सार्वजनिक शौचालयों के लिए नई नीति, कर्मचारियों को देना होगा डीसी रेट, गंदगी पर लगेगा जुर्माना

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चंडीगढ/यूटर्न/20 अगस्त: चंडीगढ़ के सार्वजनिक शौचालयों को चलाने के लिए नगर निगम ने नई नीति तैयार की है। नगर निगम की तरफ शौचालयों को चलाने के लिए एमडब्ल्यूए-आरडब्ल्यूए को 30 हजार की जगह अब हर महीने 52,217 रुपये दिए जाएंगे लेकिन अब शौचालय पर एक महिला-एक पुरुष कर्मी तैनात करना होगा। डीसी रेट देने के साथ पीएफ भी जमा कराना होगा। इसके साथ अगर शौचालय में गंदगी मिलेगी तो 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। शहर में 300 सार्वजनिक शौचालय हैं। कुछ सार्वजनिक शौचालय निजी कंपनियों को ठेके पर भी दिए गए हैं। प्रत्येक सार्वजनिक शौचालय को चलाने के लिए नगर निगम आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए को हर महीने करीब 30 हजार रुपये देता है। कंपनियों को करीब 52 हजार रुपये दिए जाते हैं। कारण है कि कंपनियों की ओर से शौचालय पर तैनात कर्मचारियों को डीसी रेट दिया जाता है, लेकिन आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए द्वारा ऐसा नहीं किया जाता। इसके अलावा भी अन्य कई तरह की समस्याएं सामने आ रही थीं जिसके बाद नए नियम तैयार किए गए हैं। नए नियम व शर्तें तय करने के लिए मेयर कुलदीप कुमार ने एक कमेटी का गठन किया, जिसमें आयुक्त आनंदिता मित्रा, चीफ इंजीनियर, पब्लिक हेल्थ के एसई, हॉर्टिकल्चर के एसई के साथ पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी, जसबीर बंटी, प्रेम लता, दमनप्रीत सिंह, महेशइंदर सिंह सिद्धू और कंवरजीत राणा शामिल रहे। सोमवार को कमेटी की बैठक हुई, जिसमें नई नियमों पर फैसला लिया गया।
आरडब्ल्यूए-एमडब्ल्यूए को ही कराने होंगे छोटे मुरंमत कार्य
कमेटी की बैठक में तय हुआ है कि जिस भी आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए की ओर से शौचालय चलाया जा रहा है, उन्हें सार्वजनिक शौचालय पर तैनात कर्मचारियों को डीसी रेट देना होगा। वर्दी और पीएफ भी जमा कराना होगा। हर महीने सात तारीख तक वेतन देना होगा। इसके साथ अन्य श्रम कानूनों का भी पालन करना होगा। शौचालय को सबलेट नहीं कर सकते। इसकी निगरानी नगर निगम करेगा। शौचालय पर बिजली-पानी का कनेक्शन अनिवार्य होगा और इसका बिल नगर निगम की ओर से जमा कराया जाएगा। टॉयलेट पर जो छोटे-मोटे मुरंमत के कार्य होंगे उसे आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए को ही करना होगा लेकिन अगर रेनोवेशन और बड़े मुरंमत की जरूरत होगी तो उसे नगर निगम की ओर से किया जाएगा। प्रत्येक सार्वजनिक शौचालय पर एक महिला और एक पुरुष अटेंडेंट को तैनात रखना होगा। एक रिलीवर भी रखना होगा। सभी को डीसी रेट देना होगा। इसके अनुसार प्रत्येक कर्मचारी का वेतन करीब 21000 रुपये बनेगा। शौचालय चलाने के लिए एमडब्ल्यूए-आरडब्ल्यूए को 30 हजार की जगह अब हर महीने मिलेंगे 52,217 रुपये दिए जाएंगे।
कई नेताओं को लगेगा झटका, शौचालय के नाम पर कमा रहे हैं लाखों
शहर में सार्वजनिक शौचालय को चलाने के लिए नगर निगम हर महीने करीब एक करोड़ रुपये खर्च करता है। इनमें से लाखों रुपये हर महीने कुछ लोगों की जेब में जाते हैं, क्योंकि शहर में कई सार्वजनिक शौचालय ऐसे हैं, जो एक ही आरडब्ल्यूए के पास हैं और वह आरडब्ल्यूए किसी नेता से जुड़ा होता है। कई बार आरोप भी लगे हैं वर्तमान में कुछ पार्षद भी अपने रिश्तेदारों के नाम पर सार्वजनिक शौचालय लेकर चला रहे हैं और क्योंकि वह तैनात कर्मचारी को मनमर्जी का वेतन देते हैं। ऐसे में अधिकतर पैसा उनकी जेब में जाता है लेकिन इन नियमों के बनने से उन्हें झटका लगेगा।
खर्च निकालने के लिए प्रति इस्तेमाल वसूल सकेंगे पांच रुपये
सार्वजनिक शौचालय को चलाने में आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए को समस्या न आए, इसे देखते नगर निगम ने प्रति इस्तेमाल पर दो से पांच रुपये वसूलने की इजाजत दे दी है। ये पैसे आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए के पास ही रहेंगे। साथ ही अगर शौचालय में सेनेटरी पैड नहीं होगा, डस्टबिन से कूड़ा बाहर गिरा होगा या सफाई नहीं होगी तो 100 से लेकर 1000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जिंमेदारी एरिया के जेई और एसडीई की होगी। तय किया गया है कि अगर शौचालय पर तैनात कर्मचारी किसी के साथ बदतमीजी करता है तो उसे निकालने की छूट होगी। इसके साथ ही सामुदायिक शौचालयों को लेकर भी नियमों में बदलाव किया गया है। जहां भी 20 से कम सामुदायिक शौचालय सीटें होंगी, उन्हें कम से कम हर महीने 20000 रुपये मिलेगा। अगर जहां भी शौचालय सीट 20 से ज्यादा होंगी तो उन्हें 20000 के बाद प्रति शौचालय 1000 रुपये दिया जाएगा।
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