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भाजपा को लग रहे हर रोज झटके,नेता पार्टी छोड कर जाने लगे

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हरियाना/यूटर्न/10 सितंबर: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 8 अक्टूबर को मतदान होगा। चुनाव प्रचार चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां प्रस्तावित हो चुकी है। भाजपा अपने उंमीदवारों की घोषणा कर चुकी है, लेकिन चुनावी सरगर्मियों के बीच भाजपा को हरियाणा में बड़ा नुकसान हो रहा है, जो उसके हरियाणा में हैट्रिक लगाने के सपने को तोड़ सकता है। जी हां, जब से भाजपा उंमीदवारों की सूची जारी हुई है, तब से हरियाणा में नेताओं के इस्तीफे की होड़ लग गई है। पिछले 5 दिन में 40 से ज्यादा नेता, विधायक और बड़े पदों पर विराजमान नेता इस्तीफा दे चुके हैं। कइयों ने पार्टी छोड़ दी है। बीते दिन भाजपा के पूर्व मंत्री प्रोफेसर छतरपाल सिंह ने पार्टी छोड़ दी और आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। उन्होंने देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और हरियाणा के दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल को हरा कर नाम कमाया था। वहीं अब एक युवा नेता ने पार्टी छोडऩे का ऐलान कर दिया है। वे चुनाव टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे। आइए जानते हैं कि किसने भाजपा को झटका दिया है?
बीजेपी को एक और बड़ा झटका,
हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रो. छत्रपाल सिंह ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने 2014 में बीजेपी ज्वाइन की थी। छत्रपाल ने बताया कि इस उंमीद के साथ बीजेपी ज्वाइन की थी कि उन्हें पूरा मान-समान मिलेगा। पार्टी अपने क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका देगी। लेकिन बीजेपी द्वारा हर बार नजरअंदाज किया गया। अब छत्रपाल ने हरियाणा राज्य के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रमुख के पद और बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। छत्रपाल सिंह ने कहा कि 2014 में गांधीधाम, गुजरात में देश की राजनीतिक परिस्थितियों के संबंध में उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से हुई थी। जब वे बैठक से निकलने वाले थे तब मोदी ने कहा था कि कोई उपयुक्त व्यक्ति उचित समय पर उनसे संपर्क करेगा। जिसके बाद उनकी अमित शाह के साथ बैठक हुई और वे विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 2014 में महेंद्रगढ़ रैली में बीजेपी में शामिल हो गए। पिछले 10 साल में उन्होंने खुद को पार्टी नेतृत्व के साथ हुई अपनी चर्चाओं और बैठकों से अलग पाया। उन्हें पार्टी में सभी बाधाओं के साथ काम करना पड़ा। अब न ही उनको टिकट दिया गया। जिसके कारण वे संसद और राज्य विधानसभा में लोगों की आवाज उठाने से वंचित रह गए। मैंने स्वयं को कई प्रमुख मुद्दों पर पार्टी के रुख से अलग पाया।
मुद्दे उठाए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
वे खेदड़ थर्मल पावर प्लांट का धरना, तलवंडी गांवों का धरना (राष्ट्रीय राजमार्ग की नाकाबंदी), पुरानी पेंशन योजना/कर्मचारियों की योजनाओं को लागू करना, किसानों और पहलवानों का विरोध आदि मुद्दों को उठाते रहे। लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। जिसके चलते अब पार्टी को छोडऩे का निर्णय लेना पड़ा। हिसार संसदीय क्षेत्र और हरियाणा की जनता मुझ पर लगातार दबाव बना रही है कि मैं चुनाव क्यों नहीं लड़ रहा हूं? विधानसभा और संसद में उनकी आवाज क्यों नहीं उठा रहा हूं? अब मैं जनता के निर्णय का पालन करने के लिए बाध्य हूं। अभी यह तय नहीं किया है कि किस सीट से चुनाव लड़ूंगा। इस बारे में समर्थकों से राय ली जाएगी। बता दें कि 1991 में हिसार जिले के घिराय हलके से छत्रपाल ने चौधरी देवीलाल को चुनाव हरा दिया था। इसी तरह यंग आयोग के चेयरमैन दविंदर कादीयां ने भी पार्टी छोडने का ऐलान कर दिया है,वह भी बीजेपी की नीतियों से खुश नही थे।
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