watch-tv

मुद्दे की बात : देश में आवारा कुत्तों का आतंक

xr:d:DAFZO7QIXTY:416,j:43246626605,t:23031410

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

रेबीज के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं

पंजाब से लेकर देशभर में आवारा कुत्तों का आतंक कायम है। इन पर लगाम कसने के लिए शासन-प्रशासन का उदासीन रवैया आम लोगों के लिए लगातार खतरा बढ़ा रहा है। पंजाब में ही लुधियाना से लेकर तमाम जिलों में लगातार आवारा कुत्ते खासकर अकेले नजर आते ही बुजुर्गों और बच्चों को निशाना बनाते हैं। /हां गौरतलब है कि दुनियाभर में रेबीज़ का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। हर साल रेबीज़ से क़रीब 60 हज़ार लोगों की जान जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़ इनमें से 99 फ़ीसद मामले कुत्ते के काटने और खरोंच के हैं। रेबीज़ से बचाव के लिए एक वैक्सीन है, जिसे कुत्ते के काटने के बाद लिया जाता है। हालांकि, जब कुत्ता किसी व्यक्ति के चेहरे या किसी नर्व के नज़दीक काटता है तो ये वैक्सीन हमेशा कारगर साबित नहीं होती.

तेलंगाना के खम्मम जिले में एक पांच वर्षीय लड़के की घर के बाहर खेलते समय आवारा कुत्ते द्वारा हमला किए जाने के बाद मौत हो गई। इन घटनाओं ने कुत्तों की बढ़ती आबादी और कुत्ते प्रेमियों के खिलाफ लोगों के बीच बहस को हवा दे दी है। इसलिए, भारत में कुत्तों के बढ़ते हमलों के पीछे के कारणों और इस स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा सकने वाले नीतिगत कदमों के बारे में जानना जरुरी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2019 में लोकसभा में बताया गया कि आवारा कुत्तों की आबादी 7 साल में 18 लाख घटकर 1.71 करोड़ से 1.53 करोड़ हो गई है। कुछ स्वतंत्र अध्ययनों से पता चलता है कि यह आबादी बहुत ज़्यादा है, क्योंकि बहुत से कुत्तों का पता ही नहीं चलता। बताते चलें कि विश्व स्तर पर कुत्तों द्वारा फैलाए जाने वाले रेबीज के कारण हर साल लगभग 59,000 लोगों की मौत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रेबीज के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रेबीज के कारण होने वाली मौतों में से 65% मौतें भी भारत में ही होती हैं। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम ने 2012 से 2022 के बीच मानव रेबीज के 6644 चिकित्सकीय रूप से संदिग्ध मामलों और मौतों की सूचना दी है। राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान के अनुसार, भारत में रेबीज के लगभग 96% मामले आवारा कुत्तों के कारण होते हैं। इसलिए भारत रेबीज से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में सबसे आगे है।

अब अहम सवाल, भारत में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या के क्या कारण हैं ? यहां आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में कुत्तों को अक्सर बिना नसबंदी के छोड़ दिया जाता है। जिसके कारण अधिक पिल्ले पैदा होते हैं और आवारा कुत्तों की आबादी बढ़ती है। भारत में कई लोग अक्सर अपने पालतू जानवरों को सड़कों पर छोड़ देते हैं। जब उनकी ज़रूरत नहीं होती है, या वे अपने कुत्तों को उचित निगरानी के बिना खुले में घूमने देते हैं। इससे आवारा कुत्तों की आबादी में वृद्धि होती है। आवारा कुत्ते अक्सर कूड़े के ढेर में भोजन की तलाश करते हैं। जिसका भारत के कई इलाकों में उचित प्रबंधन नहीं किया जाता है। इससे इन इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि होती है। भारत में बहुत से लोग जिम्मेदार पालतू जानवरों के स्वामित्व के महत्व या अपने पालतू जानवरों को छोड़ने के खतरों के बारे में नहीं जानते हैं। जागरूकता की यह कमी आवारा कुत्तों की समस्या बढ़ती है। भारत में तो कुछ समुदायों का मानना ​​है कि कुत्तों को मारना या उनकी नसबंदी करना उनकी धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध है। इससे प्रभावी पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों को लागू करना और आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

————-

 

Leave a Comment