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डायरेक्ट टैक्स सीआईटी अपील्स लंबित होने के बारे में केंद्रीय मंत्री चौधरी ने सांसद अरोड़ा को लिखा पत्र

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वित्त मंत्री ने अपीलों को जल्द से जल्द निपटाने को लेकर विभिन्न उपायों का आश्वासन भी दिया

लुधियाना 17 सितंबर। राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पत्र भेजा है। जो प्रथम अपीलीय स्तर पर प्रत्यक्ष कर अपीलों की बड़ी संख्या के लंबित होने के मामले में

अरोड़ा ने कहा कि मंत्री के पत्र में लिखा है किमैं आपका ध्यान 5 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में शून्य काल के दौरान आपके द्वारा उठाए मामले की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं। जिसमें आपने आयकर विभाग में लंबित मामलों के संबंध में उल्लेख किया है। पत्र में उल्लेख है कि प्रथम अपीलीय स्तर पर प्रत्यक्ष कर अपीलों की बड़ी संख्या में लंबितता के संबंध में अरोड़ा द्वारा उठाए मुद्दों पर ध्यान दिया गया। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, प्रथम अपीलीय स्तर पर 1,11,282 अपीलों का निपटान किया गया। हालाँकि, प्रथम अपीलीय स्तर पर लंबितता को कम करना अभी भी प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना हुआ है।

इसके अलावा अरोड़ा द्वारा सुझाए विभिन्न उपायों का अवलोकन किया गया। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 250 (6क) में एक वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गई है। हालांकि, निर्धारित की गई समय-सीमा सलाहकार प्रकृति की है, जो आयुक्त (अपील) के कार्यों के अर्ध-न्यायिक प्रकृति का होने के कारण है। इसके अलावा, यह स्पष्ट किया जा सकता है कि अपील दायर करने से पहले मांग के 20% के भुगतान की आवश्यकता अनिवार्य नहीं है। यदि कोई निर्धारिती चाहता है कि उसे बकाया करों के संबंध में चूककर्ता निर्धारिती के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तो वह विवादित मांग के 20% के भुगतान पर पहली अपील के निपटान तक मांग पर रोक लगाने के लिए आयकर अधिकारियों के समक्ष आवेदन कर सकता है। साथ ही, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर संबंधित पीसीआईटी/सीआईटी द्वारा 20% की इस राशि को और कम किया जा सकता है।

मंत्री ने उल्लेख किया कि प्रथम अपीलीय स्तर पर लंबित मामलों को निपटाने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। आयकर आयुक्त (ए/एयू) और अपर/उप आयकर आयुक्त (अपील) द्वारा अपीलों की प्राथमिक सुनवाई/समय से पहले निपटान के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिनमें एक करोड़ रुपए से अधिक की मांग वाले मामले, या ऐसे मामले जहां न्यायालयों द्वारा इस आशय के निर्देश जारी किए गए हों, या ऐसे मामले जिनमें अनुरोध वरिष्ठ नागरिक और/या अति वरिष्ठ नागरिक द्वारा किया गया हो, या वास्तविक कठिनाई का कोई अन्य मामला शामिल हैं।

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