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सरकारी कर्मचारी में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने का पर्याय मानव संपदा पोर्टल-भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी 

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सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल अचल संपत्तियों का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर 31अगस्त 2024 तक अपलोड के आदेश से हड़कंप मचा-ब्योरा नहीं तो वेतन व प्रमोशन भी नहीं

 

सरकारी कर्मचारीयों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा पोर्टल पर डालने की,यूपी सरकार नियमावली 1956 नियम 2,4 मॉडल को हर राज्य ने सख़्ती से अपनाना समयकी मांग-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

गोंदिया -वैश्विक स्तरपर दुनियां के हर देश में चाहे वह लोकतांत्रिक होया अलोकतांत्रिक उनकाशासन क्रमशः सरकार या राजा द्वारा किया जाता है।दोनों ही स्थितियों में संचालन एक प्रक्रिया के तहत होता है।सामान्यतः लोकतांत्रिक देशों में अपने संविधान कानून नियम विनियम इत्यादि एक पूरी प्रक्रिया की चेन होती है,जिसके आधार पर सरकारें अपना शासन चलती है।भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में भी संविधान और केंद्र व राज्य स्तरपर अनेक कानून नियम विनियम अनुसार शासन प्रशासन चलता है, बस फर्क इतना है कि केन्द्र या कोई राज्य पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने के लिए कानूनों व नियमों विनियमो का सख़्ती से पालन करता है तो कोई चलने दो वाले जुमले पर चलता है। पिछले कुछ वर्षों से हम यूपी राज्य में देख रहे हैं कि बुलडोजर व कुछ दिनों से यूपी नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन व उपयोग) अध्यादेश 2024 व अभी यूपी सरकारी कर्मचारी नियमावली 1956 नियम 2,4 की सख़्ती से चपरासी से लेकर बाबू तक और शिक्षक से लेकर अधिकारियों तक में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि हर सरकारी कर्मचारियों को अपने व परिवार की संपत्ति को मानव संपदा पोर्टल पर 31 अगस्त 2024 तक अपलोड करना है, अन्यथा अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा व 1 जनवरी 2024 के बाद की विभागीय चयन समिति की बैठक में उनकी पदोन्नति या प्रमोशन पर भी विचार नहीं किया जाएगा।हालांकि सरकार ने अपने पिछले आदेश में संपत्तियों की डीटेल जमा करने के लिए एक टाइम पीरियड भी दिया था।अब सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 6 जून 2024 को जारी शासनादेश में पोर्टल पर जानकारी देने के लिए 30 जून 2024 की तारीख दी गई थी,इस आदेश में ये भी कहा गया था कि ब्योरा नहीं दिए जाने पर अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने 11 जुलाई को चल-अचल संपत्ति ब्योरा देने के लिए निर्धारित समयावधी 31 जुलाई 2024 तक बढ़ा दी थी, इसके बावजूद भी पोर्टल पर कुछ कर्मचारियों ने जानकारी साझा नहीं की थी जिसके बाद येफैसला लिया गया है मेरा मानना है कि बुलडोजर, सख्त नजूल संपत्ति अध्यादेश व सख्त यूपी सरकार नियमावली 1956 का अनुकरण व सख़्ती केंद्र वह हर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने गंभीरता से कर इस मॉडल को अपनाना समय की मांग है।हालांकि हर राज्य की सरकारी नियमावली जरूर है, परंतु उनके भ्रष्टाचार, पारिवारिक संपत्ति को पोर्टल पर अपलोड करने के नियमों पर अति सख़्ती करने की ज़रूरत है हालांकि बुलडोजर मॉडल अब कई राज्यों ने अपनाया है जिसका अपडेट दिनांक 21 अगस्त 2024 को एमपी के छतरपुर में पुलिस पर पथराव में शामिल एकआरोपी के 20 हज़ार स्क्वायर फिट में बने आलीशान बंगले को नेस्तनाबूद किया गया तथा अयोध्या रेप कांड आरोपी के मकान पर भी बुलडोजर सहित अनेक राज्यों में यह सराहनीय पहल जारी है, अब जरूरत है सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारीयों व शिक्षकों की चल अचल संपत्तियों को एक सार्वजनिक पोर्टल पर डालने का आदेश जारी हो ताकि पूरी आम जनता उसे देख सके, जिससे भ्रष्टाचार में काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। चूंकि