हरियाना/यूटर्न/20 सितंबर: हिसार की सीट पर पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल के निर्दलीय ताल ठोंकने से अब मुकाबला रोमांचक हो गया है। देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल पहले भी हिसार से जीत दर्ज कर चुकी हैं। इस बार उन्होंने बीजेपी से टिकट मांगा था। लेकिन बीजेपी ने मौजूदा विधायक और मंत्री डॉ. कमल गुप्ता पर भरोसा कायम रखा। कांग्रेस ने यहां से रामनिवास राड़ा पर दांव खेला है। सावित्री जिंदल के मैदान में आने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों की राह मुश्किल हो गई है। राड़ा सैनी समाज से आते हैं, जिनके सामने एक दशक बाद कांग्रेस की जीत दिलाने की चुनौती है।
हिसार से 21 प्रत्याशी मैदान में
वहीं, डॉ. कमल गुप्ता तीसरी बार कमल खिला पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। हिसार से पूर्व मेयर गौतम सरदाना भी निर्दलीय लड़ रहे हैं। उनको लोग कितना समर्थन देते हैं? 8 अक्टूबर को नतीजों के ऐलान के बाद पता चलेगा। बता दें कि हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। हिसार सीट से 21 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। सावित्री जिंदल ने टिकट न मिलने पर इसे अपनी नाक का सवाल बना लिया है। जिंदल घराने को हिसार की राजनीति से जुदा करके नहीं देखा जा सकता। जिंदल परिवार को बड़ा सियासी रसूख इस सीट पर है। जिंदल परिवार ने इससे पहले यहां से 6 बार चुनाव लड़ा है। जिसमें 5 बार जीत हासिल की है। जीत का सबसे बड़ा रिकॉर्ड सावित्री जिंदल के नाम है। सावित्री जिंदल को कमल गुप्ता ने पहली बार 2014 में यहां से परास्त किया था।
गुप्ता के सामने जिंदल बड़ी चुनौती
इस बार कमल गुप्ता के सामने फिर से वे बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं। कमल गुप्ता को संघ का करीबी माना जाता है। जिसकी वजह से वे टिकट पाने में कामयाब रहे। माना जा रहा है कि गौतम सरदाना जितने भी वोट हासिल करेंगे, उतना ही फायदा सावित्री जिंदल को मिलेगा। वहीं, कांग्रेस से टिकट पाने वाले राड़ा कुमारी शैलजा के विश्वासपात्र माने जाते हैं। उनकी कोशिश ओबीसी वोटरों को एकजुट करने की होगी। सैनी बिरादरी का भी हिसार में अच्छा प्रभाव है। व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग भी यहां से टिकट मांग रहे थे। जो टिकट न मिलने पर नाराज बताए जा रहे हैं। गौतम सरदाना पंजाबी बिरादरी से आते हैं। मुकाबले में न सही, लेकिन वे समीकरण बिगाडऩे में सक्षम हैं। जो पंजाबी वोट दूसरी पार्टियों को मिलना था, वह उनको मिलेगा। ऐसा माना जा रहा है। 2014 के चुनाव में सरदाना सावित्री जिंदली से महज 600 वोटों से पिछडक़र तीसरे नंबर पर रहे थे। हालांकि मेयर रहते उनके ऊपर लोगों की अनदेखी के आरोप लग चुके हैं।
14 बार मिली वैश्य प्रत्याशी को जीत
हिसार सीट की बात करें तो यहां 30 हजार वोट वैश्य समुदाय के हैं। दूसरे नंबर पर पंजाबी वोट 24 हजार हैं। सैनी समाज के 17 हजार और जाटों के 13 हजार वोट निर्णायक स्थिति में हैं। वहीं, ब्राह्मण समुदाय के 10 हजार वोट हैं। आजादी के बाद हिसार की सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं। जिसमें 14 बार वैश्य, 2 बार पंजाबी और एक बार सैनी प्रत्याशी को जीत मिली है। इस बार देखने वाली बात होगी कि हिसार से कौन जीत दर्ज करता है?
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होट सीट हिसार में अमीद महिला के कारण हुआ कांटे का मुकाबला
Kulwant Singh
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