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एकदम सही पकड़े हैं जी
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फिर से कई राज्यों में आने वाला है चुनावी-सीजन
नेताजी को अपनी करतूतों से बना हुआ कंफ्यूजन
जिनको अब देते रहे गालियां उनसे कैसे मिलें गले
अपने तो हो गए हैं बैरी, दुश्मन ही लग रहे हैं भले
—-बड़का वाले कविराय