हरियाना/यूटर्न/11 सितंबर: मनचाही सीटें पाने के लिए दबाव बनाने में नाकाम रहने पर आम आदमी पार्टी का हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो सका और उसने 20 घंटे में अपने 29 उंमीदवारों की दो सूचियां जारी कर दीं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर उतरे दोनों दल विधानसभा में अलग-अलग लड़ेंगे। आप ने सभी 90 सीटों पर उंमीदवार उतारने का फैसला लिया है। वहीं, कांग्रेस व भाजपा के बीच मानी जा रही लड़ाई को तिकोना बना पाती है या नहीं लेकिन यह तय है कि इससे नुकसान कांग्रेस और आप दोनों को होगा। आप को ज्यादा। पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो यही प्रतीत होता है। आप पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की 46 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। सिर्फ 0.48 फीसदी वोट मिले थे। इससे ज्यादा वोट नोटा को (0.53 फीसदी) मिले थे। बीते लोकसभा चुनाव में आप ने कुरुक्षेत्र सीट से कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। आप को 4 फीसदी से भी कम वोट मिले। विधानसभा चुनाव में 10 फीसदी तक वोट शेयर हो तो कोई पार्टी समीकरण बना और बिगाड़ सकती है। आप विधानसभा चुनाव के लिए पिछले एक साल से कड़ी मेहनत कर रही है। खासकर पंजाब और दिल्ली से सटी सीटों पर। यदि आप का कांग्रेस से पांच सीटों पर भी समझौता हो गया होता तो कांग्रेस का वोट बैंक भी उसे मिलता और वह इन सीटों पर जीत की राह देख सकती थी। इससे हरियाणा की राजनीति में उसकी एंट्री हो जाती। इसका फायदा उसे अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मिलता। अब आप को सभी 90 सीटों पर उंमीदवार उतारने पड़ेंगे।
वोट बंटने से कांग्रेस को भी नुकसान
ऐसा नहीं है कि आप का हरियाणा में जनाधार नहीं है। हर विधानसभा सीट पर उसके पक्ष के मतदाता हैं। ये वोट इसलिए मायने रखते हैं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 25 सीटें ऐसी थी, जहां जीत हार का अंतर सिर्फ 600 से 4200 वोट का था। भाजपा के खिलाफ पडऩे वाला वोट गठबंधन होने पर एक जगह पड़ सकता था, मगर अब इसमें बिखराव होगा। इससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बागी नेता डालेंगे वोट बैंक पर असर
कांग्रेस के लिए यह स्थिति उस समय ज्यादा गंभीर हो जाएगी, जब कांग्रेस के बागी आम आदमी पार्टी से या निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं। इससे कांग्रेस का वोट बैंक और कम होगा। यदि दिल्ली के मुखयमंत्री केजरीवाल जेल से बाहर आते हैं और आप के प्रति माहौल बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो इससे कांग्रेस को और ज्यादा नुकसान हो सकता है। केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा जा चुका है।
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