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अमोनिया गैस लीक मामला इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना समेत पूरे पंजाब के लिए बड़ा अलर्ट

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एक्सपर्ट ने चेताया, हादसा होने पर रेस्क्यू के लिए संसाधन नाकाफी, जांच प्रक्रिया भी रस्म-अदायगी

लुधियाना 22 सितंबर। जालंधर के बर्फ कारखाने में अमोनिया गैस लीक होने के मामले से कई गंभीर पहलू सामने आए हैं। इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना समेत पंजाब के तमाम छोटे-बड़े शहरों में ऐसा हादसा कहीं भी और कभी भी हो सकता है। इस हादसे से शासन-प्रशासन भी सवालिया घेरे में है, जो अमूमन कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही ‘एक्शन-मोड’ पर नजर आता है। बाद में फिर सब कुछ रुटीन-सिस्टम की तरह चलने लगता है।

यहां गौरतलब है कि जालंधर हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन ने संबंधित विभागों को भी जवाबदेह ठहराया। बाकायदा एफआईआर में संबंधित महकमे नामजद किए गए। साथ ही मैजिस्ट्रियल जांच बैठाते तय समय में रिपोर्ट मांगी गई है।

नियमित जांच पर फोकस हो :

जालंधर हादसे को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के नेशनल चैप्टर के प्रेसिडेंट अश्वनी कुमार से बातचीत की गई। उन्होंने कहा कि कोई भी इंडस्ट्रियलिस्ट यह नहीं चाहता कि उसके यहां कोई हादसा हो। इस हादसे वाले कारखाने के मालिक ने भी बेशक सुरक्षा प्रबंध किए होंगे। यह जांच का विषय है कि गलती कहां और कैसे हुई। हो सकता है कि कारखाने में काम करने वाले किसी वर्कर से अनजाने कोई टैक्निकल-गलती हुई हो। जहां तक रुटीन जांच का सवाल है तो यह प्रशासन के स्तर से मॉनिट्रिंग होनी चाहिए कि जांच नियमित और कितनी गंभीरता से होती है।

करप्शन समस्या की असली जड़ :

ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के नेशनल प्रेसिडेंट बदीश जिंदल कहते हैं कि कुल मिलाकर ऐसे हादसों-समस्याओं की असली जड़ करप्शन है। सिस्टम भ्रष्ट होने की वजह से सही काम करके भी एनओसी लेने के लिए कारोबारियों को संबंधित विभागों में चढ़ावा चढ़ाना होता है। ऐसे में गलत काम करने वाले भी सुविधा-शुल्क देकर फिटनेस सार्फिकेट हासिल कर लेते हैं। पंजाब में पॉयजन एक्ट पर बरसों से अमल नहीं हो रहा, जिसके तहत जिला प्रशासन को अमोनिया जैसी घातक गैस-कैमिकल के स्टॉक का रिकॉर्ड रखना होता है। हाईटेक और रिस्क-प्रूफ मशीनरी खरीदने के लिए सरकार सब्सिडी नहीं देती, जबकि चीन जैसे देशों में यह सुविधा मिलती है। हादसे होने पर रेस्क्यू के लिए एक्सपर्ट टीम तक नहीं हैं।

एक्सपर्ट टीम नहीं हैं रेस्क्यू के लिए :

लुधियाना के रेफ्रिज्रेट एक्सपर्ट हरभगत सिंह गरेवाल ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि जालंधर में अमोनिया लीक होने के बाद रेस्क्यू के लिए फायर ब्रिगेड के पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। तभी तो मौके पर वेरका प्लांट की एक्सपर्ट टीम ने पहुंचकर स्पेशल कीट मुहैया कराई। वह आशंका जताते हैं कि कमोबेश पूरे पंजाब में ऐसी घातक स्थिति कहीं भी आ सकती है। अमोनिया जैसी जानलेवा गैस या अन्य घातक कैमिकल इस्तेमाल करने वाले यूनिट्स में करीब पंद्रह दिन में रुटीन जांच होनी चाहिए, जो शायद ही कहीं होती होगी।

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