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मुद्दे की बात : अयोध्या में ​कानून व्यवस्था की ‘बत्ती-गुल’

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राम मंदिर के वीआईपी रुट्स पर लाखों रुपये की हजारों स्ट्रीट लाइटें ‘चोरी’

यूपी में रामराज की दुहाई देने वाली योगी सरकार अपराध-भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश का नारा भी जब-तब बुलंद करती रहती है। उसी ‘उत्तम-प्रदेश’ में स्थित धर्म-नगरी अयोध्या में रामपथ और भक्तिपथ से 50 लाख की हजारों स्ट्रीट-लाइटें कथित तौर पर ‘चोरी’ हो गईं। ये वीआईपी रुट्स सीसीटीवी कैमरों से लैस है। इन दोनों मार्गों पर 24 घंटे पुलिस-कर्मियों की तैनाती रहती है। दोनों ही विशेष-मार्ग राम मंदिर से जुड़े हुए हैं।

इस मामले में गत दिवस खुलासा होने पर प्रदेश की भाजपा सरकार की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खासी किरकिरी हो रही है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साध अपने X अकाउंट पर लिखा कि भाजपा सरकार, मतलब अंधेर नगरी, सब तरफ अंधकार। वहीं, अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि राम पथ से लाइटों की चोरी होना और वो भी ऐसे समय जब हमारे मुख्यमंत्री अयोध्या में ही हों, मामला गंभीर है।
लाइटों को लगाने वाली संस्था यश इंटरप्राइजेज के कर्मचारी शेखर शर्मा ने बीते मंगलवार को रामजन्मभूमि थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके रामपथ के पेड़ों पर 6400 बैम्बू लाइट, भक्तिपथ पर 96 गोबो प्रोजेक्टर लाइटें लगाई गईं थीं।

19 अप्रैल तक सभी लाइटें थीं। 19 मई को निरीक्षण किया गया। इसमें पता चला कि 3800 बैम्बू लाइट और 36 गोबो प्रोजेक्टर लाइट चोरी हो चुकी हैं। थाना रामजन्मभूमि के इंचार्ज देवेंद्र पांडेय के मुताबिक मुकदमा दर्ज कर लिया है। जांच के लिए दोनों पथों पर लगे सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं।

जबकि खुद कमिश्नर गौरव दयाल मान रहे हैं कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच लाइट चोरी होना संभव नहीं है। विकास प्राधिकरण ने चोरीशुदा और लगाई लाइटों की संख्या का मिलान किया तो यह अंतर पाया है। जांच जारी है, अगर चोरी की सूचना झूठी निकली तो कार्रवाई होगी। संभावना यही है कि लाइटें कभी लगाई ही नहीं गईं। रामपथ की लंबाई 13 किमी है, जिसमें हाई रेजोल्यूशन के 25 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। ये लोगों के हाथ की लकीरें तक कैप्चर कर सकते हैं। वहीं, भक्ति पथ की लंबाई 800 मीटर है। इसमें जगह-जगह 12 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। दोनों पथों पर ट्रैफिक, सिविल पुलिस और पीएसी के करीब 1000 जवान 50-50 मीटर की दूरी पर तैनात रहते हैं।

खैर, अब जानिए अयोध्या में विकास की स्थिति, यहां 10 वार्डों में स्ट्रीट लाइटें लगाने में 71.86 करोड़ आई थी। लाइटों की गुणवत्ता को लेकर स्थानीय पार्षदों ने पहले भी सवाल उठाए थे। सपा-भाजपा पार्षदों ने जांच की मांग की थी। पार्षदों का कहना था, जो लाइटें लगीं, वे कभी जलती हैं तो कभी नहीं। कई पोल टूटकर गिर चुके हैं। तब मेयर महंत गिरीशपति तिवारी ने डैमेज कंट्रोल करते भाजपा के रूठे पार्षदों को मना लिया था। साथ ही कहा था कि यह अयोध्या को बदनाम करने की साजिश है। लोगों का कहना था कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की चकाचौंध में 2 महीनों तक किसी का ध्यान नहीं गया। फिर लोकसभा चुनाव आ गए। इसलिए मुद्दा दबकर रह गया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसा कि अयोध्या में ‘चोरों’ ने कर दी कानून-व्यवस्था की बत्ती गुल।

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