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नगर निगम बिल्डिंग मालिकों को जबरन बना रहा दोषी, क्या कभी जिम्मेवार अफसरों पर भी होगी कार्रवाई

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लुधियाना 23 सितंबर। लुधियाना में नगर निगम के अधिकारियों का ऐसा खेल चल रहा है, जो आम जनता की समझ से भी बाहर है। निगम अधिकारी अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में सभी सरकारी फीसें लेकर भी बिल्डिंग मालिकों को दोषी बना जाते है, लेकिन इसकी किसी को कानों कान खबर नहीं मिल पाती। पता तब चलता है जब उक्त मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरु हो जाती है। लोगों में चर्चा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद निगम का यह खेल खुलेआम चलना शुरु हो चुका है। हालाकि आप सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के दावे किए गए थे। लेकिन मौजूदा स्थिति कुछ और ही है। ताजा मामला मॉडल टाउन की गुजरखां रोड का सामने आया है। जहां एक बिल्डर द्वारा 9 मंजिलां कमर्शियल इमारत बनाई गई। नगर निगम अधिकारियों ने अपनी सभी फीसें भी जमा करवाई और इसी आढ़ में अपनी जेब भी गर्म की। लेकिन अब कोर्ट द्वारा उक्त बिल्डिंग का काम रुकवा दिया गया है और उक्त इलाका रिहायशी होने के चलते कमर्शियल इमारत न बनने के दावे किए जा रहे हैं। आखिर ऐसे कौन से लोग है, जो इस इमारत को बनने देने पर रोक लगा रहे हैं। अब ऐसे बिल्डिंग मालिकों को गलत गाइड कर परमिशनें देने निगम अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई हो सकेगी। क्या जिम्मेदार अधिकारी भी लोगों को जबरन दोषी बनाने पर दोषी ठहराए जाएंगे।

दो करोड़ रुपए जमा कराया सीएलयू
वहीं चर्चा है कि उक्त बिल्डिंग बनने से पहले नगर निगम से हर प्रकार की परमिशनें ली गई। यहां तक कि बिल्डिंग मालिक से दो करोड़ रुपए बतौर सीएलयू की फीस जमा करवाए गए। निगम के आदेशों के बाद ही काम शुरु हुआ। लेकिन इलाके के लोगों द्वारा इस पर ऐतराज जताया गया। जिसके बाद इलाका निवासी द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट द्वारा बिल्डिंग निर्माण का काम रोकने के आदेश दिए गए। लेकिन अब करोड़ों रुपए बिल्डिंग पर खर्च करके और करोड़ों रुपए फीस जमा कराने के बावजूद भी कारोबारियों को निगम की वजह से इस तरह की परेशानियां झेलनी पड़ेगी, तो कोई व्यक्ति आखिर कारोबार कैसे कर सकेगा।

क्या कभी अफसरों पर भी होगा एक्शन
वहीं लोगों में चर्चा है कि शहर में इस तरह निगम अधिकारियों द्वारा कई इमारतों की फीस लेकर काम शुरु कराया गया। लेकिन बाद में वह इमारतों के मालिक कानूनी तौर पर फंस गए। लोगों में चर्चा है कि बिल्डिंग मालिक तो करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद एनपीए हो जाएगा। लेकिन क्या उसका पैसा निगम के जि्म्मेदार अधिकारियों से कभी वसुल किया जाएगा। वहीं लोगों का यह भी कहना है कि क्या ऐसे गलत गाइड कर इमारतें बनाने वाले अफसरों पर भी कभी कोई एक्शन हो सकेगा।

अफसरों को रिश्वत लेकर भी मिल रही सैलरी व तरक्की
लोगों में चर्चा है कि नगर निगम के अफसरों द्वारा सही काम के लिए भी मोटी रिश्वत लेकर काम किया जाता है। यहां तक कि किसी को अपनी जमीन का कोई दस्तावेज ही निकलवाना हो तो भी रिश्वत देनी पड़ती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि रिश्वत लेकर भी अधिकारियों को उनकी पूरी सैलरी व तरक्की मिलती है। लोगों में चर्चा है कि मॉडल टाउन की इमारत समेत लोगों को गलत गाइड कर बनवाई हर इमारत के जिम्मेदार अफसर की सैलरी कटनी चाहिए, वहीं उसकी तरक्की भी रोकनी चाहिए।

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