हरियाना /यूटर्न/22 सितंबर: हरियाणा की अंबाला कैंट विधानसभा सीट पर इस बार कड़ी फाइट है। पूर्व गृह मंत्री अनिल विज पर बीजेपी ने फिर दांव खेला है। इस सीट से विज 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। वहीं, कांग्रेस ने यहां से कुमारी शैलजा के करीबी परविंदर सिंह परी को मैदान में उतारा है। जो पार्षद रह चुके हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने राज कौर गिल, गठबंधन ने अवतार करधान और यहां से ओंकार सिंह पर दांव खेला है। लेकिन कांग्रेस से बागी होकर मैदान में उतरीं चित्रा सरवारा ने मुकाबला रोचक बना दिया है। इस सीट पर लगभग 2.70 लाख वोटर हैं।
टूटी सडक़ें और जलभराव है मुद्दा
टूटी सडक़ें और जलभराव इस चुनाव में बड़ा मुद्दा है। अनिल विज यहां के बड़े नेता माने जाते हैं। जिन्होंने इस बार खुद को सीएम फेस भी बताया है। जिसका कितना फायदा उनको मिलेगा? यह देखने वाली बात होगी। कांग्रेस के लिए गुटबाजी यहां घातक साबित हो सकती है। परी से हुड्डा गुट फिलहाल दूरी बनाए हुए है। क्योंकि वे शैलजा के करीबी हैं। कांग्रेस से बागी हो चुकीं चित्रा सरवारा अनिल विज को टक्कर दे रही हैं। यह माना जा रहा है। पिछले चुनाव में भी वे दूसरे नंबर पर रही थीं। ग्रेस में गुटबाजी रही और वोट यदि चित्रा की ओर शिफट हुआ तो परी के साथ विज को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अंबाला कैंट में पंजाबी और जट सिखों के 80 हजार वोट हैं। 1967 से 2019 तक यहां पंजाबी नेता ही विधायक चुनते आए हैं। विज का यहां खासा दबदबा माना जाता है। दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के वोट हैं। 2005 में यहां से कांग्रेस के देवेंद्र बंसल जीत भी चुके हैं। वहीं, इस बार विज ने खुद को सीएम फेस बताया है। बड़े प्रोजेक्टों की उंमीद लगाए बैठे लोग इस कारण उनकी ओर जा सकते हैं।
कांग्रेस को 15 साल से जीत का इंतजार
पिछले 3 चुनाव में वैश्य वोटर भाजपा के साथ खड़े रहे हैं। दलित समाज का भी यही रुख रहा है। कांग्रेस पिछले 15 साल से यहां जीत के लिए तरस रही है। बंसल के बाद विज यहां पर बड़े अंतर से जीते हैं। अगर परी और चित्रा के बीच वोट बंटे तो विज को फायदा मिलेगा। अगर जाट वोट चित्रा की ओर चले गए तो विज के लिए मुश्किलें होंगी। आईएनडीएल-बसपा के ओंकार सिंह और जेजेपी-एएसपी के अवतार करधान ओबीसी लीडर हैं। अगर ये लोग दलित और ओबीसी वोटों में सेंध लगाने में कामयाब रहे तो सीधा नुकसान भाजपा को होगा। विज यहां से पहले बार 1990 में जीते थे। इसके बाद बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। जिसके बाद 1996 और 2000 में निर्दलीय जीते। 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर फिर जीते। 2014 और 2019 चुनाव जीतने के बाद उनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। अब विज को अपने काम के सहारे यहां से जीत की उंमीद है। वहीं, कांग्रेस से बागी हो चुकीं चित्रा सरवारा भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर लोगों से वोट मांग रही हैं। वे 2013 में पार्षद बनी थीं। 2015 में कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद 2016 में उनको हरियाणा महिला कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया गया था।
8 अक्टूबर को साफ होगी तस्वीर
2023 में आप ज्वाइन की थी। 2024 में फिर कांग्रेस में शामिल हो गईं। इस बार भी टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ रही हैं। वहीं, परविंदर परी होटल कारोबारी हैं, जो 2002 में यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। वे इस चुनाव में टूटी सडक़ों का मुद्दा उठा रहे हैं। 2005 में वे यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी रह चुके हैं। अंबाला कैंट से पार्षद का चुनाव भी जीत चुके हैं। उनकी पत्नी निमृत कौर एक सोशल वर्कर हैं, जो ‘एक कोशिश’ नाम से संसथा चलाती हैं। जनता किस उंमीदवार को पसंद करेगी, यह 8 अक्टूबर को पता लगेगा।
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होट सीट अंबाला कैंट खुद को सीएम फेस बताने वाले अनिल विज की राह आसान नहीं,
Kulwant Singh
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