शनिवार को लुधियाना में प्राइवेट अस्पतालों मे ओपीडी रही बंद
(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 17 अगस्त। कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप के बाद बुरे तरीके से की गई हत्या के मामले में पूरे देश में विरोध किया जा रहा है। हर किसी की और से केंद्र सरकार व कोलकाता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं इस मामले में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की और से शनिवार को सभी अस्पतालों की ओपीडी पूर्ण तौर पर बंद करने का ऐलान किया गया था। जिसके चलते शनिवार को सभी प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। इस दौरान डॉक्टरों द्वारा आईएमए के बैनर तले पैदल मार्च निकाला गया। पूर्ण तौर पर शहर के सभी अस्पतालों द्वारा ओपीडी बंद रखने के चलते करीब 25 हजार ओपीडी प्रभावित हुई। वहीं इस दौरान अस्पताल में एमरजेंसी सेवाएं जारी रही। इस दौरान करीब 500 डॉक्टर पैदल मार्च में शामिल हुए। जिनकी और से बीआरएस नगर स्थित आईएमए के ऑफिस से फिरोजपुर रोड वेरका मिल्क प्लांट तक पैदल मार्च निकाला। इस दौरान डॉक्टरों द्वारा कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई खौफनाक घटना के मामले की गंभीरता से जांच करने और आरोपी को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की गई। वहीं मार्च में डॉक्टरों द्वारा हाथों में तख्तियां पकड़कर इंसाफ की मांग की गई। उन्होंने कहा कि डॉक्टर लोगों को जिंदगियां देते हैं, लेकिन आज ऐसा समय आ चुका है कि जिंदगी देने वालों की ही जिंदगी छीन ली जा रही है।
मीटिंग के बाद निकाला मार्च
जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के हाल में सभी डॉक्टर एकत्रित हुए। जिसके बाद सभी की और से बैठक की गई और महिला डॉक्टर को इंसाफ दिलाने की मांग की गई। इस दौरान सभी ने पर्ण लिया कि अगर सरकार द्वारा इस मामले में जल्द एक्शन नहीं लिया गया उनकी और से संघर्ष को और तेज किया जाएगा। हालाकि इस मीटिंग के बाद डॉक्टरों द्वारा पैदल मार्च निकाला गया।
शुक्रवार को सरकारी ओपीडी रही बंद
वहीं महिला डॉक्टर को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर शुक्रवार को जिले के सिविल अस्पताल में ओपीडी पूरे तरीके से बंद रखी गई थी। जिसके चलते करीब 250 मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ा था। वहीं इस दौरान बिना पहले जानकारी दिए एकदम ओपीडी बंद करने के चलते अस्पताल इलाज कराने के लिए आए लोगों द्वारा रोष भी जताया गया था।
बुरे विचारों से आजाद नहीं लोग, वर्क प्लेस पर महिलाएं नहीं सेफ
आईएमए के पूर्व प्रधान डॉ. गौरव सचदेवा ने कहा कि यह मामला अकेले महिला डॉक्टर का नहीं बल्कि हर वर्ग की महिला के साथ जुड़ा है। ऐसी घटना के बाद लगता है कि वर्क प्लेस पर महिलाएं अकेले सेफ नहीं है। किसी भी घर की महिला इस तरीके से हरास हो सकती है। डॉ. सचदेवा ने कहा कि बेशक देश को आजाद हुए 78 साल हो चुके हैं, लेकिन समाज के कुछ गलत लोग आज भी अपने बुरे विचारों से आजाद नहीं हो सके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में सख्त एक्शन लेकर मिसाल कायम करनी चाहिए, ताकि आगे से कोई व्यक्ति ऐसी घिनोनी वारदात न कर सके।