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मुद्दे की बात : हरियाणा और परिवारवादी सियासत

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हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद शुरु से पला-बढ़ा

यूं तो सभी प्रमुख राजनीतिक दल एक-दूसरे पर परिवारवादी राजनीति करने के आरोप जब-तब मढ़ते रहते हैं। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि परिवारवाद के मामले में ‘हमाम में नंगे’ वाली कहावत कई प्रमुख दलों पर लागू होती है। इन दिनों हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्माया है। अगर हरियाणा की बात करें तो वहां राजनीति में परिवारवाद आज या बीते कुछ चुनावों से नहीं, बल्कि 1967 में हुए प्रदेश के पहले चुनाव से देखने को मिलता है। राव तुलाराम के वंशज राव बीरेंद्र सिंह अहीरवाल, तो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा देसवाली बेल्ट में सक्रिय थे। इनकी अगली पीढ़ियों को सियासत विरासत में मिली और अब भी इनकी मौजूदा पीढ़ियां सियासत में सक्रिय ही नहीं, बल्कि हावी कह सकते हैं।

परिवारवादी राजनीति हरियाणा में संतानों ही नहीं, बल्कि रिश्तेदारों के जरिए भी आगे पली-बढ़ी। इस बाबत राष्ट्रीय समाचार पत्र अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक

किसान नेता सर छोटूराम के दामाद चौधरी नेकी राम पहले संयुक्त पंजाब में मंत्री रहे और हरियाणा बनने के बाद बांगर क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय रहे। इसी तरह चौधरी देवीलाल और उनका परिवार प्रदेश व देश की राजनीति में सक्रिय रहा है। इस बार भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में परिवारवाद की राजनीति खूब चली है। राजनीतिक घरानों से भाजपा ने 11 तो कांग्रेस ने 24 प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, इस चुनाव में परिवारों में राजनीति भी हो रही है। तोशाम में बंसीलाल का परिवार आमने-सामने है, तो डबवाली में चौटाला परिवार से चार प्रत्याशी हैं। बहादुरगढ़ में कांग्रेस के राजेंद्र जून के सामने उनका भतीजा लड़ रहा है। ये दिलचस्प सियासी-हालात परिवारवादी राजनीति का ही नतीजा हैं।

यहां काबिलेजिक्र है कि इस बार विस चुनाव में भूतपूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार के आठ सदस्य मैदान में हैं। सभी प्रत्याशी दूसरी से चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं। देवीलाल के बेटे व पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला रानियां से निर्दलीय लड़ रहे हैं। उनके सामने उनके बड़े भाई व पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते अर्जुन इनेलो से मैदान में हैं। ओमप्रकाश के छोटे बेटे अभय इनेलो से ऐलनाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं।

अभय के बड़े भाई अजय चौटाला के बेटे व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला जजपा से जींद की उचाना सीट से उम्मीदवार हैं। अजय चौटाला के दूसरे बेटे दिग्विजय डबवाली से उम्मीदवार हैं। यहीं से उनके चाचा आदित्य चौटाला इनेलो से लड़ रहे हैं। चौटाला परिवार के अन्य सदस्य अमित सिहाग कांग्रेस से डबवाली से मैदान में हैं। देवीलाल के तीसरे बेटे प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी सुनैना फतेहाबाद से इनेलो प्रत्याशी हैं।

इसी तरह, इस बार चुनाव में पूर्व सीएम बंसीलाल की सियासी विरासत के लिए परिवार में ही जंग है। भिवानी की तोशाम सीट से भाजपा ने राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी की बेटी श्रुति को चुनाव मैदान में उतारा है। बंसीलाल की पोती श्रुति लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। वहीं, कांग्रेस ने यहां से बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के पुत्र अनिरुद्ध चौधरी को उतारा है। जबकि हुड्‌डा की दूसरी पीढ़ी चुनाव लड़ रही है और तीसरी भी सक्रिय है। मसलन, रणबीर सिंह हुड्डा रोहतक सीट से सांसद रहे। उनके बाद इस इलाके की जिम्मेदारी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने संभाली। हुड्डा लगातार दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। अब उनकी राजनीतिक विरासत को सांसद दीपेंद्र हुड्डा संभालने की तैयारी में हैं। वह फिलहाल लोकसभा में सांसद हैं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं।

जबकि भजनलाल परिवार में  चाचा कांग्रेस और भतीजा भाजपा से चुनाव मैदान में है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को भाजपा ने आदमपुर सीट से उतारा है। पूर्व विधायक भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस के पूर्व सांसद रह चुके हैं। अब वह भाजपा में हैं। वहीं, भजनलाल के छोटे बेटे व पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन को कांग्रेस ने पंचकूला से उम्मीदवार बनाया है। वह चार बार के विधायक हैं। इसके अलावा भजनलाल के भाई दूड़ाराम भाजपा के टिकट पर फतेहाबाद से प्रत्याशी हैं।

उधर, इस चुनाव में भाजपा ने तीन तो कांग्रेस ने छह पूर्व मंत्रियों के परिजनों को टिकट थमा दिए। भाजपा ने पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्तिरानी को कालका, सतपाल सांगवान के बेटे सुनील को चरखी दादरी व करतार भड़ाना के बेटे मनमोहन को समालखा से प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस से पूर्व मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा के बेटे मनजीत पिहोवा, महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप बड़खल, गयालाल के बेटे उदयभान होडल, पंडित शिवचरण लाल शर्मा के बेटे नीरज फरीदाबाद एनआईटी, हरपाल सिंह के बेटे परमवीर टोहाना व आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम महम से उम्मीदवार हैं। यहां गौरतलब है कि कांग्रेस ने तीन सांसदों के परिजनों को लांच किया है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में तीन सांसदों के परिजनों को भी लांच किया है। इनमें राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल, लोकसभा सांसद वरुण चौधरी की पत्नी पूजा को मुलाना व हिसार सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण को कलायत से टिकट दिया है। कुल मिलाकर सभी प्रमुख दल हरियाणा में खुलकर परिवारवादी सियासत को पाल-पोस रहे हैं। इसके बावजूद बड़े मासूम अंदाज में इन पार्टियों के नेता परिवारवादी राजनीति से परहेज करने के दावे भी करते रहे हैं।

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