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मुद्दे की बात : खुद को न्यायपालिका से ऊपर मानती है सीबीआई ?

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सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, क्या सीबीआई बेलगाम

यह आरोप तो दशकों से लगते रहे हैं कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का ‘रिमोट-कंट्रोल’ केंद्र सरकार के पास होता है। जो भी राजनीतिक दल केंद्र में सत्ता पर काबिज होता है, वह इस जांच एजेंसी का इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ करता है। कमोबेश यही आरोप हाल-फिलहाल में अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों पर भी लगे हैं। अब ताजा मामला पश्चिमी बंगाल से जुड़ा सामने आया है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल इस जांच एजेंसी ने न्यायपालिका पर ही सवालिया निशान लगा दिया था। ऐसे में कहीं ना कहीं यह संकेत तो मिलते ही हैं कि केंद्र सरकार के संरक्षण के चलते सीबीआई को यह भ्रम पैदा हो गया कि वह न्यायपालिका से भी सर्वोपरि है। वर्ना वह कई बार अदालतों से फटकार खाने के बावजूद अब पश्चिम बंगाल की न्यायपालिका पर उंगली उठाने की जुर्रत ना करती। मामला दरअसल यह था कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के मामले में एक याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई। पश्चिम बंगाल में न्यायपालिका पर सवाल उठाने वाली इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल कर 45 केसों को बंगाल से बाहर की अदालत में शिफ्ट करने की मांग की थी। जस्टिस एएस ओका और पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि इस तरह से सीबीआई न्यायपालिका कि छवि को धूमिल कर रही है। जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की अदालत में सुनवाई के दौरान दुश्मनी अदा करने जैसा व्यवहार किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को आपत्तिजनक बताते हुए याचिका वापस लेने का आदेश दिया है।

बैंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि याचिका में कहा गया है-जज गलत तरीके से जमानत दे रहे हैं। आप सभी अदालतों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और पक्षपाती बताना चाहते हैं। वहीं आप वहां के जजों की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, यह अस्वीकार्य है। यहां बताते चलें कि कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच कर रही है। एजेंसी का कहना है कि राज्य का माहौल ठीक नहीं है। ऐसे में निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामलों को प्रदेश से बाहर भेजने की जरूरत है। फरवरी को एक सिंगल जज बेंच ने इन मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीबीआई को अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने इस याचिका को प्रमाणित किया है, उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने के लिए यह मामला पर्याप्त है।

कोर्ट ने यहां तक कहा कि आखिर एजेंसी की याचिका में कोर्ट के खिलाफ इस तरह की बात कैसे की जा सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि जज खुद को डिफेंड नहीं कर सकते, लेकिन हम आपको इस तरह के आरोप लगाने की भी अनुमति नहीं दे सकते। जिला अदालत के जज यहां अपना तर्क रखने उपस्थित नहीं हो सकते। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इन मामलों को राज्य के बाहर शिफ्ट किया जाता है तो पीड़ितों का क्या होगा। उनके लिए कोर्ट पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद एएसजी राजू ने याचिका वापस लेने का फैसला किया। गौरतलब है कि चर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंट केस में और दिल्ली के तत्कालीन सीएम केजरीवाल की जमानत के मामले में भी सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कड़ी फटकार लग चुकी है। अब देखना यह होगा कि भविष्य में क्या केंद्रीय जांच एजेंसी होने के नाते सीबीआई अपनी हद में रहने की सीख लेगी ?

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