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नशे की लत में धुत्त पड़े युवा: एक चिंताजनक वास्तविकता -अन्तिमा धुपड़

अन्तिमा धुपड़ 

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नशे की लत में धुत्त पड़े युवा: एक चिंताजनक वास्तविकता -अन्तिमा धुपड़

 

आजकल समाज में नशे की लत एक गंभीर समस्या बन गई है। सड़कों पर बेहोश पड़े, नशे में धुत्त युवाओं का दृश्य अब आम हो चला है। कुछ साल पहले तक, यह समस्या सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब यह छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों तक भी पहुँच गई है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि नशे के शिकार होने वालों में न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी शामिल हैं, और यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

 

जब मैं सड़कों पर देखती हूँ, तो अक्सर ऐसे लोग दिखाई देते हैं जो नशे की हालत में सड़कों पर या किसी कोने में पड़े होते हैं। यह दृश्य दिल दहला देने वाला होता है, खासकर तब जब युवा एक-दूसरे को इंजेक्शन लगाते हुए दिखाई देते हैं। इनमें न केवल लड़के बल्कि कई बार लड़कियां भी शामिल होती हैं, जो इस गहरे अंधकार में खो चुकी हैं। यह सोचना भी भयावह है कि कैसे नशे की गिरफ्त में फंसे ये युवा अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं।

 

समाज पर प्रभाव और कारण

 

नशा करने की प्रवृत्ति सिर्फ इन युवाओं को ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों और पूरे समाज को प्रभावित करती है। नशे की लत के कारण न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर पड़ता है। इनमें से कई युवा पढ़ाई छोड़ देते हैं, परिवार से दूर हो जाते हैं, और अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं।

नशे की लत के पीछे कई कारण हो सकते हैं। बढ़ती बेरोजगारी, पारिवारिक दबाव, मानसिक तनाव, और गलत संगत जैसी चीज़ें युवाओं को नशे की ओर धकेलती हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया और फ़िल्मों में नशे को ग्लैमराइज़ किया जाना भी एक बड़ी वजह बनती जा रही है।

 

लड़कियों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति

 

पारंपरिक रूप से माना जाता था कि नशा करने वालों में लड़कों की संख्या अधिक होती है, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। अब लड़कियां भी नशे के दलदल में फंस रही हैं। समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अपेक्षाओं का दबाव कई बार उन्हें इस रास्ते पर धकेल देता है। उनके लिए यह एक तरह से खुद को “कूल” दिखाने का जरिया बन गया है, जो बेहद खतरनाक है।

 

समाधान की दिशा में प्रयास

समाज में इस समस्या को हल करने के लिए व्यापक कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, परिवारों को अपने बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वे किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बच सकें। स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, ताकि युवाओं को नशे के खतरों के बारे में बताया जा सके।

सरकार और सामाजिक संगठनों को नशा मुक्ति केंद्रों और काउंसलिंग सेवाओं की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि नशे के शिकार लोगों को समय पर मदद मिल सके। इसके अलावा, नशा बेचने वालों और तस्करों के खिलाफ सख्त कानूनों को लागू किया जाना चाहिए।

 

नशे की लत में फंसे युवाओं को केवल दोषी ठहराना समस्या का समाधान नहीं है। हमें समझना होगा कि यह एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसके लिए एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। यदि हम आज इस दिशा में गंभीर कदम नहीं उठाते हैं, तो कल हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस अंधकार में खो जाएंगी।

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