लुधियाना 28 अगस्त। श्री आत्मानंद जैन सभा लुधियाना के जैन उपाश्रय व श्री आत्मानंद जैन महासमिति के संयोजन में श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में चातुर्मास हेतु विराजमान श्रीमद् आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र सुरीश्वर जी महाराज के क्रमिक पट्टधर गच्छाधिपति शांतिदूत जैनार्चाय श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरी जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत श्री जी महाराज की सुशिष्या सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा श्री जी महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज की पावन मिश्रा में बुधवार को सत्संग किया। इस दौरान साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि उपाश्रय व जिन मंदिर पास में हो तो बच्चों में सुंसस्कार आए। एकांत स्थान में घर नहीं होना चाहिए। मुश्किल के समय कोई नहीं पहुंच पाएगा। चौराहे के बीचों बीच भी घर नहीं होना चाहिए। घर के दरवाजे भी दो होने चाहिए। पड़ोसी अच्छा और सुसंस्कारी हो। फूलों व फलों के चित्र व किसी तीर्थ का चित्र लगाना चाहिए। इस मौके पर श्री आत्मानंद जैन सभा के कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन जैन ने बताया कि सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी पुनीतयशा महाराज के प्रवचनों की ज्ञान की गंगा से संगत भावविभोर हुई।
घर के पास उपाश्रय व जिन मंदिर हो तो बच्चों में सुंसस्कार आते हैं – साध्वी श्री पुनीतयशा महाराज
Rajdeep Saini
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