चंडीगढ/यूटर्न/21 अगस्त: हरियाणा विधानसभा चुनाव में रोजगार और बेरोजगारी दर बड़े मुद्दे हैं। नियमित और कच्चे पदों पर भर्तियों में एक-एक पद के लिए हजारों आवेदन आने से प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। बेरोजगारी दर के प्रतिशत पर सत्ताधारी और विपक्षी दल पिछले दस साल से आमने-सामने हैं। कांग्रेस का दावा है कि हरियाणा में पूरे देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर 27.9 फीसदी से अधिक है, लेकिन भाजपा सरकार इन आरोपों को दरकिनार कर मात्र 5 से 6 फीसदी बेरोजगारी होने का दावा कर रही है।
खाली पड़े हैं दो लाख पद
हरियाणा में 4.50 लाख सरकारी स्वीकृत पद हैं। इनमें से करीब 2 लाख पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में मात्र 2.70 लाख कर्मचारियों के भरोसे सारे विभाग, निगम और बोर्ड चल रहे हैं। खाली पदों को लेकर विपक्षी दल सडक़ से लेकर विधानसभा तक में सरकार की घेराबंदी करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर जहां भाजपा मिशन मेरिट को अपना हथियार बना रही है और कांग्रेस पर हमले कर रही है। वहीं, कांग्रेस पेपर लीक, अदालतों में अटकी भर्तियों और बाहरी राज्यों के युवाओं को नौकरी देने को मुद्दा बना रही है।
भाजपा ने 1.35 लाख और कांग्रेस ने 93 हजार नौकरियां दीं
खाली पदों को भरने के लिए भाजपा सरकार ने पिछले दस साल में 1.35 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। इनमें ग्रुप ए और बी की 11500 और ग्रुप सी और डी के 1.24 लाख पद शामिल हैं। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत 1,05,728 पुरानी मैनपावर को समायोजित किया गया है और 12,885 नए लोगों को नौकरी दी गई। इनके अलावा 6 हजार पुलिस कर्मचारियों के साथ ग्रुप सी के 22 हजार से अधिक पदों पर भर्ती चल रही है। कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में एचपीएससी और एचएसएससी के कुल 93 हजार ही भर्तियां हुई थीं। अब कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा नौकरियों को ही मुद्दा बना रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि मेरिट के आधार पर नौकरियां दी जाएंगी और एक साल में एक लाख नौकरी देने का लक्ष्य रखा जाएगा।
शर्तें बदलने से अटक रहीं भर्तियां
आर्थिक सामाजिक अंकों के फेर में ग्रुप सी की 22 हजार से अधिक पदों पर भर्तियां लंबित हैं। इनमें पटवारी, नहर पटवारी, क्लर्क समेत दर्जनों श्रेणियों की भर्तियां शामिल हैं। ग्रुप सी की सीईटी 5 व 6 नवंबर 2022 को हुई थी। पदों के मुकाबले केवल चार गुना अभयर्थियों को बुलाने के फैसले के खिलाफ अभयर्थी हाईकोर्ट चले गए। उनकी मांग है कि 10 गुना अभयर्थी बुलाए जाएं। अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। इसी प्रकार हरियाणा लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 50 प्रतिशत अंकों की शर्त के चलते एडीओ, वेटनरी सर्जन, पीजीटी अध्यापकों की भर्ती अटकी हुई है। आयोग के बार-बार शर्तें बदलने के चलते अभयर्थियों ने हाईकोर्ट का रुख किया।
नहीं मिल पाया निजी नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण
गठबंधन सरकार में जजपा ने प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। सरकार ने इसके लिए पॉलिसी भी बनाई, लेकिन निजी उद्योग संचालक इसके विरोध में हाईकोर्ट चले गए और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पांच साल बीतने के बाद भी सरकार इस फैसले को लागू नहीं करा पाई।
हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी: भुक्कल
गीता भुक्कल, विधायक, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईर्ई) की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी है, लेकिन भाजपा सरकार इसे मानती नहीं है। जो नौकरियां निकलती हैं, उसके मुकाबले जितने आवेदन आते हैं, उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में किस स्तर पर बेरोजगारी है। युवाओं को नौकरियां देने की बजाय सरकार ने लटकाने में ज्यादा जोर लगाया है। इसीलिए आज प्रदेश का युवा नशे और अपराध के दलदल में धंस गया है। कांग्रेस की सरकार बनने पर पहले एक साल में एक लाख पक्की नौकरियां दी जाएंगी और हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग किया जाएगा।
हमने मेरिट और कांग्रेस ने पर्ची-खर्ची से दी नौकरियां : आत्रेय
प्रवीन आत्रेय, मीडिया सचिव, मुखयमंत्री ने कहा कि हरियाणा के किसी भी व्यक्ति से ये बात छुपी नहीं है कि कांग्रेस के राज में कैसे नौकरियां क्षेत्रवाद, जातिवाद और पर्ची-खर्ची के हिसाब से दी जाती थीं। लोग उस बुरे दौर को भूले नहीं हैं। भाजपा सरकार ने हरियाणा में सेरिट को आधार बनाकर नौकरियां दी हैं और हर आम गरीब व्यक्ति के बच्चे इस बात के गवाह हैं। भाजपा सरकार ने दस साल में 1.35 लाख पक्की नौकरियां दी हैं। इसके अलावा कच्चे कर्मचारियों की 58 साल तक की सेवा के लिए गारंटी दी है। कांग्रेस राज में ठेके पर लगे कर्मचारियों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम में समायोजित कर उनका शोषण बंद किया है। स्वरोजगार के लिए भी कई योजनाएं लाकर युवाओं को नए रास्ते दिखाए हैं।
————-