यूपी सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल अचल संपत्तियों के विवरण मानव संपदा पोर्टल पर 31अगस्त 2024 तक देने के आदेश से हड़कंप मचा हुआ है व ब्योरा नहीं डालने पर वेतन व प्रमोशन नहीं मिलेगा, जिसमें सरकारी कर्मचारियों में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने का पर्याय मानव संपदा पोर्टल है,जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा पोर्टल पर डालने की यूपी सरकार की नियमावली 1956 नियम 2,4 मॉडल को हर राज्य ने सख़्ती से अपनाना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम शासकीय कर्मचारियों के पास अणखुट खजाने की करें तो,एक बार माननीय पीएम ने भी एक जनसभा में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की किसी बड़ी सिटी में कितने फ्लैट हैं,उसका पता अब चल जाएगा। मेरा मानना है कि वर्तमान व रिटायर्ड शासकीय कर्मचारियों के पास बहुत संपदा हो सकती है, क्योंकि कुछ समय पूर्व मेरी बात एक रिटायर्ड शिक्षक से हुई थी तो उन्होंने अनायास ही मुझे जो बात बताई तो मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गया,उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पत्नी दोनों अभी रिटायर्ड हैं व दोनों को 30-30 हजार रुपए पेंशन आता है, मेरे चार मकान है एक में हम रहते हैं बाकी तीन किराए पर दिए हुए हैं जिनका 60 हज़ार रुपया महीना किराया आता है,व मेरा लड़का सरकारी अस्पताल में सर्जन है जिसकी तनख्वाह करीब डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह है, मां लक्ष्मी की कृपा है और मैं आरक्षण व सरकारी सुविधाओं का पूरा लाभ भी रहता हूं,अब बताइए एक रिटायर्ड शिक्षक को इतना कुछ होने के बाद भी वह आरक्षण व अन्य सरकारी सुविधाओं को इंजॉय भी कर रहा है और शासन चुपचाप बैठा है।इसलिए ही मेरामानना है कि यूपी मॉडल को हर राज्य ने अपनाना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम यूपी मुख्य सचिव द्वारा 17 अगस्त 2023 को जारी एक पत्र की करें तो मुख्य सचिव ने 17 अगस्त 2023 को सभी प्रमुख सचिवों,अपर मुख्यसचिवों सचिवोंमहानिदेशकों निदेशकों और विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कियाइस पत्रमें सरकारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 2 और 4 का पालन करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2023 तक अपनी चल और अचलसंपत्ति का विवरण देने के लिए कहा गया था।पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया था कि अगर कोई कर्मचारी अपने संपत्ति का विवरण जमा नहीं करता है, तो 1 जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय चयन समिति की बैठक में उनकी पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा और उनकेखिलाफ कार्रवाई की जाएगी।उसके बाद समय सीमा को कई बार बढ़ाया गया- 30 जून औरफिर 31जुलाई लेकिन फिर भी अगस्त महीने में 74 फीसदी कर्मचारियों ने अपनी जानकारी नहीं दी है, इसके लिए अब 31 अगस्त तक की आखिरी डेडलाइन दी गई है।एक पेपर की रिपोर्ट के मुताबिक,17 लाख 88 हजार 429 सरकारी कर्मचारी हैं। इसमें से केवल 26 प्रतिशत कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। यानी 13 लाख से अधिक कर्मचारियों ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। हालांकि, पहले भी कई बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन ताजा निर्देश उन लोगों के लिए अल्टीमेटम है,जो विवरण जमा करने में विफल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 31 अगस्त तक संपत्ति का विवरण देने वालों को ही अगस्त महीने का वेतन दिया जाएगा, जबकि अन्य सभी का वेतन रोक दिया जाएगा।नवीनतम आदेश में कहा गया है कि अनुपालन न करने पर पदोन्नति भी प्रभावित होगी। बता दें कि मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का विवरण देने की व्यवस्था पहली बार की जा रही है, इसलिए शुरुआती कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को पोर्टल पर विवरण देने का एक और मौका देते हुए इसकी अंतिम तिथि 31 अगस्त कर दी गई है।

