लुधियाना 12 अगस्त। श्री आत्मानंद जैन सभा लुधियाना के जैन उपाश्रय व श्री आत्मानंद जैन महासमिति के संयोजन में श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में चातुर्मास हेतु विराजमान श्रीमद् आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र सुरीश्वर जी महाराज के क्रमिक पट्टधर गच्छाधिपति शांतिदूत जैनार्चाय श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरी जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत श्री जी महाराज की सुशिष्या सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा श्री जी महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज की पावन मिश्रा में सोमवार को सत्संग किया। इस दौरान साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज ने प्रवचन किए कि मां शब्द को अगर दिल में उतार लिया जाए तो वह दिल नहीं मंदिर बन जाता है। बेटा तभी खुश हो सकता है, जब उसकी मां खुश होगी। दृष्टिवाद पढ़ने के लिए संयम जीवन अंगीकार करना पड़ता है तो आर्यरक्षित ने इसे खुशी खुशी स्वीकार किया, ताकि वो अपने मां को खुश कर सके। बाल वल्लभ छगन ने अपनी मां की आज्ञा को शिरोधार्य कर गुरु आत्म से संयम ग्रहण किया। इस अवसर पर श्री आत्मानंद जैन सभा के कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन जैन गिरनार, मुकेश जैन आर्मी स्टोर, संजीव जैन टोनी, मंत्री वीर भूषण जैन, संजीव जैन बाबला, अशोक जैन, निर्मल जैन ज्योति जैन सारा जैन बेबी होजरी, नरेश जैन पिंकी ,मुकेश जैन मिंटू, राजेश जैन, सुरेश जैन, साधना जैन, अनु जैन, सरुचि जैन, सारिका जैन, श्वेता जैन, पूजा जैन, सुषमा जैन, शिखा जैन, आशु जैन, रीना जैन मौजूद थे।
दिल को मंदिर बनाने वाला एक ही शब्द है, वो है मां – श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज
Rajdeep Saini
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