हरियाना/यूटर्न/12 अगस्त: पंजाब में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की 34 परियोजनाओं की रफतार काफी धीमी पड़ गई है। इनमें कटड़ा-अमृतसर-दिल्ली एक्सप्रेसवे भी शामिल है। जमीन अधिग्रहण विवाद के चलते एनएचएआई के अधिकारियों व ठेकेदारों पर हमले और किसानों व स्थानीय नेताओं का विरोध भी इसमें बड़ी बाधा बन गया है।
एनएचएआई के प्रोजेक्टों में देरी
पंजाब में एनएचएआई के प्रोजेक्टों में देरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2023-24 में एनएचएआई ने 84.02 किलोमीटर रोड नेटवर्क के टेंडर निकाले हैं, जिसकी अगर वर्ष 2022-23 के साथ तुलना की जाए, तो ये सिर्फ 18 प्रतिशत ही है। वर्ष 2022-23 में अथॉरिटी ने 450.53 किलोमीटर रोड नेटवर्क के टेंडर निकाले थे। इसी तरह अगर वर्ष 2021-22 की बात की जाए, तो उस साल भी 326.07 किलोमीटर रोड नेटवर्क के टेंडर निकाले गए थे। इस तरह प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष में दो साल के मुकाबले बहुत कम की प्रक्रिया शुरू हो पाई। लोकसभा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी दी थी कि राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। इन परियोजनाओं को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग पर परियोजना में तेजी लाने के लिए विभिन्न पहल की हैं, जिसमें भूमि अधिग्रहण को सुव्यवस्थित और तेज करना और वन और पर्यावरण मंजूरी के लिए परिवेश पोर्टल को सरल बनाना और अन्य प्रयास शामिल है। साथ ही राज्यों के संबंधित विभागों व हितधारकों के साथ बैठकें भी की जाती हैं। इस सब के बावजूद कई राज्यों में परियोजनाओं में देरी हो रही है। पंजाब इससे सबसे अधिक प्रभावित है। यही कारण है कि एनएचएआई 104 किलोमीटर की तीन परियोजनाएं पहले ही बंद कर चुका है, जिनकी लागत 3263 करोड़ रुपये है।
रेट तय न होने के कारण जमीन का अधिग्रहण रुका
इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में जिला संगरूर इलाके में पड़ते लगभग 34 किलोमीटर का हाईवे निर्माण पूरा हो चुका है। इसके बाद मालेरकोटला जिले में काफी हद तक हाईवे बन चुका है, वहां पर केवल चार पांच किलोमीटर में निर्माण का काम बाकी है। लुधियाना जिले से यह हाईवे चालीस किलोमीटर से अधिक इलाके से गुजर रहा है। यहां पर करीब तीस किलोमीटर के इलाके में दिक्कतें हैं। किसानों के साथ रेट तय न होने के कारण जमीन का अधिग्रहण भी रुका हुआ है।
एक्सपर्ट की राय
ट्रैफिक एक्सपर्ट राहुल वर्मा का कहना है कि सुरक्षा की दृष्टि से भी यह हाईवे काफी अहम है। आपातकाल में यहां से सीमा के लिए सेना की मूवमेंट फास्ट होगी। इसके अलावा धार्मिक ट्यूरिज्म भी बढ़ेगा। पंजाब के संगरूर, मालेरकोटला, कपूरथला, गुरदासपुर जैसे जिलों में विकास को गति मिलेगी और इससे सूबे की अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी, क्योंकि वस्तुओं की मूवमेंट भी तेज होगी।
58 किमी कम हो जाएगी दूरी
699 किमी लंबे दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण रिवाइज्ड राशि 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इसके बनने के बाद दिल्ली से अमृतसर चार घंटे में और कटड़ा से दिल्ली छह घंटे में पहुंचा जा सकेगा। फिलहाल दिल्ली और कटड़ा के बीच की दूरी 727 किमी है। इस एक्सप्रेसवे के बनने से यह दूरी 58 किमी कम हो जाएगी। यह हाईवे दिल्ली के साथ गोइंदवाल, तरनतारन के साथ जुड़ेगा। दूसरी ओर अमृतसर से नकोदर के साथ जुड़ेगा।
ये परियोजनाएं हो रहीं प्रभावित
दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेस-वे पैकेज-9 की रिवाइज्ड डेडलाइन अब 1 अगस्त, 2025 तय की गई है, क्योंकि 2,337.33 करोड़ रुपये से बन रहे इस परियोजना का सिर्फ 56.84 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है।
36.94 किलोमीटर के 1,711.03 रुपये के पैकेज-7 परियोजना के लिए रिवाइज्ड डेडलाइन 30 नवंबर, 2024 तय की गई है, क्योंकि इसका 88.44 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है।
2,260.67 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे 39.5 किलोमीटर पैकेज-10 की बात की जाए तो इसका 57.75 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है।
अमृतसर कनेक्टिविटी के लिए 2,165.23 करोड़ रुपये में बन रहे 16.9 किलोमीटर स्पर-1 के लिए रिवाइज्ड डेडलाइन 16 अप्रैल, 2026 निर्धारित की गई है।
1,734.18 करोड़ की लागत वाले 35.28 किलोमीटर लंबे पैकेज-12 को अब 31 दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।
44.96 किलोमीटर अबोहर-फाजिल्का एनएच-7 के लिए नई डेडलाइन 13 अप्रैल 2026 निर्धारित की गई है।
लुधियाना में परियोजना के कैंप ऑफिस को आग लगाने की धमकी
लुधियाना में भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे लोगों ने परियोजना के कैंप ऑफिस को आग लगाने की धमकी दी थी। मुखय सचिव अनुराग वर्मा ने संज्ञान लेते हुए डीजीपी गौरव यादव को एनएचएआई अधिकारियों और ठेकेदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा था। मुखय सचिव ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है, लेकिन गिरफतारी नहीं। एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी विपनेश शर्मा ने मुखय सचिव को पत्र लिखकर एनएचएआई अधिकारियों, ठेकेदारों और उनके कर्मियों की सुरक्षा संबंधी चिंता जताई थी।
जालंधर में ठेकेदार, अधिकारी काम छोड़ भागे
जालंधर में नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी और ठेकेदार काम छोड़ कर भाग गए हैं। 20 जुलाई को जालंधर में एक ठेकेदार के कर्मचारी पर ग्रामीणों ने बेरहमी से हमला किया था। इसमें भी एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन दोषी ग्रामीणों को तुरंत जमानत दे दी गई। यहां हाईवे मिट्टी डालने के लिए की गई खुदाई के विरोध में लोगों ने एनएचएआई और ठेकेदारों पर केस दर्ज करवा दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वह पैसे देकर मिट्टी ले रहे हैं। वह काम करें या मुकदमों में उलझें। यहां सरकार भूमि अधिग्रहण में नाकाम रही है। एनएचएआई को कब्जा नहीं मिल पाया है। आए दिए स्थानीय नेता धरने लगा देते हैं, जिससे काम में बाधा पैदा हो रही है।
अमृतसर में भूमि अधिग्रहण में घपलेबाजी का आरोप, किसानों में रोष
अमृतसर जिले में डेरा बाबा नानक की ओर से जाते रास्ते में रुकावटें आ रही हैं। इस कारण यह प्रोजेक्ट किसानों के विरोध के चलते अभी बंद है। जमहूरी किसान सभा के नेता रत्न सिंह रंधावा कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट के तहत जो भूमि अधिगृहीत की जा रही है, उसके किसानों को सही रेट नहीं मिल रहे। कुछ कृषि योग्य भूमि को अधिकारियों ने रिकॉर्ड में व्यापारिक बना दिया। बहुत सारी इमारतें इसके रास्ते में व्यापारिक खड़ी कर दी गईं। कुछ अधिकारियों ने भू माफिया के साथ अधिक मुनाफा कमाने के लिए कई गलत काम किए, जिसकी जांच भी हुई, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा किसानों का आर्थिक शोषण हुआ।
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