हैं।

एक ग्रुप ने तारीख की घोषित
वहीं एक पक्ष द्वारा स्थानीय होटल में एक आयोजक पक्ष द्वारा मीटिंग की गई। मीटिंग के दौरान उनकी और से रथयात्रा की तारीख तक घोषित कर दी गई। जिसके बाद यह खबर तेजी से शहर में फैली। जिसके चलते दूसरे पक्ष के आयोजक द्वारा भी श्रद्धालुओं के साथ इस आयोजन की चर्चा की गई। हालाकि उक्त पक्ष का कहना है कि श्रद्धालुओं द्वारा इस संबंध में फैसला किया जाना है। वह जो फैसला करेगें, उसी के मुताबिक धार्मिक कार्य किया जाएगा।

निजी विवादों को धार्मिक कार्यों से रखे दूर
वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि दोनों आयोजकों में निजी विवाद है तो उसे धार्मिक कार्यों में न लेकर आए। हालाकि श्रद्धालुओं का कहना है कि वह इस संबंध में दोनों पक्ष से बात कर कोई बीच का रास्ता तलाश रहे हैं। हालाकि उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को आपसी विवाद खत्म करना चाहिए। अगर विवाद नहीं खत्म करना है तो कम से कम प्रोग्राम एकसाथ मिलकर कराना चाहिए।

धार्मिक कार्यक्रमों में खुद को ज्यादा देते हैं अहमियत
वहीं लोगों में चर्चा है कि इससे पहले दोनों आयोजकों द्वारा धार्मिक कार्यक्रमों में भगवान का नाम लेने की जगह खुद को ज्यादा अहमियत दी जाती है। उनकी और से अपनी ब्रांडिंग ज्यादा और धार्मिक कार्यों में ध्यान कम रहता था। हालाकि रथयात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता है। लेकिन अगर इसी तरह आपसी विवाद के कारण दो रथ यात्रा निकाली गई तो उसका प्रभाव लोगों पर भी पड़ेगा। वहीं चर्चा है कि आयोजकों के ऐसे हालात के चलते कही श्रद्धालु दोनों को ही साइड़ न कर दें।

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