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एकदम सही पकड़े हैं जी
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नेताजी को अब रात-दिन सब दलित नजर आते हैं
चुनावी सीजन आते ही वह बिल्कुल बदल जाते हैं
बस एक ही रट लगाए रहते हैं मैं तो वहीं जाउंगा
आज तो मैं किसी दलित के घर पर रोटी खाउंगा
—-बड़का वाले कविराय