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गैंग्स ऑफ प्रॉपर्टी डीलर्स : ग्राहक का जूता, उसका ही सिर

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मोटा कमीशन देकर भी हो जा रहे कंगाल डेवलपर, विदेश-टूर बोनस में लेते हैं मालामाल प्रॉपर्टी डीलर

लुधियाना/यूटर्न/9 सितंबर। महानगर की बात करें तो यहां रियल एस्टेट सैक्टर में चिंताजनक और दिलचस्प हालात बने हैं। इस कारोबार के जानकार गैंग्स ऑफ प्रॉपर्टी डीलरों का गोरखधंधा हैरान हैं। जबकि उनके हाथों दोनों हाथों से माल लुटा चुके डेवलपरों की हालत कंगालों जैसी हो जा रही है। इस सारे ‘खेल’ में झांसे में आकर एक का माल दस में खरीदने वाले ग्राहक हकीकत सामने आने पर खून के आंसू बहाते नजर आते हैं।

गौरतलब है कि रियल एस्टेट के कारोबार को प्रोफेशनल-लुक दिलाने वाले कुछ प्रॉपर्टी डीलरों के गैंग खूब चांदी कूट रहे हैं। उन्होंने साउथ सिटी और फिरोजपुर रोड पर लांच होने वाले प्रोजेक्ट्स के नाम पर मोटी कमाई कर ली। जानकारों की मानें तो प्रॉपर्टी डीलरों का यही गैंग पहले डेवलपरों का ब्रेन-वॉश करता है। फिर बड़े-बड़े ब्रांड के साथ उनके प्रोजेक्ट का नाम जुड़वाकर हाइप क्रिएट करते हैं। इसके एवज में दस करोड़ का प्रोजेक्ट सौ करोड़ का दिखाते हैं। साथ ही प्रॉपर्टी डीलरों का यह गैंग अंदरुनी करार के तहत डेवलपरों से दो की बजाए बीस परसेंट तक कमीशन तक करते हैं।

लालच में सगों का गला काटते हैं :

इसके बाद यही प्रोपर्टी डीलरों के गैंग ऐसे ग्राहकों को फंसाते हैं, जो दस लाख का माल एक करोड़ में लेने को तैयार हो जाते हैं। नतीजे के तौर पर डीलरों को डेवलपरों से मोटा कमीशन मिल जाता है। इस तरह वह डेवलपरों का माल दस गुनी कीमत में बिकवाने के लिए जी-जान लगा देते हैं, ताकि उनको बस फिलहाल मोटा कमीशन मिल जाए। एलआईसी एजेंटों की तर्ज पर डीलर अपने दोस्तों से लेकर सगे रिश्तेदारों को भी ग्राहक बनाकर अपनी कमाई करने में कतई गुरेज नहीं करते हैं।

गैंग कराते हैं डेवलपरों में कंप्टीशन :

जानकारों की मानें तो डीलरों के यही गैंग बतौर बोनस डेवलपरों से और भी फायदे लेते हैं। इसके लिए वे कलस्टर बनाकर कई डेवलपरों के साथ ग्रुप में बैठ जाते हैं। फिर डेवलपर को उकसाते हैं कि दूसरा डेवलपर तो अपने डीलरों को फेमली समेत विदेश टूर पर ले जा रहा है। इस तरह वह डेवलपर के कई करोड़ इस मामले में खर्च करा खुद ऐश कर लेते हैं। जानकारों के मुताबिक महानगर के ऐसे ही प्रॉपर्टी डीलरों के गैंग साल भर में दस से ज्यादा विदेश के टूर कर चुके हैं।

अपना टारगेट पूरा, प्रोजेक्ट अधूरा :

जानकार बताते हैं कि प्रॉपर्टी डीलरों का गैंग तो ग्राहक लाकर उससे टोकन मनी डेवलपर को दिला देता है। एवज में अपना कमीशन टारगेट पूरा करके डीलर गायब हो जाते हैं। मोटा कमीशन देकर असलियत में डेवलपर उसे लॉन्च नहीं कर पाता है। हकीकत में अपने छोटे प्रोजेक्ट पर डेवलपर मोटी रकम लुटाने के बाद खुद को ठगा महसूस करता है। तब तक तो डीलर फुर्र हो चुके होते हैं।

पहले खुश जनता नहीं समझ पाती :

शातिर डीलर गैंग ऐसा कॉस्मेटिक प्रोजेक्ट का जाल बुनते हैं कि ग्राहक को लगता है कि उसने सौ का माल मानों दस में खरीद लिया। तब तो ग्राहक खुशी से झूमते नजर आते हैं। जबकि प्रोजेक्ट अधूरा रहने पर वे भागदौड़ कर हकीकत जानते हैं कि उनको तो दस का माल सौ में बेच दिया गया। तब तक काफी देर हो चुकी होती है। कमीशन लेकर गायब डीलर मिलते नहीं और घाटे से परेशान कई डेवलपर भी भूमिगत हो जाते हैं। कई डेवलपर तो ग्राहकों को जल्द प्रोजेक्ट लॉन्च करने के झूठे आश्वासन देकर बरसों-बरस टरकाते रहते हैं।

पुराने डेवलपर रो रहे :

रियल एस्टेट कारोबार के कायदे-कानून मुताबिक काफी तादाद में पुराने डेवलपर दो फीसदी कमीशन ही प्रॉपर्टी डीलरों को देते हैं। नतीजतन डीलरों का गैंग ऐसे डेवलपरों का पूरी तरह बायकॉट कर देता है। नतीजतन उनके प्रोजेक्ट में खरीदारों का टोटा पड़ जाता है। ऐसे डेवलपर इन डीलरों के गैंग की मोनोपॉली के चलते हैरान-परेशान होते हैं।

अफसर ‘मौन’ तो पूछे कौन :

इस गोरखधंधे पर लगाम कसने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की है। खासकर ग्लाडा के अफसर भी मौन धारण किए रहते हैं, जिसको लेकर अकसर इस कारोबार से जुड़े लोग तरह-तरह की चर्चाएं भी करते हैं। कुल मिलाकर संबंधित अफसरों के मौन के चलते गोरखधंधे में शामिल डीलर-गैंग अनअप्रूव्ड प्रोजेक्टस को भी फर्जी तरीकों से अप्रूव्ड बता-दिखाकर ग्राहकों को ठग लेते हैं।

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