जत्थेदार ने सुनाया फैसला, गुनाहों की माफी मांगें सुखबीर, दी थी माफी राम रहीम को
अमृतसर 30 अगस्त। शिरोमणि अकाली दल-बादल के सुप्रीमो सुखबीर बादल को ‘धार्मिक-सजा’ मिली है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उनको तनखैया करार दिया। गौरतलब है कि सुखबीर पर उनकी सरकार के कार्यकाल में डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को माफी देने का आरोप था।
श्री अकाल तख्त साहिब के ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने डिप्टी सीएम रहते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए, जिनसे पंथक स्वरूप को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। लिहाजा साल 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें। ज्ञानी रघबीर सिंह ने यह भी कहा कि सुखबीर एक साधारण सिख की तरह अकाल तख्त पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगें। वह 15 दिन में श्री अकाल तख्त पर पेश हों। वहीं, अकाली दल के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि अब सुखबीर बादल अकाल तख्त पर पेश होंगे। उसके बाद उन्हें गुनाह बताए जाएंगे, जिस पर सुखबीर अपना पक्ष रखेंगे।
तनखैया कैसे, क्या होता है :
तनखैया का सीधा मतलब धर्म से निष्कासित कर देना। आम भाषा में समझें तो धर्म से बहिष्कृत कर देना ही सिख धर्म में तनखैया है। यह सजा मिलने पर कोई भी सिख उससे संपर्क और कोई संबंध रखेगा। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आवाजाही नहीं कर सकता है। सिख पंथ के मुताबिक तनखैया होने का ऐलान सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब होता है। कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसके लिए व्यवस्था है कि वह नजदीकी सिख संगत के सामने पेश होकर गलती के लिए माफी मांग ले। तब संगत की ओर से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में कसूरवार के कसूर की समीक्षा होती है। फिर उसी हिसाब से उसकी सजा तय होती है।
सुखबीर को पूरी आशंका थी !
चर्चाओं के मुताबिक शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल को पूरी आशंका थी कि उनको तनखैया घोषित कर दिया जाएगा। तभी इस मामले में पांचों तख्तों की बैठक से पहले ही सुखबीर ने अकाली नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को शिअद का कार्यकारी प्रधान नियुक्त कर दिया था। वहीं, सियासी जानकारों की नजर में बगावत झेल रहे अकाली दल ने यह फैसला पंथक-रोष को देखते हुए भी लिया।
बागी अकालियों ने सौंपा था माफीनामा :
कई सिख जत्थेबंदियों ने श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर सुखबीर बादल के इस्तीफे की मांग की थी। बागी अकाली गुट तो बाकायदा एक जुलाई को श्री अकाल तख्त के सामने पेश हो गया था। इस दौरान बागियों ने सुखबीर को निशाना बनाते हुए जत्थेदार को माफीनामा सौंपा था। जिसमें शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल की 4 गलतियों पर माफी मांगी गई। इन गलतियों में डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने, आईपीएस सुमेध सैनी को डीजीपी बनाना और मो. इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की भी गलती मानी गई। इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था।
स्पष्टीकरण देकर आए थे सुखबीर :
शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल ने भी अपना स्पष्टीकरण लिखकर बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को सौंपा था। जो बाद में सार्वजनिक कर दिया गया था। जिसमें सुखबीर ने कहा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वह आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहब शक्ति और दया प्रदान करें।
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