साथियों बात अगर हम राज्य सरकार के इस सराहनीय कदम की तारीफ की करें तो,राज्य सरकार ने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। मंत्री ने कहा,इस उपाय का उद्देश्य सरकार के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। मुख्यमंत्रीऔर पीएम के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के प्रति हमारी जीरो टॉलरेंस नीति है। विपक्ष ने इस कदम की आलोचना की है और कहा है कि कई बार समय सीमा बढ़ाए जाने से पता चलता है कि राज्य सरकार अपने आदेश को लागू करने में विफल रही है।एक पार्टी के प्रवक्ता ने कहा उन्होंने इसे 2017 में क्यों नहीं लाया? अब सरकार बैकफुट पर है, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। उन्हें एहसास हो गया है कि उनके सभी कर्मचारी भ्रष्ट हैं। यह एक अनुवर्ती है, वे इसे लागू करने में सक्षम नहीं थे।सभी श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए चल और अचल संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है।जबकि प्रदेश की सरकार भ्रष्टाचार को लेकर फुल ऑन एक्शन मोड में है। इस बीच सीएम अपने अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्ती बरतने में परहेज नहीं कर रहे।

साथियों बात अगर हम यूपी बेसिक शिक्षा अधिकारी के एक आदेश की करें तो,यूपी में एक बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने विभाग के सभी कर्मियों और शिक्षकों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश जारी किया है।उन्होंने विभाग के लिए एक लेटर जारी करते हुए कहा है कि अगर 24 अगस्त तक ब्यौरा नहीं दिया गया तो पत्र एक्शन लिया जा सकता हैअपने आदेश में शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि यूपी सरकार की ओर से मानव सम्पदा पोर्टल पर राज्य कर्मचारियों को चल-अचल सम्पति का विवरण दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए गये हैं।इस शासनादेश को देखते हुए विभाग के सभी अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है कि आप मानव सम्पदा पोर्टल पर चल-अचल सम्पति का विवरण जिला समन्वयक एमआईएस से 24.08.2024 तक पोर्टल में फीड करवा दें।आदेश में आगे कहा गया है कि अपनी चल अचल सम्पति का विवरण मानव सम्पदा पोर्टल पर फीड कराये जाने के बाद सभी अधिकारी कर्मचारी इसका प्रमाण-पत्र सेल्फ अटेस्ट करके कार्यालय में जमा करवा दें। अगर विभाग का कोई भी अधिकारी कर्मचारी अपनी सम्पति का पूरा ब्योरा नहीं देता या फिर दिए गए वक्त में उसे फीड नहीं करवाता तो उस अधिकारी कर्मचारी का अगस्त महीने का वेतन उसे नहीं दिया जाएगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल अचल संपत्तियों का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर 31 अगस्त 2024 तक अपलोड के आदेश से हड़कंप मचा-ब्योरा नहीं तो वेतन व प्रमोशन भी नहीं।सरकारी कर्मचारी में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने का पर्याय मानव संपदा पोर्टल-भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।सरकारी कर्मचारीयों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा पोर्टल पर डालने की,यूपी सरकार नियमावली 1956 नियम 2,4 मॉडल को हर राज्य ने सख़्ती से अपनाना समय की मांग है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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