लुधियाना में 200 एकड़ की प्रोपर्टी में भारी निवेश वाला पैसा डकारने वालों की लग रही ‘बल्ले-बल्ले’
लुधियाना 26 अगस्त। करीब 45 हजार करोड़ के घोटाले के मास्टर-माइंड पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू का निधन हो चुका है। इस घोटाले के तार देश-विदेश के साथ ही औद्योगिक-नगरी लुधियाना से भी जुड़े बताए जाते हैं। बताते हैं कि यहां पर्ल ग्रुप ने चंडीगढ़ रोड पर तकरीबन 200 एकड़ जमीन खरीदी थी। साथ ही कुछ कंपनियों में भारी निवेश भी किया था। साल 2016 से तिहाड़ जेल में बंद भंगू की तमाम नामी-बेनामी संपत्तियों की जांच चली, लेकिन बहुत कुछ सीबीआई और ईडी की निगाह में नहीं चढ़ा था।
चर्चाओं के मुताबिक लुधियाना में पर्ल ग्रुप की बेशकीमती जायदाद और निवेश भी जांच के दायरे से बाहर रहा था। अब भंगू की मौत के बाद माना जा रहा है कि महानगर में 200 एकड़ जमीन का काफी हिस्सा फर्जी तरीके से बेच देने वालों की मौज हो गई। इसी तरह वो चंद लोग भी मौज करेंगे, जिनकी कंपनियों में पर्ल ग्रुप के मालिक भंगू ने अपने करोड़ों रुपये निवेश किए थे। जानकारों की मानें तो भंगू के जेल चले जाने के बाद उसकी पत्नी प्रेम कौर पर्ल ग्रुप की नामी-बेनामी संपत्तियों और दूसरी कंपनियों में निवेश किए पैसों का सारा हिसाब-किताब संभालती थी। हालांकि भंगू की पत्नी को भी पिछले साल पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया था। ऐसे में महानगर में पर्ल ग्रुप की बेशकीमती प्रोपर्टी और निवेश का हिसाब-किताब लेने वाला भंगू परिवार एक तरह से निष्क्रिय हो गया था।
भंगू की मौत से ‘दफन’ हुए कई राज !
गौरतलब है कि पर्ल ग्रुप के जरिए घपले कर देश-विदेश में निवेश करने वाला इस कंपनी का मालिक निर्मल भंगू ही पूरे मामले का मास्टर-माइंड था। विजिलेंस से लेकर सीबीआई-ईडी जैसी जांच एजेंसियों ने उससे ही तमाम राज जाने होंगे। जबकि लुधियाना में निवेश जैसे बहुत से राज शायद उसने पूरी तरह जांच में नहीं बताए होंगे। तभी उसकी प्रोपर्टी पर काबिज हुए लोग और उसका पैसा निवेश करने वाले जांच के लपेटे में आने से बचे थे। अब तो भंगू की मौत के साथ यह राज भी एक तरह से दफन हो गया। लिहाजा उसकी जायदाद और निवेश किए पैसे में खेला करने वाले राहत की सांस ले रहे होंगे।
एक कारोबारी ने उतारी सबसे मोटी मलाई !
जिसने पर्ल ग्रुप के मालिक भंगू का पैसा प्रोपर्टी में इनवेस्ट कराया था, इस वक्त वह कथित तौर पर बड़ा कोलोनाइजर कहलाता है। जानकारों की मानें तो शातिर दिमाग निर्मल भंगू ने इंडस्ट्रियल सिटी होने के कारण लुधियाना में संभावनाएं देखीं। लिहाजा उसने घोटाले की कमाई यहां निवेश करने के लिए उसी बड़े ‘कलाकार’ से तार जोड़े थे, जो अब कथित कोलोनाइजर बन गया। वैसे तो वह शख्स तब छोटा सा कारोबारी था, लेकिन जुगाड़बाजी में माहिर था। उसने ही ब्रोकर बनकर भंगू के पर्ल ग्रुप को चंडीगढ़ रोड पर करीब 200 एकड़ जमीन दिलाने की पहल की। उसने रोड-साइड की जमीन के हिसाब से ऊंचे रेट तय कराए और उसी भाव में पीछे वाली कम कीमती जमीन भी दिलाकर मोटा कमीशन अंदर कर लिया। लगे हाथों, उसने भंगू का भरोसा जीत कुछ प्रोपर्टी अपने नाम से भी खरीदवाई। घोटाले की जांच के दौरान यह शख्स आखिर कैसे बच गया, इसे लेकर भी तरह-तरह चर्चाएं रही थीं।
दूसरे फेज में फिर मची लूट :
जानकारों के मुताबिक करीब तीन साल पहले कई भू-माफिया सक्रिय हुए। ऐसे कई शातिर लोगों ने बैक-डेट में पर्ल ग्रुप की चंडीगढ़ रोड वाली जमीन के कई बड़े हिस्सों की रजिस्ट्रियां अपने नाम से कराई ली थीं। फिर गुपचुप तरीके से उन्होंने रातों-रात इन जायदाद को औने-पौने दामों में बेचकर खूब चांदी कूटी। ऐसे कलाकारों के भी करोड़ों के वारे-न्यारे हुए। इनकी चर्चाएं भी उद्योग-जगत में खूब रही हैं।
कैसे आसानी से कर गए खेला भू-माफिया ?
लाख टके का सवाल यह है कि इतने बड़े घोटाले के आरोपी भंगू के पीछे विजिलेंस से लेकर सीबीआई-ईडी पड़ी थी। पंजाब सरकार अलग से शिकंजा कस रही थी। फिर भला लुधियाना में पर्ल ग्रुप की सैकड़ों एकड़ प्रोपर्टी क्या इन सबके ‘रडार’ पर नहीं थी। सूत्रों की मानें तो हकीकत में भू-माफिया ने प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से ही इस प्रोपर्टी के कई हिस्सों की फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार कराई थीं। उसी संरक्षण के चलते वे फर्जी रजिस्ट्रियों वाली प्रोपर्टी भी आसानी से बेच करोड़ों डकार गए। जानकारों का मानना है कि अगर राज्य सरकार और जांच एजेंसियां गंभीरता से इस गोलमाल की पर्ते उधेड़ें तो सबका कच्चा चिट्ठा सामने आ सकता है।
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