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हाईवोल्टेज मामला: पंजाब के सभी जिलों में आजादी दिवस के समागमों में सिविल सर्जनों को नहीं दी एंट्री !

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दो पुलिस अफसरों पर एक्शन, CS का ट्रांसफर किया चंडीगढ़, लिस्ट बनाने वालों पर कार्रर्वाई  नहीं

(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 16 अगस्त। एक तरफ 15 अगस्त को जब पूरा देश आजादी दिवस मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ इस दिवस का हिस्सा बनने जा रहे पंजाब के तकरीबन सभी जिलों के सिविल सर्जनों को समारोह में ही जाने नहीं दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि जिले की सेहत विभाग का प्रमुख होने के नाते सिविल सर्जनों के साथ ऐसा गलत व्यवहार होना कही न कही अफसरशाही पर सरकार हावी होने के संकेत दे रहा है। ऐसा ही मामला लुधियाना में देखने को मिला। जहां पर पीएयू के ग्राउंड में 15 अगस्त को लेकर जिला स्तरीय समारोह चल रहा था। समारोह में शामिल होने पहुंचे सिविल सर्जन डॉ.जसबीर सिंह औलख को एंट्री-गेट पर तैनात पुलिस टीम ने अंदर दाखिल नहीं होने दिया। यहीं नहीं उनकी बाजू पकड़कर मुलाजिमों ने बाहर निकाल दिया। हालाकि उन्होंने बाकायदा प्रशासन से मिला वीआईपी निमंत्रण-पत्र और अपना आईकार्ड भी दिखाया। लेकिन फिर भी उनकी एक नहीं सुनी गई।

बाहर खड़े होकर सुना राष्ट्रीय गान
वहीं इस संबंधी सिविल सर्जन द्वारा फेसबुक पर एक पोस्ट डाली गई। जिसमें उन्होंने लिखा कि मुझे समारोह के लिए वीआईपी कार्ड नंबर 962 जारी हुआ था। मैं सुबह 8.40 बजे पीएयू काम्प्लैक्स समागम पहुंचा। गेट पर तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों ने सूची चैक की। बतौर सिविल सर्जन लुधियाना मेरा नाम उस सूची में नहीं था। तब मैंने अपना वीआईपी पास और अपना विभागीय पहचान पत्र भी उन्हें दिखाया। तभी एक अन्य कर्मचारी ने मुझे बाजू से पकड़ कर गेट से बाहर निकाल दिया। मेरे सामने काफी मेहमान बिना पास और पहचान पत्र कार्ड के अंदर जा रहे थे। मैंने बहसबाजी करने की बजाए ‘गांधीगिरी’ का रास्ता अपनाया। मैंने सारा समारोह सरकारी गाड़ी के पास खड़े होकर राष्ट्रीय गान सुना और सम्मान भी दिया।

यह बेइज्जती सिविल मेडिकल सर्विसज कैडर की
इसकी सूचना व शिकायत डिप्टी कमिश्नर को ईमेल से की गई। जिन्होंने एक एसडीएम की इस मामले में डयूटी लगाई। जबकि सिविल सर्जन स्तर के अधिकारी द्वारा भेजी शिकायत पर तुरंत एक्शन होना बनता था। यह बेइज्जती डॉ. औलख की नहीं, बल्कि समस्त पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसज कैडर की है। जो कि पहले ही आरएमओ व आम आदमी क्लीनिक वगैराह में बांट देने से आखरी सांसों पर हैं।

किसी अन्य मामले में सिविल सर्जन का तबादला
लुधियाना सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख का तबादला कर दिया गया है। उन्हें सेहत व परिवार भलाई विभाग पंजाब का डिप्टी डायरेक्टर तैनात किया गया है। वहीं उनकी जगह पर डॉ. पवन कुमार को सिविल सर्जन लुधियाना तैनात किया है। चर्चा है कि उन्हें इस विवाद में नहीं बल्कि दूसरे मामले को लेकर ट्रांसफर किया है।

पंजाब के कई जिलों में सिविल सर्जनों से बदसलूकी
वहीं लोगों में चर्चा है कि यह बदसलूकी अकेले लुधियाना सिविल सर्जन से नहीं बल्कि पंजाब के कई जिलों के सिविल सर्जनों से हुई है। दरअसल, लुधियाना अधिकारी से ऐसा व्यवहार होने की चर्चा जब सोशल मीडिया पर छिड़ी तो कई जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा खुद के साथ गलत व्यवहार होने की भी बात कही। चर्चा है कि मुक्तसर साहिब, मानसा, अमृतसर और फिरोजपुर के सिविल सर्जन के साथ भी बदसलूकी हुई है।

पिछले साल भी नहीं रखी थी कुर्सी
वहीं बता दें कि पिछले साल भी लुधियाना में सिविल सर्जन के साथ बदसलूकी हुई थी। पिछले साल सिविल सर्जन समागम में पहुंचे तो उनके लिए कुर्सी ही नहीं रखी गई थी। जब वह दूसरी कुर्सी पर बैठे तो मुलाजिमों ने उन्हें उठा दिया था। इस संबंधी सिविल सर्जन ने अधिकारी से बात की तो उसने कहा कि बाकी लोग भी खड़े हैं, तो आप भी खड़े हो जाओ।

सूची बनाने वालों की है मुख्य गलती
बता दें कि इस मामले में एंट्री रोकने वाले मुलाजिमों की गलती तो है ही, बल्कि इसके साथ साथ वीआईपी की सूची बनाने वालों की मुख्य गलती है। क्योंकि एंट्री पर मुलाजिमों को वीआईपी की लिस्ट दी थी, उसमें सिविल सर्जन का नाम नहीं था। सुरक्षा लिहाजे से मुलाजिमों ने एंट्री नहीं होने दी। जिसके चलते जिस मुलाजिम ने लिस्ट बनाई और जिस अधिकारी ने लिस्ट चैक की उस पर एक्शन होना चाहिए। मगर उनका बचाव कर लिया गया।

डीसी ने सीपी को एक्शन लेने के दिए आदेश
मामले का पता चलते ही डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने फौरन पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए कहा कि उस जगह की पहचान की जाए, जहां सिविल सर्जन से बदतमीजी हुई। वहां कौन से पुलिस कर्मचारी या अधिकारी तैनात थे, उनसे जवाब-तलबी की जाए कि उन्होंने निमंत्रण पत्र होने के बावजूद सिविल सर्जन से बदतमीजी करके उनके सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई।

सीपी ने दो अफसरों को किया सस्पेंड
वहीं इस मामले में सीपी कुलदीप सिंह चहल की और से एक्शन लेते हुए सब इंस्पेक्टर जसपाल सिंह और एएसआई जसपाल सिंह पर कार्रवाई की है। दोनों अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है और लाइन में हाजिर होने को कहा है। वहीं मामले की विभागीय जांच एडीसीपी रमनदीप सिंह भुल्लर को सौंपी गई है।

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