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भारत में बड़े आतंकी हमले की साजिश! अलकायदा-आईएसआईएस से अलर्ट रहे देश,

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दिल्ली/यूटर्न/20 सितंबर: भारत पर बड़े आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा है। अलकायदा और आईएसआईएस साजिश रच रहे हैं, जिससे भारत को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। यह चेतावनी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट में भारत को स्पेशली अलर्ट करते हुए आतंकी हमले को लेकर आगाह किया गया है और कहा गया है कि जंमू कश्मीर चुनाव के बीच या इसके बाद भारत में दहशत फैलाने की साजिश दोनों आतंकी संगठन रच रहे हैं। इसलिए भारत सतर्क रहे और किसी भी तरह के हमले या हादसे से बचने की तैयारी पहले से करके रखे। बता दें कि फएफए आतंकवाद विरोधी इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन है। यह मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग जैसे केसों से निपटने के देशों के तरीकों पर नजर रखती है।
खुफिया एजेंसियों को अलर्ट करने की सलाह
जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को सबसे बड़ा खतरा इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट या अल-कायदा से है। इनके सहयोगी आतंकी संगठन जंमू कश्मीर में एक्टिव हैं और इनके आतंकी साजिश रच रहे हैं, मौका मिलने की फिराक में हैं। भारत मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग वाली गतिविधियों से निपटने के लिए निरंतर कार्रवाई करता रहता है, जो सराहनीय है। इसी तरह की कार्रवाई अब भारत को आतंकी हमले होने से रोकने की करनी चाहिए। इसके लिए भारत को अपनी खुफिया एजेंसियों को अलर्ट करना चाहिए, ताकि वे आतंकियों पर नजर रख सकें। यह अलर्ट इसलिए जारी किया गया है, क्योंकि पिछले कई महीनों से जंमू कश्मीर में कई आतंकी हमले हो चुके हैं, जिनमें भारतीय सेना ने अपने कई जवानों को खो दिया है।
रिपोर्ट में मणिपुर के हालातों का भी जिक्र हुआ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जून के महीने में 26 से 28 जून तक सिंगापुर में रिव्यू मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में रिव्यू के बाद जो रिपोर्ट तैयार की गई, उसमें भारत को रेगुलर फॉलोअप की कैटेगरी में रखा गया। इस कैटेगरी में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और इटली समेत जी 20 ग्रुप के 4 देश शामिल किए गए हैं। बता दें कि एफएफए ने अपनी रिपोर्ट में मणिपुर जिले में तनाव और हिंसा के माहौल का भी जिक्र किया। इसमें कहा गया है कि मणिपुर में पिछले एक साल से तनाव और हिंसा का माहौल है। यह आतंकियों की साजिश हो सकती है, जो अपने स्लीपर सेल के जरिए विवाद निपटने नहीं देना जा रहे। 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, इस विवाद से निपटने के लिए भारत का कड़े कदम उठाने चाहिए।
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