लुधियाना 15 सितंबर। उत्तारखंड के बद्रीनाथ में सोने का छत्र चढ़ाने को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ चुका है। दरअसल, सोने के छत्र चढ़ाने के मामले में मिली आरटीआई को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लुधियाना के दो नामी इंटीरियर डिजाइनर भाइयों पर दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। जबकि अब कई महीने बीतने के बाद पंजाब पुलिस द्वारा उसी आरटीआई को झूठा बताते हुए दोनों व्यापारी भाइयों समेत तीन लोगों पर पर्चा दर्ज कर दिया। पंजाब की लुधियाना पुलिस की इस कार्रवाई के बाद लोगों में चर्चा है कि आखिर इस मामले में कोर्ट और पुलिस में दोनों में सही कौन है। यहां तक कि इस मामले में पुलिस ने व्यापारी समेत दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। दूसरी तरफ व्यापारी की और से पुलिस पर सरेआम धक्केशाही करने के आरोप लगाए गए हैं। उनका कहना है कि इस मामले में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। यह केस थाना सदर की पुलिस ने मथूरा जगन्नाथपूरी के प्रवीन कुमार अग्रवाल की शिकायत पर बाड़ेवाल रोड के दो व्यापाारी भाइयों और उनके साथी के खिलाफ दर्ज किया है।
गलत आरटीआई पेश कर कराया था पर्चा दर्ज
शिकायतकर्ता का आरोप है कि बद्रीनाथ में जो छत्र चढ़ाया गया था, वह छत्र लुधियाना के दोनों नामी इंटीरियर डिजाइनर भाइयों द्वारा चढ़ाया गया था। दोनों भाइयों द्वारा छत्र की पेमेंट न करते हुए ठगी मार ली गई। जिसके बाद उनके खिलाफ मथूरा के थाना कोतवाली में 2019 में एफआईआर दर्ज हुई। इस मामले में दोनों भाइयों द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक दस्तावेज पेश किए गए। दोनों का कहना था कि यह दस्तावेद आरटीआई के जरिए उत्ताखंड चारधाम देव सनाथन प्रबंधन बोर्ड से लिए गए हैं। जिन्हें दोनों के एक साथी द्वारा आरटीआई के जरिए लिया गया है। आरटीआई में लिखा था कि छत्र को कई लोगों द्वारा मिलकर चढ़ाया गया है। दोनों भाइयों ने 2021 में थाना सदर में प्रवीन अग्रवाल खिलाफ ठगी की एफआईआर दर्ज करवाई। इस मामले में भी यह आरटीआई पेश की गई। लेकिन जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि बोर्ड को न तो कोई आरटीआई डाली गई और न ही बोर्ड ने छत्र संबंधी कोई जानकारी किसी से सांझी की।
कोर्ट और पुलिस में दोनों में सही कौन
वहीं गिरफ्तार किए कारोबारी के साथी का आरोप है कि उनकी और से मंदिर बोर्ड को आरटीआई डाली गई थी। बोर्ड द्वारा उनके डाक व ईमेल के जरिए इसका जवाब दिया था। जिस पर बकायदा मोहर भी लगी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की और से आरटीआई के सबुत देखकर ही मामले को रद्द किया गया था। जिसके बावजूद लुधियाना पुलिस ने दबाव के चलते उसे झूठा करार कर दिया। लोगों में चर्चा है कि पर्चा दर्ज कराने वाला व्यक्ति इतना शातिर है कि दोनों कानूनी तंत्र मान्ननीय हाईकोर्ट और पुलिस को आमने सामने खड़ा कर दिया है। लेकिन भारतीय कानून के मुताबिक कोर्ट सर्वोच्च है। अगर कोर्ट की और से दस्तावेजों की जांच करने के बाद फैसला लिया, तो फिर पुलिस उस फैसले को आखिर कैसे खारिज कर सकती है। हालाकि पंजाब पुलिस की काबलियत जग जाहिर है कि पुलिस द्वारा सभी तथ्यों को देखकर ही कार्रवाई की जाती है।
31 अगस्त का पर्चा दर्ज, 15 दिन बाद बिना बताए गिरफ्तारी
वहीं कारोबारी का कहना है कि थाना सदर में 31 अगस्त की एफआईआर दर्ज है। लेकिन पुलिस द्वारा न तो उन्हें एफआईआर दर्ज करने से पहले उनके बयान लिए और न ही उन्होंने पर्चा दर्ज होने के बाद बताया। लेकिन 15 अगस्त को वे मंदिर में मौजूद थे। इस दौरान पुलिस मुलाजिम वहां आए और पूछताछ करने की बात कहकर थाने ले गए। जहां गिरफ्तारी कर ली गई।
एक तरफा बयान पर हुआ मामला दर्ज
हालाकि कारोबारी के साथी का आरोप है कि पुलिस को प्रवीन अग्रवाल ने शिकायत दी थी। लेकिन उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए लुधियाना पुलिस कमिश्नर को अपने बयान दिए। लेकिन उन्होंने बयान केस में नहीं लगाए। जिसके बाद उन्होंने बयान सीएम, डीजीपी को भेजे थे। लेकिन उनके बयान नहीं लिए गए और पुलिस ने एक तरफा बयान लेकर पर्चा दर्ज कर दिया।